योग पर कुछ कविताएँ । Poem On Yoga In Hindi

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yoga poem in hindi:- आज की दुनिया मे योग का बहोत महत्व है उसी पर यानी योगा पर कविता इन हिंदी  होनी वाली है। योग एक सही तरह का जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन मे शामिल किया जाना चाहिए ।

हमारे जीवन से जुड़े भौतिक , मानसिक, भावनात्मक , आत्मिक और आध्यात्मिक ,आदि सभी पहलुओ पर काम करता है । व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर ,मैन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल का एक साधन है ।

यह योग या एकता आसन प्राणायाम मुद्रा ,बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। तो योग जीने का एक तरीका है अपने आप मे परम उद्देश्य है 

योग सबसे पहले लाभ पहुँचाता है बाहरी शरीर को जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआत है । योग का अर्थ एकता या बन्दना है इस शब्द की जड़ है। संस्कृत शब्द यूज  ,जिसका मतलब है जुडना । योग शरीर, और मन और भावनाओं को संतुलित करता है शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभो में से एक है।

योग शरीर, मन और भवनाओं के तालमेल को संतुलित करता हैं. यह हमारे जीवन से जुड़े मानसिक, भौतिक, आत्मिक, भवनात्मक और आध्यात्मिकता इन सभी पहलूओं पर काम करता हैं. योग का नियमित अभ्यास करने से हमारा शरीर स्वास्थ्य रहता हैं. और यह कई बीमारीयों से हमें बचाता हैं.

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अब आइए Poem on Yoga in Hindi को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Yoga Par Kavita आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

Table of Contents

योग पर कविता इन हिंदी । Poem On Yoga In Hindi 2023

योग पर कुछ कविताएँ ।  Poem On Yoga In Hindi

योग दिवस पर कविता । yoga poem in hindi 2023

योगा को अपनाएं 
अपना जीवन सफल बनाएं
स्वस्थ निरोगी काया 
जीवन कितना निखर आया.

मानव को समझाना है 
आलस को दूर भगाना है 
योग स्वास्थ्य की संजीवनी है
अपने तन मन को जगाना है..

योग करे प्राणतत्व का संचार 
भविष्य होगा गुलजार
नित्य जो करे योग का पालन 
देश में करें योग का प्रचार

ध्यान में हो एकाकार 
ज्ञान का होता संचार 
इन्द्रियों को रखे केन्द्रित 
होता ईश्वर से साक्षात्कार

 योग दिवस पर कविता । Yoga Divas Kavita in Hindi

अपनाएं योग, भगाओ रोग
सदा रहोगे तुम निरोग
बढ़ाएं हमेशा मनोयोग
योग हमारी पुरानी पद्धति

सदियों पुराना इस का इतिहास
ऋषियों मुनियों ने इसे अपनाया
पूरे जगत में इसे फैलाया
स्वस्थ और दीर्घ जीवन पाया

व्याधियों से छुटकारा पाया
योग हमारी जीवन साधना
आओ करें हम इस की आराधना
संयुक्त राष्ट्र ने इसे अपनाया

दुनिया को जीने का मार्ग दिखाया
योग का महत्व समझाया
फिट रहने का मंत्र सिखलाया
ना कोई पैसा ना कोई दाम

योग के बिना है जीना हराम
आओ हम सब इसे अपनाएं
तन्दरूस्ती और स्वास्थय पाएं
युवा वर्ग को नशे की लत से बचाएं।।

योगा कर कविता इन हिंदी । Poem On Yoga in Hindi

भूख लगी है? योगा कर!
काम चाहिये? योगा कर!
क़र्ज़ बहुत है? योगा कर!
रोता क्यों है? योगा कर!

अनब्याही बेटी बैठी है?
घर में दरिद्रता पैठी है?
तेल नहीं है? नमक नहीं है?
दाल नहीं है? योगा कर!

दुर्दिन के बादल छाये हैं?
पन्द्रह लाख नहीं आये हैं?
जुमलों की बत्ती बनवा ले
डाल कान में! योगा कर!

किरकिट का बदला लेना है?
चीन-पाक को धो देना है?
गोमाता-भारतमाता का
जैकारा ले! योगा कर!

हर हर मोदी घर घर मोदी?
बैठा है अम्बानी गोदी?
बेच रहा है देश धड़ल्ले?
तेरा क्या बे? योगा कर!

