हम जो भी अपने जीवन में Daily कार्य करते हो सारे कार्य पर्यावरण के अंदर आता हैं। आज का जीवन बहोत Advance हो गया हैं मतलब की आज हर कोई Internet का उपयोग कर रहा है।
पर्यावरण किसे कहते है: आप को पता होगा फिर भी में आप को याद दिला दु की Environment में हर चीज आती है जैसे Birds, Animals, Trees, Sun,moon, Plants, Flowers, Fruit, Air, Water, Mountain,Forests आदि।
आप ने देखा होगा कि जब हम किसी के घर या परिवार में जाते है तो हमे देखने को मिलता है कि घर में माँ, बाप,भाई, बहन,चाचा,चाची,दादा,दादी हर किसी के पास अपना खुद का Internet और खुद का एंड्राइड फोन है। इन के अलावा भी कई उपकरण है जिससे हमारे पर्यावरण के ऊपर इसका प्रभाव पड़ता है जिसके कारण हमारा Environment का Pollution प्रतिदिन बढ़ता है।
शायद यही कारण है कि Birds की आबादी Daily काम हो रही है ये हमारे Nature के लिए खतरे की गंटी हो सकती है।आज मैं आप को कुछ Nature + Environment पर कविता यानी Poem दूंगा जो आप के दिल को छू जाएगी।
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- Poem in Hindi on Environment
- Environment Poem in Hindi
- Tree Poem in Hindi on Nature
- Poem in Hindi on River Environment
- Save Environment Poem in Hindi
- Environment Kavita in Hindi
- 2 Short Environment Poems In Hindi
- Poem in Hindi on Environment
- Poem on Paryavaran for Kids Class 3,4,5,6,7,8
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- Poem in Hindi on Environment
- पर्यावरण संरक्षण पर कविता
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- पर्यावरण पर कविता
- Poem In Hindi On Environment
- पर्यावरण पर कवितायें
- पर्यावरण पर कुछ कविताएँ । Best Poem on Environment in Hindi
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Poem in Hindi on Environment
प्रकृति का संदेश (स्वरचित)
सूखी बंजर धरती पर जब रिमझिम बूंदें पड़ती हैं,
सोंधी खुशबू के संग ही कुछ उम्मीदें भी पलती हैं।
निष्क्रिय ,बेकार,उपेक्षित लावारिस सी गुठली पर,
बारिश की एक बूंद छिटककर अमृत जैसी पड़ती है।
उस एक बूंद के बलबूते पर आ जाता उसमें विश्वास,
फाड़ के धरती के सीने को जग जाती जीने की आस।
धीरे धीरे अंकुर से वह वृक्ष बड़ा बन जाता है,
फल,छाया और हवा के संग ही संदेशा दे जाता है।
हार न मानो इस जीवन में कई सहारे होते हैं,
अनवरत संघर्ष करो तुम कई रास्ते मिलते हैं।
दृढ़ विश्वास अटल हो तो कुछ भी हासिल कर सकते हो,
पंख भले कमजोर हों फिर भी, हौसलों से उड़ सकते हो।
वादा करो ये खुद से खुद का,थककर नहीं बैठना है,
कितनों की ताकत तुमसे है उनकी हिम्मत बनना है।
एक अदना सा लावारिस सा बीज भी जीवन पाता है,
खुद जीता है और न जाने कितनों को जिलाता है।
ऐसे ही हमें कर्म भाग्य से अवसर मिलते जाते हैं,
एक दूजे का बनो सहारा उपवन खिलते जाते हैं।
कठिन समय है लेकिन फिर भी, ‘वक्त ही है’ ,कट जाएगा,
मन में धीरज रखो, देखना! फिर से सावन आएगा!
– दीप्तिमा
अच्छे लगते हैं ये पहाड़ मुझे
चोटियाँ बादलों में उडती हैं
पाँव बर्राफ बहते पानी में,
कुत्ते रहते हैं नदियां
कितनी संजीदगी से जीते हैं
किस कदर मुस्तक़िल-मिज़ाज हैं ये
अच्छे लगते हैं ये पहाड़ मुझे.
