छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल । Tourist Places in Chhattisgarh In Hindi 2023

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छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल [Best Places To Visit In Chhattisgarh In Hindi] : छत्तीसगढ़ भारत का 10 वां सबसे बड़ा क्षेत्र फल वाला राज्य है. जो भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है। जिसे भारत का ह्दय स्थल के नाम से भी जाना जाता है। जो 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर जिसका निर्माण हुआ है। छत्तीसगढ़ का अर्थ है एक ऐसा महान कृषि प्रधान राज्य से है। जहाँ बहुत ही भोले भले व मेहनती लोग निवास करते है

जो धान की अधिक पैदावार होने के कारण जिसे “धान का कटोरा” कहा जाता है जिसका प्राचीन नाम दक्षिण कौसल है। जहाँ की आधा से ज्यादा आबादी आदिवासी लोग निवास करते है। छत्तीसगढ़ भारत देश का एक सुंदर राज्य है

जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है साथ ही एक विशाल काय घने जंगलों वाला राज्य है, जो चारों ओर से ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है।

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थलों की कमी नही है यहाँ 100 से अधिक छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थल है । मन को हरने वाला यहाँ ऐतिहासिक इमारतें, वन्य जीव, खूबसूरत झरने, प्राचीन किला , धार्मिक स्थल इत्यादि देखने को मिलेंगे।

तो चलिए दोस्तों जानते है छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों (Best tourist places of Chhattisgarh) के बारे में इस लेख द्वारा जानकारी लेते हैं | 

Table of Contents

छत्तीसगढ़ के 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल (Best 15 Tourist Places In Chhattisgarh)

पर्यटक की दृष्टि कोण से छत्तीसगढ़ में 100+ से ज्यादा पर्यटन स्थल है परन्तु हमने यहाँ 20 छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों का वर्णन किया है। जिसमें कुछ बेहतरीन पर्यटन स्थल के बारे में जानेंगे। अगर आप भी छत्तीसगढ़ घूमने की योजना बना रहे हैं

तो हमने नीचे जितने भी छत्तीसगढ़ के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल (Best 20 Tourist Places In Chhattisgarh) के बारे में बताया है वहाँ जाना न भूले दोस्तों वरना आप छत्तीसगढ़ के असल पर्यटन स्थल से वंचित रह जाएंगे तो हमने को जो हमने छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों का वर्णन किया है वह जरूर जाए

भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल
भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

भोरमदेव मंदिर – छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर प्रदेश का एक ऐतिहासिक मंदिर है जो कबीरधाम से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर चौराग्राम में मैकल श्रेणी पर स्थित है। फणीनागवंशी शासक गोपाल देव द्वारा 11वीं सदी में इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण कराया गया था।

छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां 

यहां के दीवारों पर विभिन्न काम मुद्राओं में अनुरक्त युगलों का कलात्मक अंकन किया गया है। इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। भोरमदेव क्षेत्र के आस-पास भोरमदेव अभ्यारण्य है जहां प्राकृतिक रूप से जंगली जानवरों को विचरण करते देखा जा सकता है।

चैत्र रामनवमी के अवसर पर यहां लगने वाला भव्य मेला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होता है। भोरमदेव महोत्सव में विदेशों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाती है जो राज्य सरकार के लिए एक गौरवान्वित करने वाले महोत्सव के रूप में अपनी विशेषताओं को समेटे हुये है।

राजिम छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थल

राजिम छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थल
राजिम छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थल

राजिम – छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी के नाम से प्रसिद्ध राजिम नगरी, महानदी, पैरी नदी और सोंढूर नदी के त्रिवेणी संगम पर गरियाबंद जिले में स्थित है। यह छत्तीसगढ़ में सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