योग करें हम योग करें । Poem on Yoga in Hindi

योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।

तन-मन स्वस्थ बनाता है
आलस दूर भगाता है,
सदा सुखी वह रहता है
जो इसको अपनाता है।

कहे संजीवनी बूटी
जीवन को दे नए प्राण,
ऐसा आशीर्वाद मिला
होता सभी का कल्याण।

उद्देश्य यही इसका है
सृजन स्वस्थ समाज का हो,
भविष्य बनेगा बेहतर
ध्यान यदि बस आज का हो।

संदेश यही फैलाओ
इसको सारे लोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।

योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें।

नित्य जो करता मानव योग । योग पर कविताएँ

नित्य जो करता मानव योग
रहे जीवन में सदा निरोग।

चुस्ती फुर्ती वह दिखलाए
आलास उसके पास न आए,
तन मन रहता सदा ही स्वस्थ
लगे कभी न कोई रोग।
नित्य जो करता मानव योग।

पूरे मन से करे जो ध्यान
पाता है वही सच्चा ज्ञान
जीवन सुखमय बन जाता है
ईश्वर संग होता संयोग।
नित्य जो करता मानव योग।

कर सकते सब बूढ़े-बच्चे
आसन होते सारे अच्छे
अपना लेता है जो इनको
उत्तम जीवन लेता भोग।
नित्य जो करता मानव योग।

अपनाएं योग, भगाओ रोग । Yoga Par Kavita

अपनाएं योग, भगाओ रोग
सदा रहोगे तुम निरोग
बढ़ाएं हमेशा मनोयोग

योग हमारी पुरानी पद्धति
सदियों पुराना इस का इतिहास

ऋषियों मुनियों ने इसे अपनाया
पूरे जगत में इसे फैलाया
स्वस्थ और दीर्घ जीवन पाया
व्याधियों से छुटकारा पाया

योग हमारी जीवन साधना
आओ करें हम इस की आराधना

संयुक्त राष्ट्र ने इसे अपनाया
दुनिया को जीने का मार्ग दिखाया
योग का महत्व समझाया
फिट रहने का मंत्र सिखलाया

ना कोई पैसा ना कोई दाम
योग के बिना है जीना हराम

आओ हम सब इसे अपनाएं
तन्दरूस्ती और स्वास्थय पाएं
युवा वर्ग को नशे की लत से बचाएं।।

योगा को अपनाएं । Short Poem on Yoga in Hindi

योगा को अपनाएं
अपना जीवन सफल बनाएं
स्वस्थ निरोगी काया
जीवन कितना निखर आया.

मानव को समझाना है
आलस को दूर भगाना है
योग स्वास्थ्य की संजीवनी है
अपने तन मन को जगाना है..

योग करे प्राणतत्व का संचार
भविष्य होगा गुलजार
नित्य जो करे योग का पालन
देश में करें योग का प्रचार

ध्यान में हो एकाकार
ज्ञान का होता संचार
इन्द्रियों को रखे केन्द्रित
होता ईश्वर से साक्षात्कार .

आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें । Yoga Poems in Hindi –

आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें,
गांव-गांव और शहर-शहर में, इसकी अलख जगायें

योग का मतलब है जोड़ना,
मोह को मन से तोड़ना,
मानव को प्रकृति से जोड़ना,

चित्त की वृत्तियों को सिकोड़ना।
बस इतनी सी बात, लोगों को समझायें
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।

इसमें न कोई खर्चा, न कोई और दिखावा है,
स्वस्थ रहें हम कैसे, बस इसका ही बढ़ावा है।
लेकर चटाई हम सब, धरती पर बैठ जायें,
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।

चाहे खड़े हों, चाहे बैठे हों, या चाहे हों लेटे,
योग एक स॔तुलन है, विविध विधा लपेटे।
गहरी लम्बी सांस खींचकर, इसे शुरू करायें,
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।

पद्मासन हो वज्रासन हो, या हो चकरा आसन,
ध्यानमग्न हो बैठ जायें, बिना करे प्राशन।
सबसे पहले उठकर, इसको ही अपनायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।

योग बहुत है फायदेमंद, जैसे शाक मूल और कंद,
मिट जाये सारे मन के द्वंद्व, बिना क्लेश और बिना क्रंद।
दैनिक जीवनचर्या का, हिस्सा इसे बनायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।

आयुर्वेद और योग का, झंडा हम फहरायें,
भारतदेश और विश्व को, रोगमुक्त बनायें।
इसी प्रतिज्ञा को लेकर, हम आगे बढ़ते जायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।

आओ योग करें। आओ योग करें । Poem on Yoga in Hindi

भाई अपने तन से मन से, दूर कुरोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

स्वास्थ्य हमारा अच्छा है तो, सारा कुछ है अच्छा।
रोग ग्रसित अब नहीं एक भी, हो भारत का बच्चा।।

