50+ बच्चों की बाल कविता – शिक्षाप्रद बाल कविता | बच्चों की छोटी कविता, हिंदी बाल कविता

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बच्चों की बाल कविता : इस आर्टिकल में हमने बच्चों के लिए बहुत ही मज़ेदार लोकप्रिय 25 हिन्दी शिक्षाप्रद बाल कविता, hasya kavita, बच्चों की हिंदी बाल कविता, जोरदार बाल कविताएं को यहाँ पर सम्मलित किया है. यह बच्चों की बाल कविता की प्रसिद्ध कविताएँ है जो हम लोगों के बच्चपन की याद दिला देती हैं.

यहाँ पर जो बच्चों की बाल कविता बच्चों की कविताएं प्रस्तुत की गई हैं. वह पूरी तरह से बच्चों के मनोविज्ञान के अनुरूप हैं. जो लोकप्रिय कवियों के द्वारा लिखी गई हैं. यह कविताएँ बच्चों के लिए सरल और रूचिकर हैं. जो बच्चो को नई नई चीजे सिखने में मदद करती है. और उनकी बौद्धिक ज्ञान में विकसित करती है.

आज-कल अक्सर स्कूल में बच्चों के लिए बच्चों की छोटी कविता पाठ का आयोजन होता हैं. उन बच्चों के लिए बाल कविताएं यहाँ पर दी गई कविताओं से काफी मदद मिलेगी. तो चलिए दोस्तों पढ़ते है मजेदार बच्चों की बाल कविता , बच्चो की बाल कविताएं


बच्चों की बाल कविता – baccho ki kavitayen hindi me


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बच्चों की बाल कविता – baccho ki kavitayen hindi me

बेस्ट बच्चों की बाल कवितायें


(1)

मेढक मामा – बच्चो की नटखट कवितायें

मेढक मामा
मेढक मामा,
खेल रहे क्यों पानी में,
पड़ जाना
बीमार कहीं मत
वर्षा की मनमानी में।
मेढक मामा
मेढक मामा,
नभ में बादल छाए हैं,
इसीलिए क्या
टर्र-टर्र के
स्वागत-गीत सुनाए हैं।
मेढक मामा,
उछलो-कूदो
बड़े गजब की चाल है,
हँसते-हँसते
मछली जी का
हाल हुआ बेहाल है!
मेढक मामा,
सच बतलाओ,
कब तक बोंबे जाओगे,
बढ़िया
रेनी कोट सिलाओ,
फिर हीरो बन जाओगे।

(2)

गोल गोल – बच्चो की मजेदार कवितायें

गोल गोल पानी
मम्मी मेरी रानी
पापा मेरे राजा
फल खाए ताज़ा
सोने की चिड़िया
चाँदी का दरवाजा
उसमे कौन आएगा
मेरा भैया राजा

(3)

नानी की कहानी – बच्चो की नटखट कवितायें

नानी नानी सुनो कहानी
एक था राजा एक थी रानी
राजा बैठा घोड़े पर
रानी बैठी पालकी पर
बारिश आई बरसा पानी
भीगा राजा बच गयी रानी

(4)

मछली जल की रानीबच्चों की बाल कविता

मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ डर जाएगी
बाहर निकालो मर जाएगी

(5)

छूटी रेल – बच्चों की बाल कविता

छूटी मेरी रेल
रे बाबू छूटी मेरी रेल
हट जाओ हट जाओ भैया
मैं न जानूं फिर कुछ भैया
टकरा जाये रेल
धक् धक् धक धक् धू धू धू धू
भक् भक् भक् भक् भू भू भू भू
छक् छक् छक् छक् छू छू छू छू
करती आई रेल
सुनो गार्ड ने दे दी सीटी
टिकट देखता फिरता टीटी
छूटी मेरी रेल


(6)

बसंत की हवा – बच्चों की बाल कविता

बसंत की हवा के साथ
रंगती मन को
मलती चेहरे पर हाथ
ये होली
लिए रंगों की टोली
लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली
ये नवरंगी तितली है
आज तो जाएगी घर घर
दर दर ये मौज मनाएंगी
भूल पुराने झगड़े सारे
सबको गले लगाएगी
पीली फूली सरसौं रानी