यहां पर नलवंशीय शासक विलासतुंग के द्वारा 7वीं 8वीं शताब्दी में निर्मित राजीव लोचन मंदिर स्थित है। साथ ही संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है जहां से पंचकोशी यात्रा का शुभारंभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त विशाल बटवृक्ष स्थित है जिसे कृष्ण वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है।

यह पावन नगरी भारत के पांचवें धाम के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक भव्य मेले का आयोजन होता है जिसे छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पांचवें कुभ मेले का दर्जा दिया गया है।

गिरौधपुरी जैतखाम छत्तीसगढ पर्यटन स्थल

गिरौधपुरी जैतखाम छत्तीसगढ पर्यटन स्थल
गिरौधपुरी जैतखाम छत्तीसगढ पर्यटन स्थल

गिरौदपुरी :- गिरौदपुरी सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरुघासीदासजी की जन्म स्थली है जो बलौदाबाजार जिले में स्थित है।

छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथियों के लिये यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहाँ कुतुबमीनार से भी ऊँचे जैतखाम का निर्माण किया गया है। यहां पर फाल्गुन पंचमी के दिवस विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश के लोग भी सम्मिलित होते हैं।

मैनपाट पर्यटन स्थल

मैनपाट पर्यटन स्थल
मैनपाट पर्यटन स्थल

मैनपाट छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रसिद्ध मैनपाट, सरगुजा जिले में स्थित है। यह स्थल सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

मैनपाट क्षेत्र में बॉक्साइड खनिज पाये जाते हैं। यहां पर सन् 1962 में तिब्बतियों को बसाया गया था। यह स्थल छत्तीसगढ़ का सबसे ठण्डा स्थल होने के साथ ही साथ एक पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। जहां पर

  • हिल-प्वाईंट
  • टाईगर-प्वाईंट
  • ईको-प्वाईंट
  • उल्टा पानी
  • बौद्ध मंदिर

भूकंपीय अर्थात् जलजलीय क्षेत्र एवं विभिन्न अवसरों पर आयोजित होने वाले मेले देश-विदेश के पर्यटकों को बिना डोर खींच लाने में एक महती भूमिका अदा करते हैं।

लक्ष्मण मंदिर सिरपुर

लक्ष्मण मंदिर सिरपुर
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर

लक्ष्मण मंदिर प्राचीन स्मारक है जो ‘गहरे प्रेम’ का एक अनूठा उदाहरण है। यह पति के प्यार का प्रतीक है,नागर शैली का यह मंदिर रानी वासाटा देवी, राजा हर्षगुप्त की स्मृति में महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल के दौरान 735-40 ईस्वी में बनवाया था।

प्यार का यह अनोखा स्मारक ताजमहल से भी पुराना है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन मंदिर के अंदर शेषनाग में लक्ष्मणजी की मूर्ति है, इसीलिए इसे लक्ष्मण मंदिर कहा जाता है। यह छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल ( Chhattisgarh ke paryatan sthal ) में से एक है जिसने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है।

तीरथगढ़ वॉटरफॉल

तीरथगढ़ वॉटरफॉल
तीरथगढ़ वॉटरफॉल

बस्तर जिले में जगदलपुर से लगभग 38 किमी दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में, कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी  में यह झरना स्थित है यह लगभग 300 फीट ऊंचा है और तीरथगढ़ वॉटरफॉल को छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा झरना माना जाता है।  इस झरने के पास ही मंदिर है जो शिव जी और पार्वती माता को समर्पित है। इस झरने के आसपास हरे भरे वनस्पति है जो यहाँ के वतावरण को और भी खूबसूरत बनाते हैं।

कुनकुरी जशपुर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

कुनकुरी जशपुर जिले में स्थित ईसाईयों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। जहां पर स्थित चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव प्राप्त है। प्रति वर्ष क्रिसमस के समय यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

कुनकुरी के इस चर्च में करीब 10 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। 7 छतों में भगवान का संदेश :- चर्च में 7 छतें हैं। यह सब एक ही बिम पर टिकी हुई है।