सूर्योदय से पहले उठकर, निपटे नित्य क्रिया।
सदा निरोगी काया जिसकी, जीवन वही जिया।।

उदाहरण कोई बन जाए, वह उद्योग करें।।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

सांसों का भरना-निकालना, प्राणायाम हुआ।
अपने दिल-दिमाग का भाई, यह व्यायाम हुआ।।

किया भ्रामरी और भस्त्रिका, शुचि अनुलोम-विलोम।
सुन्दर है कपाल की भाती, पुलक उठे हर रोम।।

सांस-सांस द्वारा ईश्वर से, हम संयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

सभी शक्तियों का यह तन है, सुन्दर एक खजाना।
यौगिक क्रिया-कलापों द्वारा, सक्रिय इन्हें बनाना।।

फल-मेवा-पकवान दूध-घी, सब कुछ मिला प्रकृति से।
हमने निज खाना-पीना ही, किया विकृत दुर्मति से।।

ज्ञान और अपने विवेक से, हम सब भोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

पानी और हवा दूषित हो, कुछ न करें ऐसा हम।
चले संभलकर थोड़ा तो यह, दुनिया बड़ी मनोरम।।

सुख से जिएं और सुख से ही, हम जीने दें सबको।
वेद-पुराण-शास्त्र सारे ही, यह बतलाते हमको।।

ईश प्रदत्त शक्ति-साधन का, हम उपयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

EXERCISE POEM IN HINDI । योगा कर कविता इन हिंदी

योग प्राचीन करे ज़िन्दगी नवीन

योग है पहचान प्राचीन
ज़िन्दगी करे नवीन
शरीर में भर दे ताकत
दमकने लगे स्किन

शुध्द हवा के साथ रक्त संचार
सेहतमंद मन में सुन्दर विचार
हो सम्पूर्ण अंग ऊर्जा का प्रसार
लाये जीवन में योग खुशनुमा बहार

स्वस्थ शरीर है देता खुश मन
खुश मन से होता ख़ुशी का जन्म
योग है सच में प्रकृति का वंदन
जीवन कर देता है यह चन्दन

योग करें हम योग करें

योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।

तन-मन स्वस्थ बनाता है
आलस दूर भगाता है,
सदा सुखी वह रहता है
जो इसको अपनाता है।

कहे संजीवनी बूटी
जीवन को दे नए प्राण,
ऐसा आशीर्वाद मिला
होता सभी का कल्याण।

उद्देश्य यही इसका है
सृजन स्वस्थ समाज का हो,
भविष्य बनेगा बेहतर
ध्यान यदि बस आज का हो।

संदेश यही फैलाओ
इसको सारे लोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।

योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें।

नित्य जो करता मानव योग

नित्य जो करता मानव योग
रहे जीवन में सदा निरोग।

चुस्ती फुर्ती वह दिखलाए
आलास उसके पास न आए,
तन मन रहता सदा ही स्वस्थ
लगे कभी न कोई रोग।
नित्य जो करता मानव योग।

पूरे मन से करे जो ध्यान
पाता है वही सच्चा ज्ञान
जीवन सुखमय बन जाता है
ईश्वर संग होता संयोग।
नित्य जो करता मानव योग।

कर सकते सब बूढ़े-बच्चे
आसन होते सारे अच्छे
अपना लेता है जो इनको
उत्तम जीवन लेता भोग।
नित्य जो करता मानव योग।

‘योग’ जीवन में

अगर अपने जीवन को,
बनाना है निरोग,
तो तन और मन दोनों से,
अपनाना होगा योग।

तामसिक आहारों को छोड़कर,
भोजन में लाये सात्विकता,
भोगी प्रवित्ति को त्यागकर,
योगी की अपनायें मानसिकता।

भागदौड़ के जीवन में,
आराम बहुत है जरूरी,
योग से नाता जोड़ा अगर आपने,
तो होगी हर कमी पूरी।

योग आपके जीवन में,
है करता ऊर्जा का संचार,
स्वस्थ शरीर के साथ-साथ,
देता मस्तिष्क में उत्तम विचार।

योग को जीवन में लाइए,
दूर रहेगा हर वियोग,
तभी बनेगा जीवन उत्तम,
और बनेगा हर्ष और आनंद का संजोग।

योग दिवस पर कविताएँ

योग को अपनाए..
आओं हम सब मिलकर,
योग को अपनाएं,
अपने बहुमूल्य जीवन को 

दीर्घायु बनाएं।
योग हमारे जीवन से
रोगों को दूर भगाता है,
देकर स्वस्थ तन मन हमको,

हमको निरोग बनाता है।
निरोग बने और स्वस्थ रहे,
ये सबको हम बतलाएँ,
अपने बहुमूल्य जीवन को,

