छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम : दोस्तों आप सब यहाँ बात से भली भाती परिचित है. की हमारा छत्तीसगढ़ राज्य लोक कला , छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति , लोक गीतों से अछूता नहीं रहा है. यहाँ छत्तीसगढ़ महतारी के गोद में जन्मे कई महान लोक गायक , लोक गायिका का जन्म भूमि रहा है. छत्तीसगढ़ के लोकगीतों के नामआज प्रत्येक समाज मनोरंजन से अछूता नहीं रह सकता उसे मनोरंजन के लिए भावपूर्ण गीतों की जरूरत होती है। ये गीत मनोरंजन के साथ-साथ एक समृद्धशाली परम्परा के निर्माण में भी सहायक होते हैं। तो दोस्तों जानेगे ‘आज इन्ही प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम (chhattisgarh folk singer names) जीवन परिचय सहित तो आईये दोस्तों पढ़ते है. छत्तीसगढ़ के लोक गायक / लोक गायिका के नाम और उनके महान उलब्धियों को
छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम
निचे दिए गए सारे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक गायक / लोक गायिका है. जिन्होंने देश विदेश में जोरदार अपने प्रस्तुति के द्वारा देश के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का ख्याति दिलाने का श्रेय इन्हीं छत्तीसगढ़ के लोक गायक /गायिका को जाता है.छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम जिन्होंने छत्तीसगढ़ का नाम अपने गायन शैली के द्वारा छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है. विदेशो में भी अपने नाम ,छत्तीसगढ़ के लोक गायन का परचम लहराया है
झाडूराम देवांगन

झाडूराम देवांगन एक पंडवानी गायक हैं जिन्हें पंडवानी गायन के जन्मदाता के नाम से भी जाना जाता है। इनको जन्म 1927 में मिलाई के समीप बासिन नामक ग्राम में हुआ था। वे बचपन से ही माता गीत, जंवारा-गीत एवं फाग-गीत में हिस्सा लेते थे किन्तु बाल्यकाल में ही उनके माता-पिता का निधन हो जाने से, जीविकोपार्जन हेतु उन्हें अपने परम्परागत व्यवसाय, कपडा बुनाई का कार्य करना पड़ा और इसी दौरान उन्होंने सबलसिंह चौहान द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी महाभारत को पढ़कर चिंतन-मनन करके, पंडवानी गायन आरंभ किया। कालान्तर में उन्होंने लंदन, जर्मनी, फ्रांस, इटली आदि के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और पंडवानी को एक नये मुकाम तक पहुंचा दिया। साथ ही देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समक्ष भी उन्होंने पंडवानी प्रस्तुत किये। उनके शिष्यों मैं पूनाराम निषाद, चेतनराम और प्रभा यादव आदि कलाकार पंडवानी की निरंतर साधना में लगे हुए हैं।
पूनाराम निषाद

पूनाराम निषाद जीवन परिचय पण्डवानी गायन के वेदमती शैली के एक प्रसिद्ध गायक थे जिन्होंने झाडूराम देवांगन के प्रिय शिष्य के रूप में पंडवानी गायन की चेदमती शैली को आगे बढ़ाया। पूनाराम निषाद का जन्म 16 नवम्बर 1939 को दुर्ग जिले में हुआ था। उन्होंने लगभग 40 वर्ष तक अपने कला का प्रदर्शन कर देश-विदेश में ख्याति प्राप्त की। निषाद जी को मे तात्कालिन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के हाथों पदमश्री से सम्मानित किया गया। अपनी उम्र के सात दशक के बाद निषाद जी की मृत्यु 11 फरवरी 2017 को रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल में हुई। गीतकारों के क्षेत्र में निषाद जी का योगदान अतुलनीय और स्मरणीय रहेगा।
तीजनबाई

तीजन बाई पंडवानी गायन के कापालिक शैली की शीर्ष/प्रथम पंक्ति की गायिका हैं। इनका जन्म 1956 में पाटन (दुर्ग) में हुआ था। शुरूवाती दौर में तीजन बाई को झाडूराम देवांगन से पंडवानी गायन सीखने का अवसर मिला परन्तु उनकी वेदमती शैली को न अपनाते हुये उन्होंने एक नवीन कापालिक शैली को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलायी। तीजनबाई के द्वारा शौर्यपूर्ण ढंग से पाण्डवों की कथा को प्रस्तुत करने की कला, केवल भारतीयों को ही नहीं, बल्कि विदेशियों को भी रोमांचित व बांध कर रखती है। इसके अलावा, उन्होंने 1985 में फ्रांस में आयोजित भारत महोत्सव, मारीशस, जर्मनी, तुर्की, साइप्रस, माल्टा,
स्विट्जरलैण्ड सहित अनेक देशों में पंडवानी प्रस्तुत कर भारत की समृद्ध लोककला को एक नई ऊँचाई प्रदान की। 1973 से पंडवानी गायन का मंचन करने वाली तीजनबाई को 1987 में पद्मश्री, 2002 में गुरू घासीदास विश्वविद्यलय से डी-लिट् एवं 2003 में पद्मभूषण एवं 2019 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
श्रीमती सुरूज बाई खाण्डे