चर्च प्रबंधन के अनुसार, यह दर्शाता है कि भगवान ने सभी मनुष्यों का ख्याल रखा है, चर्च आकार में अर्धवृत्ताकार है।

यह ईश्वर की फैली हुई भुजाओं के समान है, जो सभी मनुष्यों को अपने पास बुलाती है। इस चर्च में हर साल लगभग 5 लाख लोग आते हैं

जंगल सफारी

जंगल सफारी
जंगल सफारी

जंगल सफारी नया रायपुर क्षेत्र के माण्डवा ग्राम में स्थित है जो लगभग 203 हेक्टेयर पर विस्तृत एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है।

यहां पर जंगली जानवरों के संरक्षण, संवर्धन एवं पर्यावरणाय विविधता के संरक्षण हेतु आवश्यक उपाय किये गये हैं। जो वन्य प्राणियों के प्रति आम जनता में और विशेष रूप से नई पीढ़ी में आकर्षण और जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

यहां पर वन्य प्राणियों को स्वतंत्र विचरण करते हुये सैलानी बंद गाड़ियों में बैठकर उनका आनंद लेते हैं जो कि इस परियोजना के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य भी है।

चित्रकोट जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात
चित्रकोट जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती पर बस्तर जिले में स्थित है। यह पूरे देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है इस कारण इसे भारत के नियाग्रा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है जो स्वाभाविक ही सबसे बड़ा आकर्षण है।

यह एडवेंचर-ट्रीप, ट्रैकिंग, पिकनिक आदि के लिए पसंदीदा स्थल है। इतना ही नहीं, खुले मौसम में यहां इंद्रधनुष को भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में देखा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पर्यटन विकास के लिए इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो पर्यटकों के लिए निश्चय ही सुविधापूर्ण एवं लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं।

ढोलकल गणेश

ढोलकल गणेश
ढोलकल गणेश

ढोलकल गणेश छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में है यह दंतेवाड़ा से 18 किमी दूर, फरसपाल गाँव के पास बैलाडिला पहाड़ी में लगभग 3000 की ऊँचाई पर स्थित है

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल में से एक है, जिसे रहस्यमय पर्यटन स्थल मन जाता जाता है क्योंकि इतने ऊँचे पहाड़ी पर किसने इस गणेश की मूर्ति को रखा और क्यों रख अभी तक किसी को पता नही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान गणेश की यह मूर्ति लगभग 1000+ साल पुरानी हैऔर इस मूर्ति को 9 वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच नागवंशी शासकों के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी।

अगर आप अपने सफर में रोमांच, ट्रैकिंग पसंद करते हैं तो यह छत्तीसगढ़ का यह पर्यटन स्थल आपके लिए ही है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको बैलाडीला के जंगलों में ट्रैकिंग करना पड़ेगा जो अपने आप में एक शानदार अनुभव होगा।

दंतेश्वरी मंदिर

दंतेश्वरी मंदिर

दंतेश्वरी मंदिर धार्मिक विश्वास एवं श्रद्धा की प्रतीक दंतेश्वरी देवी का मंदिर, शंकिनी एवं डंकिनी नदी के संगम बिन्दु पर दंतेवाड़ा जिले में स्थित है।

इस मंदिर का निर्माण 14वीं सदी के प्रथमार्द्ध में काकतीयवंशीय शासक अन्नमदेव के द्वारा करवाया गया था। देवी के नाम पर ही ग्राम का नाम दंतेवाड़ा रखा गया।

इस मंदिर के गर्भगृह में मां दंतेश्वरी देवी की प्रतिमा है यह मंदिर काष्ट (लकड़ी) से निर्मित है। यहां पर प्रतिवर्ष नवरात्रि के समय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

मां बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़

मां बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़
मां बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़

डोंगरगढ़ – डोंगरगढ़ राजनांदगांव जिले में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है जिसे पूर्व में कामावतीपुरी के नाम से जाना जाता था।