Poem in Hindi on Environment
पेडों फुलो को मत तोड़ो, छिन्न जाएगी मेरी ममता
हरि याली को मत हरो हो जायेंगे मेरे चहरे मरे
मेरी बाहों को मत काटो बन जाऊंगा मै अपग।
कहने दो बाबा को नीम तले कथा कहानी
झुलाने दो अमराई में बच्चो को झुला
मत छाटो मेरे सपने मेरी खुशिया लुट जायेंगी।
Environment Poem in Hindi
भूमि , धरती , भू , धरा ,
तेरे हैं ये कितने नाम ,
तू थी रंग- बिरंगी ,
फल फूलों से भरी – भरी ,
तूने हम पर उपकार किया ,
हमने बदले में क्या दिया ?
तुझसे तेरा रूप है छीना ,
तुझसे तेरे रंग हैं छीने ,
पर अब मानव है जाग गया ,
हमने तुझसे ये वादा किया ,
अब ना जंगल काटेंगे ,
नदियों को साफ़ रखेंगे ,
लौटा देंगे तेरा रंग रूप ,
चाहे हो कितनी बारिश और धूप
Tree Poem in Hindi on Nature
पेड़
बिलख बिलख कर रो रहा है
दास्ताँ अपनी सुना रहा है
जमीं से हमें न उखाड़ो
जमी ही हमारा आसरा है
कुल्हाड़ी जब मुझपे चलाते हो
रक्त रंजीत हो जाता हूँ
सारे दर्द सेह कर भी
तुम्हे सब कुछ दे जाता हूँ
Poem in Hindi on River Environment
नदी
पतित पावनि सलिला हूँ
ऊँचे निचे पतले सकरे
खेतो में भी बहती हूँ
जान जान की जीवन देती हूँ
पुरखो का तरपन करती हूँ
मानव ने कलुषित कर दिया
जर जर बनाकर रख दिया
जीर्ण शीर्ण कर दिया मुझे
नाले में तब्दील कर दिया
बहुत लुभाता है गर्मी में,
अगर कहीं हो बड़ का पेड़।
निकट बुलाता पास बिठाता
ठंडी छाया वाला पेड़।
तापमान धरती का बढ़ता
ऊंचा-ऊंचा, दिन-दिन ऊंचा
झुलस रहा गर्मी से आंगन
गांव-मोहल्ला कूंचा-कूंचा।
Save Environment Poem in Hindi
“पर्यावरण बचाओ”
पर्यावरण बचाओ, आज यही समय की मांग यही है।
पर्यावरण बचाओ, ध्वनि, मिट्टी, जल, वायु आदि सब।
पर्यावरण बचाओ ……………..
जीव जगत के मित्र सभी ये, जीवन हमें देते सारे.
इनसे अपना नाता जोड़ो, इनको मित्र बनाओ।
पर्यावरण बचाओ …………….
हरियाली की महिमा समझो, वृक्षों को पहचानो।
ये मानव के जीवन दाता, इनको अपना मानो।
एक वृक्ष यदि कट जाये तो, दस वृक्ष लगाओ।
पर्यावरण बचाओ ……………
Environment Kavita in Hindi
“हमें पर्यावरण बचाना हैं”
खतरे में हैं वन्य जीव सब।
मिलकर इन्हें बचाना हैं।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
पेड़ न काटे बल्कि पेड़ लगाना हैं।
वन हैं बहुत कीमती इन्हें बचाना हैं।
वन देते हैं हमें ओक्सिजन इन में न आग लगाओ।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
2 Short Environment Poems In Hindi
जंगल अपने आप उगेंगे
पेड़ फल फूल बढ़ेंगे
कोयल कूके मैना गाये,
हरियाली फैलाओ
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
Poem in Hindi on Environment
पेड़ों पर पशु पक्षी रहते
पत्ते घास हैं खाते चरते
घर न इनके कभी उजाड़ो,
कभी न इन्हें सताओ।
आओं हमें पर्यावरण बचाना हैं।
Poem on Paryavaran for Kids Class 3,4,5,6,7,8
“कसम खाते है”
मिलकर आज ये कसम खाते हैं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाते है।
मिलकर आज ये कसम खाते हैं,
प्रदूषण को दूर भगाते हैं।
मानव तूने अपनी जरूरतों के लिए,
वातावरण को कितना दूषित किया है,
फिर भी पर्यावरण ने तुझे सब कुछ दिया है।
प्राण दायनी तत्वों जल, वायु और मिट्टी से,
हमारा जीवन का उद्दार किया है।
फिर भी मानव पेड़ काटता है,
अपने जीवन को संकट में डालता है।
पर्यावरण न होता तो जीवन मे रंग कहाँ से होते,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाये हमारा प्रथम कर्त्तव्य है।
Tree Par Kavita in Hindi
आओ मिलकर कसम खात हैं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हैं।