(7)

नया साल – बच्चों की बाल कविता

नया साल है नया साल है
खूब ख़ुशी है खूब धमाल है
पढ़ने लिखने से छुट्टी है
घर बाहर हर पल मस्ती है
खाना पीना माल टाल है
नया साल है नया साल है
सभी ओर उत्सव की धूम है
लगा साथियों का हुजूम है
गाना वाना मस्त ताल है
नया साल है नया साल है

(8)

पूरब का दरवाज़ा – बच्चों की बाल कविता

पूरब का दरवाज़ा खोल
धीरे-धीरे सूरज गोल
लाल रंग बिखरता है
ऐसे सूरज आता है
गाती हैं चिड़ियाँ सारी
खिलती हैं कलियाँ प्यारी
दिन सीढ़ी पर चढ़ता है
ऐसे सूरज बढ़ता है
ऐसे तेज़ चमकता है
गरमी कम हो जाती है
धूप थकी सी आती है
सूरज आगे चलता है
ऐसे सूरज ढलता है

(9)

डाकिया आया – बच्चों की बाल कविता

देखो एक डाकिया आया
थैला एक हाथ में लाया
पहने है वो खाकी कपड़े
चिट्ठी कई हाथ में पकड़े
बांट रहा घर-घर में चिट्ठी
मुझको भी दो लाकर चिट्ठी
चिट्ठी में संदेशा आया
शादी में है हमें बुलाया
शादी में सब जाएंगे हम
खूब मिठाई खाएंगे हम

(10)

आलू कचालू बेटा – बच्चों की बाल कविता

आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
बन्दर की झोपडी में सो रहे थे,
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे

शिक्षाप्रद बाल कविता


(1)


नानी माँ ने तोता – शिक्षाप्रद बाल कविता

नानी माँ ने तोता पाला,
करता दिन भर घड़बड़झाला,
पिंजरे मे ही दौड़ लगता,
मिट्टू-मिट्टू कह कर गाता,
जाने कब करता आराम,
नाम बताता मिट्टू राम

(2)


सुबह सवेरे आती तितली, – शिक्षाप्रद बाल कविता

सुबह सवेरे आती तितली,
फूल फूल पर जाती तितली, 
हरदम है मुस्काती तितली,
सबकी मन को भाती तितली

(3)


दादजी के बाल सफ़ेद – शिक्षाप्रद बाल कविता

दादजी के बाल सफ़ेद
पर्वत की है बर्फ सफ़ेद 
हम सब के है दांत सफ़ेद  
सागर का है झाग सफ़ेद
मैडम की है चौक सफ़ेद

(4)


भागी रेल – शिक्षाप्रद बाल कविता

सीटी बोली भागी रेल,
छुक छुक छुक छुक करती रेल
बिछुडो से मिलवाती रेल
दूर दूर ले जाती रेल

(5)


सबके मन को भाता TV – शिक्षाप्रद बाल कविता

सबके मन को बहुत ही भाता TV
कितने करतब है दिखलाता
कभी हँसाता कभी रुलाता
दूर देख की सैर कराता
तरह तरह  के स्वांग रचता
जादुई डिब्बा है कहलाता

(6)


आलू बोला – शिक्षाप्रद बाल कविता

आलू बोला मुझको खा लो
मैं तुमको मोटा कर दूंगा
पालक बोली मुझको खा लो
मैं तुमको ताकत दे दूँगी
गाजर, भिन्डी, बैंगन बोले
गोभी, मटर, टमाटर बोले
अगर हमें भी खाओगे
जल्दी बड़े हो जाओगे

(7)


आज इतवार है – शिक्षाप्रद बाल कविता

आज इतवार है तोते को बुखार है
तोता गया बाग़
बाग़ मे था Dr
Dr ने लगायी सुई 
तोता बोला उई उई उई

(8)


तितली रानी – शिक्षाप्रद बाल कविता

तितली रानी तितली रानी
इतने सुन्दर पंख कहा से लायी हो 
क्या तुम कोई शहज़ादी हो 
या तुम कोई परी लोक से आई हो 
फूल तुम्हे भी अच्छे लगते 
फूल हमे भी भाते है 
वह तुमको कैसे लगते है 
जो फूल तोड़ ले जाते है.