यहां मां बम्लेश्वरी देवी की मंदिर है जो अपने भक्तों को दर्शन देकर पुनः आने के लिए विवश कर देती है। बम्बलेश्वरी मंदिर का स्थान। 1600 फिट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी के उपर स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर डोंगरगढ़ का एक प्रमुख आकर्षण और तीर्थ स्थान है।

इस मंदिर के साथ कई किंवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं जो भक्तो यहाँ खिचे आने पर मजबूर कर देती है। इस मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर एक और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिसे छोटा बम्लेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है।

दशहरा के दौरान और चैत्र (रामनवमी के दौरान) के नवरात्रों के समय मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ यहां आती है। नवरात्रों के अवसर के दौरान, मंदिर में मेलों का आयोजन किया जाता है जो दिन में लंबे समय तक रहता है

खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय
खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित है। इसे छत्तीसगढ़ के प्रथम एवं एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है।

इसकी स्थापना राजा बिरेन्द्र बहादुर सिंह तथा रानी पद्मावती द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा के नाम पर 14 अक्टूबर 1956 को की गई थी। राजा की पुत्री इंदिरा को संगीत का अत्यधिक शौक था किन्तु उसकी असामयिक मृत्यु ने राजा-रानी को भीतर से तोड़ दिया इसलिए

उन्होंने अपने कमल विलास महल में अपनी लाडली पुत्री के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय रखा। इसका आदर्श वाक्य सुस्वरा संतु सर्वेपि’ है।

यह विश्वविद्यालय ललितकला के क्षेत्र में स्थापित किया गया अद्वितीय च सर्वोत्तम प्रयास है जिसका सुफल वर्तमान में अनेक संगीत प्रेमियों, दर्शकों, विद्यार्थियों एवं पर्यटकों को मिल रहा है। इसका लाभ राजनांदगांव के स्थानीय निवासियों को भी मिल रहा है।

विदेशी सैलानी यहाँ संगीत सीखने के लिए आते हैं जो इसकी प्रसिद्धी का द्योतक है। इस विश्वविद्यालय की महत्ता इस बात से प्रमाणित होती है

कि इस विश्वविद्यालय से अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों ने अध्ययन किया है । और कला देश विदेश में बिखेर रहे है

कुटुम्बसर गुफा

कुटुम्बसर गुफा
कुटुम्बसर गुफा

कुटुम्बसर की गुफा यह गुफा कागेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में स्थित है। इस गुफा के खोजकर्ता कन्दराशास्त्री एवं भूगोलविद डॉ. शंकर तिवारी जी हैं जिन्होंने 3 दशक पूर्व इस स्थल को खोजकर कई रहस्यों को उजागर किया था।

इस गुफा क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य, अंधी मछलियां, झींगुर, प्राकृतिक शिवलिंग तथा गुफा के भीतर स्टेग्लेलाइट गुफा की छत से लटके चूने की विशेष आकृति) एवं स्टेग्लेमाइट (धरातल पर बनी हुई चूने की विशेष आकृति) इत्यादि प्रकृति की करिश्मायी तत्व मौजूद है। यह गुफा वर्षा काल के दौरान बंद रहती है तथा भ्रमण हेतु नवम्बर से लेकर मई तक खुली रहती है।

मैत्री बाग (भिलाई)

मैत्री बाग (भिलाई)
मैत्री बाग (भिलाई)

यदि आप छत्तीसगढ़ आये है और छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह में मैत्री बाग नहीं आये है तो अपने कुछ नहीं देख। क्यूंकि दोस्तों छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह में मैत्री बाग सबसे बढ़िया जगहों में से एक है। यहाँ भिलाई (छत्तीसगढ़) में स्थित है जिससे Eduction Hub , Steel City जैसे और नामों से जाना जाता है। जो पुरे विश्व भर में इस्पात संयंत्र के लिए प्रशिद्ध है