सुरूज बाई खाण्डे भरथरी, चंदैनी-गोंदा और ढोला मारू गीत में प्रथम पंक्ति की गायिका थी जिन्होंने पूर्व सोवियत संघ रूस में आयोजित भारत महोत्सव के अलावा 18 देशों में अपनी कला का डंका बजाया और छत्तीसगढ़ी लोक गायकी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। वह बिलासपुर जिले के एस.ई.सी.एल. में कार्यरत थी।
इन्होंने अपने जीवन का आखिरी पहर को गुमनामी और गरीबी में गुजारा, लेकिन इन्होंने व्यक्तिगत लाभ और प्रशंसा की चाहत को दरकिनार करते हुए लोकगीतों को समृद्ध बनाने के लिए ही अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
देवदास बंजारे

देवदास बंजारे जी पंथी गीत एवं नृत्य के प्रथम पंक्ति के गायक थे। इनका जन्म 1947 में धमतरी के निकट साकरा नामक ग्राम में हुआ। वे अपने जीवन का आदर्श गुरू घासीदास जी को मानते थे और उन्हीं पर आधारित पंथी नृत्य एवं गीत गायन की शुरूआत की। उन्होंने इस लोक नृत्य को देश-विदेश में प्रस्तुत किया। उनके अथक प्रयासों से इस नृत्य को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याती मिली
निष्कर्ष
आज के हमरे इस पोस्ट छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम | छत्तीसगढ़ी गायकों के नाम में हमने जाना हमरे छत्तीसगढ़ के गायक कलाकार के बारे में , और उनके उपलब्धियों को विषतर पूर्वक बताये है मैं आशा करता हूँ की आपको हमारा यहाँ पोस्ट अच्छा लगा होगा जो बारे में जो हमरे विद्यार्थी जीवन में बहुत ज्यादा हेल्पफुल होगी।
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[FAQ’S] छत्तीसगढ़ के लोक गायकों के बारे में पूछे जाने वाले सवाल
पंडवानी के जन्मदाता किसे कहां जाता है
पंडवानी के जन्मदाता झाडूराम देवांगन जी को कहां जाता है. पंडवानी छत्तीसगढ़ी लोक गीत गायन की शुरुयात सबसे पहले झाडूराम देवांगन जी ने ही किया था. इसलिए उन्हें पंडवानी के जन्मदाता कहां जाता है.
पंडवानी गायन शैली के लिए किसका नाम प्रसिद्ध है
पंडवानी गायन शैली के लिए तीजन बाई नाम प्रसिद्ध है तीजन बाई पंडवानी गायन के कापालिक शैली की शीर्ष/प्रथम पंक्ति की गायिका हैं। इनका जन्म 1956 में पाटन (दुर्ग) में हुआ था। शुरूवाती दौर में तीजन बाई को झाडूराम देवांगन से पंडवानी गायन सीखने का अवसर मिला परन्तु उनकी वेदमती शैली को न अपनाते हुये उन्होंने एक नवीन कापालिक शैली को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलायी
झाडूराम देवांगन जी का जन्म कब और कहां हुआ था
झाडूराम देवांगन जी का जन्म साल 1927 में मिलाई के समीप बासिन नामक ग्राम में हुआ माना जाता है.
छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम 10
छत्तीसगढ़ के लोक गायक के नाम 10 है – झाडूराम देवांगन , पूनाराम निषाद , तीजनबाई , श्रीमती सुरूज बाई खाण्डे , देवदास बंजारे , ऋतु वर्मा , रजनी रजक , बसंती दीवार , बेतूल राम साहू , मान दास टंडन
पुनाराम निषाद की पंडवानी
पूनाराम निषाद पण्डवानी गायन के वेदमती शैली के एक प्रसिद्ध गायक थे जिन्होंने झाडूराम देवांगन के प्रिय शिष्य के रूप में पंडवानी गायन की चेदमती शैली को आगे बढ़ाया। पूनाराम निषाद का जन्म 16 नवम्बर 1939 को दुर्ग जिले में हुआ था। उन्होंने लगभग 40 वर्ष तक अपने कला का प्रदर्शन कर देश-विदेश में ख्याति प्राप्त की। निषाद जी को मे तात्कालिन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के हाथों पदमश्री से सम्मानित किया गया
तीजन बाई की प्रसिद्ध किस क्षेत्र में है
तीजन बाई की प्रसिद्ध पंडवानी क्षेत्र में है. तीजन बाई पंडवानी गायन के कापालिक शैली की शीर्ष/प्रथम पंक्ति की गायिका हैं। इनका जन्म 1956 में पाटन (दुर्ग) में हुआ था। शुरूवाती दौर में तीजन बाई को झाडूराम देवांगन से पंडवानी गायन सीखने का अवसर मिला परन्तु उनकी वेदमती शैली को न अपनाते हुये उन्होंने एक नवीन कापालिक शैली को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलायी
पूनाराम निषाद का जन्म कब हुआ था
पूनाराम निषाद जी का जन्म 16 नवम्बर 1939 को दुर्ग जिले में हुआ था।