दीर्घायु बनाएं।
आओं हम सब मिलकर..
योग को अपनाएं..
अपने स्वास्थ्य का हमको तो,

स्वयं ही ध्यान रखना होगा,
हष्ट-पुष्ट बने जिससे तन-मन,
वो खान-पान अपनाना होगा।
स्वास्थ्य से बड़ा नही कोई धन है,

सबको ये बतलाएँ,
अपने बहुमूल्य जीवन को,
दीर्घायु बनाएं।
आओं हम सब मिलकर..

योग को अपनाए..
योग को जीवन में लाने का,
अभियान सफ़ल तब ही होगा,
एक साथ मिलकर जब,

योग को अपनाने का जतन होगा।
हर मानव के हृदय आओ,
योग के लिए आस्था जगाएँ,
अपने बहुमूल्य जीवन को,

दीर्घायु बनाएं।
आओं हम सब मिलकर..
योग को अपनाएं..

Yoga Par Kavita

योग है

योग कर्म है, योग धर्म है
ऋषियों-मुनियों के निरोग जीवन का,
योग ही तो एक मर्म है।
योग यत्न है,

योग प्रयत्न है,
जिसने योग को अपनाया,
हुआ उसी का सफ़ल जीवन है।
योग शक्ति है,

योग विरक्ति है,
जोड़े मन-मस्तिष्क से ईश से जो हमको,
ये पूजा, प्रेम और भक्ति है।
योग गूढ़ है,

योग पूर्ण है,
अनादिकाल से है अस्तित्व जिसका,
योग ही ब्रह्मांड सम्पूर्ण है।

योग पर कविताएँ

थका हुआ जब पाओ तुम
योगा को अपनाओ तुम
योगा से भागे रोग सभी
खुशियां होंगी पास तभी

अनुलोम-विलोम किया करो
जीवन जी भर जिया करो
बच्चे बूढ़े हो या जवान
योग से मिलता आराम

सुबह सवेरे उठ जाओ
निवृत्त सबसे हो आओ
योगा से ताजगी आती
चेहरे पर लालिमा छाती

योगा से चिंतन बढ़ता है
विषाद तनाव दूर भगता ह
योगा बुद्धि ज्ञान विज्ञान हैl
इंद्रियों वश में करना ध्यान हैl

योग पर कविता । yoga poem in hindi

सेहत का राज छिपा है योग में

सेहत का राज छिपा है योग में।
जीवन का आनन्द रहना निरोग में।।

छरहरी काया और शान्तिप्रद मन।
बने सुन्दर चेहरा और खुशहाल जीवन।।

फिर हो क्यों पीछे, करो स्वास्थ्य बीमा।
मुफ्त का वरदान, बस बहाओ पसीना।।

सुबह की यह मेहनत देगी जीवन को आनन्द।
है आपकी मुट्ठी में सेहत का राज बन्द।।

ना आयेगा बुखार, ना होगा जी जुकाम।
सभी बीमारियां दूर से करेगी राम राम।।

शरीर को सम्पूर्ण मिलेगी ऑक्सीजन।
दिल और दिमाग से आप बनोगे सज्जन।।

अंग अंग में फूटेगी स्फूर्ति की धारा।
योग आपको लगेगा जीवन में बेहद प्यारा।।

मन चिंताओं से दूर हो करेगा योग ध्यान।
स्वास्थ्य की इस कला को विज्ञान भी करे प्रणाम।।

सो जीवन में योग को प्रिय आप अपनाओ।
काया है भगवान का तोहफा, जी भूल ना जाओ।।

इस तोहफे का रखना ध्यान, हमारी जिम्मेदारी।
योग कर ईश्वर से आप, निभाओ वफ़ादारी।।

योग पर कविताएं । International Yoga Day Poem in Hindi

जागो जगाने आया हूँ,
योग के साथ लय लाया हूँ।
सूर्योदय के संग जगमगा रहा हूँ,
आत्मा को जगाने आया हूँ।

श्वास में दिल की धड़कनों को लिपटा लाया हूँ,
ध्यान के साथ चंदन को चढ़ा लाया हूँ।
अंधकार से उठकर प्रकाश में बदल आया हूँ,
आत्मा को प्रकाशित करने आया हूँ।