यह भिलाई इस्‍पात संयंत्र द्वारा संचालित एक चिड़ियाघर एवं बच्चों का मैत्री बाग है। चिड़ियाघर की मुख्य आकर्षण विदेशी जानवर और एवियन प्रजातियां, झील, टाव्‍य ट्रेन इत्‍यादि हैं।

मैत्री बाग कें कृत्रिम झील में द्वीप पर स्थित म्‍यूजिकल फाउटेंन एक पानी का ऐसा गतिशील दृश्य उपस्थित करता है जो संगीत की धुन पर प्रतिक्रिया देता है कि संगीत प्रदर्शन की शैली और तालबद्धता का अर्थ है।

जैसे-जैसे संगीत की धुन बदलती है वैसे वैसे हवा में पानी के जेट लहराते है। एक दिन छोड़कर शाम को म्‍यूजिकल फाउटेंन के दो प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। सफेद बाघ चिड़ियाघर का मुख्य आकर्षण हैं। हर साल एक बार यहां फूलों का प्रदर्शन आयोजित किया जाता है।

पुरखौती मुक्तांगन

पुरखौती मुक्तांगन यहाँ लगभग 200 एकड़ जमीन पर फैली एक विशाल उद्यान है जो रायपुर शहर से करीब 20 किमी की दूरी परग्राम-उपरवारा नया रायपुर में स्थित है। जिसकी उद्घाटन नवंबर 2006 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा किया गया यह आनंदित उद्यान छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति की एक झलक देता है।

यहाँ छत्तीसगढ़ की राजधानी नया रायपुर में स्थित है पुरखौती मुक्तांगन, छत्तीसगढ़ के उन्नत रीतिरिवाज, संस्कृति और छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल को दिखाया गया है।

अगर आप छत्तीसगढ़ को कम समय में करीब से जानना चाहते हैं तो आपको पुरखौती मुक्तांगन जरूर जाना चाहिए। यह एक खुला संग्राहलय है जहाँ  पुरखों की समृद्ध संस्कृति को  सहज के और सजोने की अच्छी कोशिश की गई है यहाँ आपको आदिवासियों के जीवन सैली, उनके रहन सहन, न्रत्य शैली, छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों, इत्यादि को बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ दिखाया गया है।

काँगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

काँगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
काँगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

छत्तीसगढ़ के सबसे घने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक के रूप में जाना जाने वाला, यहाँ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक झरने, ऊँचे पहाड़ , गहरी घाटियाँ, विशाल पेड़ और मौसमी जंगली फूलों एवं वन्यजीवन के लिए मशहूर है। यहाँ छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर में स्थित है। 

छत्तसीगढ़ घूमने आए पर्यटक इस राष्ट्रीय उद्यान को देखने जरूर आते हैं। कांगेर घाटी उद्यान लगभग 200 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ एक विशाल राष्ट्रीय उद्यान है। साथ ही इस उद्यान को एशिया का प्रथम बायोस्फियर रिजर्व (जीवमंडल) घोषित किया गया था,

जो वर्तमान में क्रियाशील नही है। इस राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख विशेषता यह है कि यहां बोलने वाली पहाड़ी मैना पायी जाती है। जो अपनी आवाज से सभी को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

इसके अतिरिक्त यहां उड़न गिलहरी व रीसस बंदर की उपस्थिति भी पर्यटकों को सम्मोहित करती है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशिष्ट मिश्रण है जिसमे साल ,सागौन , टीक और बांस के पेड़ बहुताइत में है। यहां शेर, चीतल, तेंदुआ और सांभर भी देखे जा सकते है। और प्राकृतिक गुफाओं जैसे- कुटुम्बसर की गुफा का होना, इस राष्ट्रीय उद्यान को, और भी रमणीय बनाती है।

निष्कर्ष

दोस्तों हम उम्मीद करते है की आपको आज का हमारा यह जानकारी Best Tourist Places To Visit In Chhattisgarh In Hindi | छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल 2022.अच्छी तरह से आपको समझ में आया होगा और मुझे यकीन है की आपको इस Article को पढ़कर काफी आसान और सरल , शब्दो में जानकारी मिली होगी.