(9)


तुम हो किसके फैन – शिक्षाप्रद बाल कविता

तुम हो किसके फैन
लिखो तुम हो किसके फैन
अंकल नहीं जानते आप
सबको भाता सुपर मैंन
मिक्की माउस पुराना है
स्पाइडर मैंन को आना है
मेरे सारे मुश्किल काम
उसको ही निपटाना है

(10)


पोशम पा – शिक्षाप्रद बाल कविता

पोशम पा भाई पोशम पा
डाकूओं ने क्या किया 
सौ रुपये की घड़ी चुराई 
अब तो जेल में जाना पड़ेगा 
जेल का खाना खाना पड़ेगा 
जेल का पानी पीना पड़ेगा 
अब तो जेल में जाना पड़ेगा

बच्चों की छोटी कविता


(1)

होली की हंगामा – बच्चों की छोटी कविता

होली का है हंगामा
उड़ता है लाल गुलाल
इधर उधर सब दौड़ रहे है
तेज हो गयी है चाल
दादी जी पर रंग डाला
तो आ गया भूचाल

(2)

चंदा मामा – बच्चों की छोटी कविता

चंदा मामा गोल मटोल
कुछ तो बोल कुछ तो बोल
कल थे आधे आज हो गोल
खोल भी दो अब अपनी पोल
रात होते ही तुम आ जाते
संग संग सितारे लाते
और दिन मे कहा छिप जाते हो
कुछ तो बोल कुछ तो बोल 
वो भी भागी ले पिचकारी
हो गया न आज कमाल

(3)

मेरा एक प्यारा परिवार – बच्चों की छोटी कविता

मेरा एक प्यारा परिवार है
इसमे दादा दादी है
छोटे चाचू मेरे दोस्त
खेल खिलाती चाची है
मम्मी पापा सबसे अच्छे
लम्बे ताऊ छोटी ताई
हम सब मिलकर रहते है
सारे सुख दुःख साथ सहते है

(4)

मेरा देश निराला – बच्चों की छोटी कविता

मेरा देश निराला है
यहाँ कोई गोरा कोई काला है
पर आपस मे प्यार है
सुन्दर सुन्दर त्यौहार है
यहां हर बच्चा वीर है
शक्ति की तस्वीर है
देश का नाम है हिंदुस्तान
हम सब इसकी है संतान

(5)

हाथी राजा – बच्चों की कविता

हाथी राजा बहुत बड़े
हाथी राजा बहुत बड़े
सूंड उठा कर कहाँ चले
मेरे घर तो आओ ना
हलवा पूरी खाओ न
आओ बैठो कुर्सी पर
कुर्सी बोली चर चर चर

बाल कविता | बच्चों की बाल कविता


(1)

हरी उड़ानों वाला तोता – बाल कविता | बच्चों की बाल कविता

हरी उड़ानों वाला तोता
लो, आया हरियाला तोता,
लाल चोंच में कैसा फबता
हरदम लगता हँसता-हँसता

मम्मी इसको दूँ अमरूद
या खा लेगा यह तरबूज
जरा बताओ, कैसे पकडू़ँ
जी करता, पिंजरे में रख लूँ

अरे, उड़ा यह फर-फर, फर-फर,
छू ही लेगा जैसे अंबर,
सुन ली चुपके मेरी बात
दे दी इसने मुझको मात

(2)

दादा जी का सोंटा – बाल कविता | बच्चों की बाल कविता

फौरन बिगड़ी बात बनाता
करामात अपनी दिखलाता
दादा जी का सोंटा

बड़ा लाड़ला प्यारी साथी
दादा जी के संग दिन-राती
आते-जाते दौड़ लगाता
मंदिर जाता, मेले जाता।
हरदम, हर पल साथ निभाता
दादा जी का सोंटा

बड़ा चौक, जौहरी बाजार
पहचाने सब आँगन-द्वार
दादा जी के संग घूमा है
मस्ती में संग-संग झूमा है
इसीलिए तो रोब दिखाता
दादा जी का सोंटा

चिंटू करता अगर शरारत
तब आती है उसकी आफत
छुटकी ज्यादा शोर मचाती
होमवर्क में देर लगाती
तब अपने तेवर दिखलाता
दादा जी का सोंटा!