आसन बना रहा हूँ, प्राण बहा रहा हूँ,
शरीर को स्वस्थ बनाने आया हूँ।
मन को स्थिर रखने का राज बताने आया हूँ,
आत्मा को स्वयंसिद्ध करने आया हूँ।

ध्यान की गहराई में गुम हो जाता हूँ,
शांति के साथ समय बिताता हूँ।
विश्राम का अनुभव करके जीवन का मार्ग दिखाता हूँ,
आत्मा को अनंत मार्ग दिखाने आया हूँ।

सभी को योग की ओर बुलाने आया हूँ,
आत्मा को पहचाने जाने आया हूँ।
जीवन को धर्म से जोड़ने आया हूँ,
आत्मा को मुक्ति के लिए लाया हूँ।

स्वामी विवेकानंद के प्रण
योग की आग जला दे,
अंतर की अंधकार उजाला दे।
मन की उलझन को दूर करे,
आत्मा को अनंत शक्ति दे।

योग दिवस पर कविताएँ । Poem on Yoga Day in Hindi

योग है पहचान प्राचीन
ज़िन्दगी करे नवीन
शरीर में भर दे ताकत
दमकने लगे स्किन

शुध्द हवा के साथ रक्त संचार
सेहतमंद मन में सुन्दर विचार
हो सम्पूर्ण अंग ऊर्जा का प्रसार
लाये जीवन में योग खुशनुमा बहार

स्वस्थ शरीर है देता खुश मन
खुश मन से होता ख़ुशी का जन्म
योग है सच में प्रकृति का वंदन
जीवन कर देता है यह चन्दन

करो योग रहो निरोग पर कविता । yoga poem in hindi

योग की अद्भुत शक्ति
दिमाग को तरोताजा कर देता है।
शरीर को स्वस्थ बनाता है
और आत्मा को आलोकित करता है।

योग और ध्यान से परहेज,
जीवन को सुखी बनाता है।
चिंता, तनाव से मुक्ति,
उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।

अधिकार खोए बिना योग द्वारा,
विचार और कर्म में संतुलन।
मन की शांति और शरीर का स्वास्थ्य,
सभी को सम्मान और गौरव देता है।

योग से अधिक आदर्श जीवन,
हम सभी को सच्चा सुख मिलता है।
आत्मा की श्रेष्ठता को पहचानो,
सदा स्वयं को पूर्णता का आदर्श बनाओ।

योग का नियमित अभ्यास करें,
सुख, समृद्धि और शांति के लिए।
शरीर, मन और आत्मा को एक करें,
जीवन को योगबल से सजाना है।

योगिक जीवन का अमृतमय सौंदर्य,
सुन्दरता में अत्यधिक वृद्धि करता है।
आत्मा को प्रकाशित करने का रहस्य,
योग से सदा प्रकाश मिलता है।

योग दिवस पर कविता ।

भाई अपने तन से मन से, दूर कुरोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

स्वास्थ्य हमारा अच्छा है तो, सारा कुछ है अच्छा।
रोग ग्रसित अब नहीं एक भी, हो भारत का बच्चा।।

सूर्योदय से पहले उठकर, निपटे नित्य क्रिया।
सदा निरोगी काया जिसकी, जीवन वही जिया।।

उदाहरण कोई बन जाए, वह उद्योग करें।।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

सांसों का भरना-निकालना, प्राणायाम हुआ।
अपने दिल-दिमाग का भाई, यह व्यायाम हुआ।।

किया भ्रामरी और भस्त्रिका, शुचि अनुलोम-विलोम।
सुन्दर है कपाल की भाती, पुलक उठे हर रोम।।

सांस-सांस द्वारा ईश्वर से, हम संयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

सभी शक्तियों का यह तन है, सुन्दर एक खजाना।
यौगिक क्रिया-कलापों द्वारा, सक्रिय इन्हें बनाना।।

फल-मेवा-पकवान दूध-घी, सब कुछ मिला प्रकृति से।
हमने निज खाना-पीना ही, किया विकृत दुर्मति से।।

ज्ञान और अपने विवेक से, हम सब भोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

पानी और हवा दूषित हो, कुछ न करें ऐसा हम।
चले संभलकर थोड़ा तो यह, दुनिया बड़ी मनोरम।।

सुख से जिएं और सुख से ही, हम जीने दें सबको।
वेद-पुराण-शास्त्र सारे ही, यह बतलाते हमको।।

ईश प्रदत्त शक्ति-साधन का, हम उपयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।

योग पर कुछ कविताएँ (yoga poem in hindi) योग दिवस पर कविता आप सब को कैसे लगी कमेंट कर के जरूर बताये और अपने मित्रों संग शेयर जरूर करे

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