तो यदि आपको हमारा यह आर्टिकल  छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल 2022 , छत्तीसगढ़ में घूमने की जगह, छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों का वर्णन. पसंद आया है तो आप इसे अपने मित्रों और परिवार संग साझा जरूर करे. जिससे वह लोग भी इस जानकारी का फायदा उठा सके और यह जान सके धनयवाद. हमारा लेख आखिर तक पढ़ने के लिए

[FAQ’S] छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल से जुड़े पूछे जाने वाले अन्य सवाल

भोरमदेव मंदिर कहां है?

भोरमदेव कबीरधाम जिला से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर चौराग्राम में मैकल श्रेणी पर स्थित है। भोरमदेव मंदिर

भोरमदेव क्यों प्रसिद्ध है?

भोरम देव मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटक स्थल के नाम से प्रसिद्ध माना जाता है, इस मंदिर के दिवार में बहुत सी कामुकता वाले चित्र बने हुए है यह मंदिर पत्थरों को काटकर बनाई दीवारों पर प्रतिमा से परिपूर्ण है व पूरी मंदिर को पत्थरों से काटकर बनाया गया है जो बहुत ही सुन्दर है मंदिर के अंदर में शिव जी के शिवलिंग स्थापित है

भोरमदेव मंदिर किस जिले में स्थित है?

भोरमदेव मंदिर कबीरधाम जिला में स्थित है

छत्तीसगढ़ का प्रयाग किसे कहते हैं?

गरियाबंद जिले में स्थित राजिम छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर स्थित राजिम लोचन छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है है। महानदी, पैरी नदी और सोंढूर नदी के त्रिवेणी संगम होने के कारन इसे छत्तीसगढ़ का “प्रयाग” भी कहते हैं

राजिम कौन से जिले में है?

राजिम लोचन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में है

गिरौदपुरी जैतखाम की ऊंचाई कितनी है?

गिरौदपुरी जैतखाम जैतखंभ का निर्माण साल 2008 से 2012 तक चला। गिरौदपुरी जैतखाम की ऊंचाई  77 मीटर है।

जैतखाम क्या है?

जैतखाम सत्य का प्रतीक है | आमतौर पर सतनामी समुदाय के लोगों द्वारा अपने मोहल्ले, गाँव में किसी चबूतरे या प्रमुख स्थल पर खम्बे में सफ़ेद झंडा लगा दिया जाता है जिसे जैतखाम कहा जाता है

मैनपाट कहां है?

छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रसिद्ध मैनपाट, सरगुजा जिले में स्थित है।

छत्तीसगढ़ का शिमला किसे कहा जाता है?

छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट को कहा जाता है

मैनपाट किस जिले में स्थित है?

मैनपाट सरगुजा जिले में स्थित है

सिरपुर का प्राचीन नाम क्या था?

सिरपुर का प्राचीन नाम `श्रीपुर` के नाम से जाना जाता था तथा यह दक्षिण कोसल की राजधानी थी भारतीय इतिहास में सिरपुर अपने धार्मिक मान्यताओ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण आकर्षण का केन्द्र था

लक्ष्मण मंदिर कहां है?

लक्ष्मण मंदिर सिरपुर में स्थित है

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहां है?

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी जशपुर में है

जंगल सफारी कहां है?

जंगल सफारी नया रायपुर क्षेत्र के माण्डवा ग्राम में स्थित है जो लगभग 203 हेक्टेयर पर विस्तृत एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है।

चित्रकोट जलप्रपात कहा है?

चित्रकोट जलप्रपात बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती पर बस्तर जिले में स्थित है। यह पूरे देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है

एशिया का एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय कहां है?

एशिया का एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित है।

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