आज मिलकर कसम खाते है,
प्रदूषण को दूर भगाते हैं।
Poem in Hindi on Environment
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो।
ताल तलैया जल भर लेते,
प्यासों की प्यास, स्वयं हर लेते।
Talab Par Kavita
सुधा सम नीर अमित बांटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
स्नान करते राम रहीम रमेश,
रजनी भी गोते लगाये।
क्षय करे जो भी इन्हें,
तुम उन सब को डाटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
नहर का पानी बड़ी दूर तक जाये,
गेहूं चना और धान उगाये।
फिर गेंहू से सरसों अलग छाटों,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
फल और फूल वृक्ष हमें देते,
औषधियों से रोग हर लेते।
लाख कुल मुदित हँसे,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
स्वच्छ हवा हम इनसे पाते,
जीवन जीने योग्य बनाते
दूर होवे प्रदूषण जो करे आटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो.
पर्यावरण संरक्षण पर कविता
कुदरत ने एक रोज़ ऐसी सर्द मन्द समीर बहायी
जो अपने संग अमृत रूपी बरखा लायी
अमृत रूपी बरखा आता देख
कृषक के मन में उमंग सी छायी
जैसे ही मेघा से अमृत रूपी कण व
के कण-कण मेस समायी
खेत खलियान सब सूख रहे थे जिन्हें देख,
कृषक सब टूट रहे थे
वन उपवप सब रुख रहे थे पशु पक्षी तो सब जूझ रहे थे
पर तेरे आवत की आहट से ऐसी खुशहाली आयी मानव
चंद्रकला की काली घटा हो छायी
वन उपवन यका यक सब झूम रहे
पशु-पक्षी सब कूद रहे हैं कृषक ने ऐसी राहत पायी मानव
बाल मधुसूदन को देख जसमति मुस्कायी
शीर्षक प्रकृति से ही जीवन है
हरेन्द्र सिंह
environment poem in hindi
बहुत लुभाता है गर्मी में,
अगर कहीं हो बड़ का पेड़।
निकट बुलाता पास बिठाता
ठंडी छाया वाला पेड़।
तापमान धरती का बढ़ता
ऊंचा-ऊंचा, दिन-दिन ऊंचा
झुलस रहा गर्मी से आंगन
गांव-मोहल्ला कूंचा-कूंचा।
गरमी मधुमक्खी का छत्ता
जैसे दिया किसी ने छेड़।
आओ पेड़ लगाएं जिससे
धरती पर फैले हरियाली।
तापमान कम करने को है
एक यही ताले की ताली
ठंडा होगा जब घर-आंगन
तभी बचेंगे मोर-बटेर
तापमान जो बहुत बढ़ा तो
जीना हो जाएगा भारी
धरती होगी जगह न अच्छीो
पग-पग पर होगी बीमारी
रखें संभाले इस धरती को
अभी समय है अभी न देर।
पर्यावरण पर कविता
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।
आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है।
हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।
उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है।
पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।
तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।
हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे।
हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।
शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान।
हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।
कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो।
लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।
हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा।
त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।
तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है।
हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।
गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
Poem In Hindi On Environment
आज मौसम कुछ उदास है
कहना चाहता मुझसे अपनी कोई बात है।
आजकल कुछ सहमा सा दिखता है,