(3)

मेरा भैया गोल-मटोल – बाल कविता | बच्चों की बाल कविता

मेरा भैया गोल-मटोल
मीठे-मीठे उसके बोल
उसने है एक चिड़िया पाली
नाम रखा है उसका डॉली
डॉली के संग वह गाता है
डॉली के संग हँसता है
पता नहीं है, किधर किताबें
पता नहीं कहाँ बस्ता है

(4)

टीपूलाल टिपोलीलाल भैया – बाल कविता | बच्चों की बाल कविता

टीपूलाल, टिपोलीलाल
भैया, यह कैसा है हाल

उड़े-उड़े से तुम रहते हो
कुछ गुमसुम-गुमसुम रहते हो
टीपू जी, अब थोड़ा पढ़ लो
वहीं खड़े हो, थोड़ा बढ़ लो
टीप-टीपकर क्या होना है
रोना-आखिर में रोना है
टीपूलाल, टिपोलीलाल
भैया, कितना टीपा माल

जो टीपा था, काम न आया
इसीलिए क्या मन झल्लाया
जीरो, जीरो, सबमें जीरो
भैय, तुम हो कैसे हीरो
साइंस, हिस्ट्री या भूगोल
सबमें ही बस डब्बा गोल
इसीलिए क्या ऐंची-बेंची
शक्ल तुम्हारी है उल्लू-सी

टीपू जी, अब बात न करते
खुद से ही क्यों इतना डरते
टीपूलाल, टिपोलीलाल
भैया, क्यों उखड़ी है चाल

इससे तो अच्छा है पढ़ लो
थोड़ा भाई, आगे बढ़ लो
पढ़ो-लिखो तो मिले बड़ाई
नकल किसी के काम न आई
सीखो भाई, अच्छी बात
तो दिन में ना होगी रात

टीपूलाल, टिपोलीलाल
नकल टिपाई को दो टाल
तब बदलेंगे सचमुच हाल
वरना नहीं गलेगी दाल

टीपूलाल, टिपोलीलाल
भैया, क्यों उखड़ी है चाल
ऐसी क्यों उखड़ी है चाल

(5)

डब्बू पढ़ता नई किताब – बाल कविता | बच्चों की बाल कविता

पट-पट दोनों कान हिलाकर
थोड़ा-थोड़ा पूँछ हिलाकर
दोनों आँखों को चमकाकर
पढ़ता नई किताब
डब्बू पढ़ता नई किताब

तरह-तरह के फोटू वाली
यह किताब है नई-निराली
इसमें चूहा, इसमें बिल्ली
बिल्ली पूरी बाघड़बिल्ली
डॉगी एक बड़ा गर्वीला
पहने हुए पजामा ढीला

देख रहा है डब्बू अपना
हो-होकर हैरान
हिलते दोनों उसके कान
कैसी गजब है उसकी शान

थोड़ा-थोड़ा पूँछ हिलाकर
दोनों आँखों को चमकाकर
बोल रहा है डब्बू मानो
पढ़ता ई किताब
अजी, मैं पढ़ता नई किताब
नहीं किसी से कम
मुझे तुम समझो नया नवाब

पढ़ता नई किताब
डब्बू पढ़ना नई किताब

baccho ki hasya kavita in hindi


(1)

नील परी – baccho ki hasya kavita

आसमान से हँसती-गाती
नील परी भू पर आती है
आकर के नन्ही बगिया को
खुशबू से यह भर जाती है

जादूगर-सी छड़ी लिए है
बैठी बच्चों के सिरहाने
इसके आते ही फूलों से
झरने लगते मीठे गाने

इसकी मुसकानें मोती हैं
और चाँद है इसकी बिंदिया
बच्चे इसको खूब जानते
कहते हैं-लो आई निंदिया

(2)

चाँद सलोना – baccho ki hasya kavita in hindi

चाँद सलोना, चाँद सलोना
नटखट-सा नन्हा मृगछौना
दौड़ रहा मन की मस्ती में
अंबर की उजली बस्ती में
कभी बादलों में छिप जाता
कभी उछलकर बाहर आता
एक रात में ही यह चलकर