कोई न कोई तो बात है, जब ही आज बैठा गुमसुम सा उदास है।
जब मैंने पूछा –
“आज तुम्हारा बदन इतना मैला क्यों है,
क्यों बैठा तू, इतना गुमसुम सा उदास है। ”
तो पलट कर उसने जवाब दिया –
आजकल स्वास्थ थोड़ा ख़राब है,
ये सब तुम्हारा ही तो किया कलाप है।
और पूछते मुझसे, क्यों बैठा तू उदास है।
तुम करते इस पर्यावरण को गन्दा,
पर्यावण की कीमत पर करते आनंद, भोग और क्रिया कलाप हो।
मैंने कहा “आज देश कर रहा विकास है,
किया जा रहा, पर्यावण को शुद्ध करने का प्रयास है,
फिर भी तू हमसे इतना निराश है।”
पर्यावरण पर कवितायें
अपनी बस्तियों की
नंगी होने से
शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे
बचाएँ डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती को
हड़िया में
अपने चहरे पर
संथाल परगना की माटी का रंग
भाषा में झारखंडिपन
ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन
भोलापन दिल का
अक्खड़पन, जुझारूपन भी
भीतर की आग
धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन
कुल्हाड़ी की धार
जगंल की ताज हवा
नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन
गीतों की धुन
मिट्टी का सोंधापन
फसलों की लहलहाहट
नाचने के लिए खुला आँगन
गाने के लिए गीत
हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट
रोने के लिए मुट्ठी भर एकान्त
बच्चों के लिए मैदान
पशुओं के लिए हरी-हरी घास
बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शांति
और इस अविश्वास-भरे दौर में
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोडे-से सपने
आओ, मिलकर बचाएँ
कि इस दौर में भी बचाने को
बहुत कुछ बचा है
अब भी हमारे पास!
पर्यावरण पर कुछ कविताएँ । Best Poem on Environment in Hindi
कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
कल-कल बहते पानी के झरने,
हरी भरी सी धरती और इसके इंद्रधनुषीय नज़ारे।
कलरव करते नभ में पक्षी,
जीवन के राग सुनाते है।
मस्त पवन के झोंको में,
यूँही बहतें जाते हैं।
फूलों से रस को चुनने,
कितनें भौरें आते है।
कली-कली पर घूम-घूम कर,
देखो कैसे इतरातें है।
बारिश की बूंदे भी देखो,
सबके मन को भाती है।
हरा-भरा कर धरती को,
सबको जीवन दे जाती हैं।
कितनी मनोरम है ये धरती,
प्रकृति और ये पर्यावरण।
हमको जीवन देनी वाली प्रकृति का,
मिलकर करना है हम सबको सरंक्षण।
Short poem on nature in hindi
ब़हुत लुभाता हैं गर्मी मे,
अग़र कही हो बड का पेड।
निक़ट ब़ुलाता पास ब़िठाता
ठंडी छाया वाला पेड।
तापमान धरतीं का बढता
ऊचा-ऊचा, दिनदिन ऊचा
झुलस रहा गर्मीं से आंग़न
गांव-मोहल्ला कूचा-कूचा।
गर्मी मधुमक्ख़ी क़ा छत्ता
ज़ैसे दिया क़िसी ने छेड।
आओं पेड़ लग़ाए ज़िससे
धरती पर फ़ैले हरियाली।
तापमान क़म करनें को हैं
एक़ यहीं ताले क़ी ताली
ठंडा होग़ा ज़ब घर-आंग़न
तभीं बचेगे मोर-ब़टेर
तापमान जो ब़हुत बढा तो
ज़ीना हो जाएग़ा भारी
धरती होग़ी जग़ह न अच्छीं
पग़-पग़ पर होगी बीमारी
रखे सम्भाले इस धरती क़ो
अभीं समय हैं अभीं न देर।
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Poem in Hindi on Tree, Birds, River Animals, Environment, Nature Poem in Hindi. उपर दिए गए शब्दो के सारे Poetry थी जीने आप ने पड़ा, और भी कई सारे कविताएं भारत मे कही सुनाई जाता है Nature के उपर बहोत से लोग ऐसे है जो कि हिंदी Poems को अपने School में कहते है, School Competition पर Poem भी कहते है Save Environment पर जिससे लोगो को जागरूक बनाया जाता है।आप को ये सारी कविता कैसी लगी हमे जरूर बताएं।