(3)

ओ री तितली – baccho ki hasya hindi kavita

ओ री तितली, कहाँ चली तू
कितनी अच्छी और भली तू

खूब सँवरकर जब आती है
रंगों का गाना गाती है

फूल देखते रह जाते हैं
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं

पंखों में उनकी खुशबू ले
और हवाओं में बिखरा दे

(4)

चिट्ठी में है मन का प्यार – hasya kavita

चिट्ठी में है मन का प्यार
चिट्ठी है घर का अखबार

इसमें सुख-दुख की है बातें
प्यार भरी इसमें सौगातें
कितने दिन कितनी ही रातें
तय कर आई मीलों पार

यह आई मम्मी की चिट्ठी
लिखा उन्होंने-प्यारी किट्टी
मेहनत से तुम पढ़ना बेटी
पढ़-लिखकर होगी होशियार

पापा पोस्टकार्ड लिखते हैं
घने-घने अक्षर दिखते हैं
जब आता है बड़ा लिफाफा
समझो, चाचा का उपहार

छोटा-सा कागज बिन पैर
करता दुनिया भर की सैर
नए-नए संदेश सुनाकर
जोड़ रहा है दिल के तार

(4)

नाना जी, ओ ना जी – baccho ki hasya kavita

नाना जी, ओ ना जी
कल फिर आना नाना जी

बड़ी भली लगती कानों को
अजी छड़ी की ठक-ठक-ठक
और सुहाने किस्से जिनमें
परियाँ, बौनों की बक-झक
बुन ना पाता कोई ऐसा
ताना-बाना नाना जी

खूब झकाझक उजली टोपी
लगती कितनी प्यारी है
ढीला कुर्ता, काली अचकन
मन जिस पर बलिहारी है
नानी कहती-बचा यही एक
चाव पुराना, नाना जी

रोती छुटकी खिल-खिल हँसती
जब चुटकुले सुनाते आप
हँसकर उसे चिढ़ाते आप
खुद ही मगर मनाते आप
कोई सीखे अजी, आपसे
बात बनाना, नाना जी

सांताक्लाज दंग रह जाए
ऐसे हैं उपहार आपके
सरपट-सरपट बढ़ते जाते
किस्से अपरंपार आपके
सच बतलाओ, मिला कहीं से
छिपा खजाना नाना जी

नाना जी, ओ नाना जी
कल फिर आना नाना जी

हिंदी बाल कविता । प्रकृति पर बाल कविता

(1)

रोज सुबह को सूरज आकर,
सबको सदा जगाता है।


शाम हुई लाली फैलाकर,
अपने घर को जाता है।

दिनभर खुद को जला-जलाकर,
यह प्रकाश फैलाता है ।

उसका जीना ही जीना है,
जो काम सभी के आता है।

(2)

चुहिया रानी, चुहिया रानी,
लगती हो तुम बड़ी सयानी ।

जैसे हो इस घर की रानी
तभी तो करती हो मनमानी ।

कतर-कतर सब कछ खा जाती.
आहट सुन झटसे छुप जाती ।

 जब भी बिल्ली मौसी आती,
दुम दबा बिल में घुस जाती ।

(3)

बांदर मामा पहने सूट
पैर में उनके बढ़िया बूट

जेब का आला गले में डाला
बैग दवाई का ले डाला

साइन बाड अपना लगवाया
डाक्टर बांदर सिंह लिखवाया

(4)

गोल गोल ये लाज्ञ टमाटर
होते जैसे गाल टमाटर

खून बढाता लाल टमाटर
फूर्ती लाता लाल टमाटर

स्वास्थ बढाता लाल टमाटर
मस्त बनाता लाल टमाटर

हम खायेंगे लाल टमाटर
बन जायेंगे लाल टमाटर

(5)

मेरी गैया आती है ।
मुझको दुध पिलाती है ।

गोरे रंग में सजती है ।
बच्चे सब आ जाते हैं ।

उसको प्यार जताते है
उसका एक बच्चा है
उछल कूद में पक्का है

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