चंदा मामा पर कविताएँ । Poem on Moon in Hindi

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आप सभी ने अपनी बचपन में चाँद पर कविता तो जरूर सुनी होंगी, चाँद पर कविताओं का जिक्र होते ही, हम सबको एक ही कविता याद आती है , “चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बुर के, आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में, प्याली गयी टूट, मुन्ना गया रूठ” आदि। हम बच्चों के लिए लेकर आए है, कई अन्य मज़ेदार चाँद पर कविताएँ

इन कविताओं के जरिये हमने चाँद का अद्भुत वर्णन प्रस्तुत किया है, जिससे बच्चों का, इन कविताओं को पढ़ते समय पूर्ण रूप से मनोरंजन हो सके। हम आपके समक्ष Poem on Moon in Hindi शेयर करते है। तो सबसे पहले इसी कविता से शुरुआत करते है।

बच्चों के लिए हिन्दी हास्य कविता
पुस्तक/किताबों पर सुंदर कविताएं 

चंदा मामा पर कविताएँ । Poem on Moon in Hindi

चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के
चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के

आप खाए थाली मे
मुन्ने को दे प्याली मे
आप खाए थाली मे
मुन्ने को दे प्याली मे
चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के

प्याली गयी टूट
मुन्ना गया रूठ
प्याली गयी टूट
मुन्ना गया रूठ

लाएँगे नयी प्यालिया
बजा-बजा के तालिया
लाएँगे नयी प्यालिया
बजा-बजा के तालिया

मुन्ने को मनाएँगे हम
दूध मलाई खाएँगे
चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के
आप खाए थाली मे
मुन्ने को दे प्याली मे

चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के

उड़नखटोले बैठ के
मुन्ना चंदा के घर जाएगा
उड़नखटोले बैठ के मुन्ना
चंदा के घर जाएगा

तारो के संग आँख मिचौली
खेल के दिल बहलाएगा
खेल कूद से जब मेरे मुन्ने
का दिल भर जाएगा
ठुमक-ठुमक मेरा मुन्ना
वापस घर को आएगा

चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के
हो चंदा मामा दूर के
पुए पकाए बूर के

आप खाए थाली मे
मुन्ने को दे प्याली मे
आप खाए थाली मे
मुन्ने को दे प्याली मे
चंदा मामा दूर के
हो पुए पकाए बूर के।

चाँद पर कविता। चाँद पर बाल कविता

चंदा मामा तुम कितने दूर हो
थोड़ा समीप आ जाओ ना
मैं लालाइत तुम्हें देखने
घर के ऊपर खुली पाटन पर चढ़ जाती हूं
अपनी पैनी दृष्टि से नित दिन तुम्हें निहारती हूं
तो तुम कभी हँसुवे के रूप में ऊभर कर आते हो
तो कभी तुम अर्धचंद्र रूप में भाते हो
तुम रोज घटते बढ़ते हो
सदियों से देखते आ रही हूं
पाक्षिक में ही उगते हो
द्वितीय को कुछ दिखते हो
पूर्णमासी को गोल मटोल
चमकता चेहरा आसमान में लटकाते हो
अमावस्या आते ही गुम हो जाते हो
चंदा मामा हम कुछ बोल रहे हैं
तुम भी कुछ बोलो ना
अपना राज़ खोल दो ना ॥

चंदा मामा तुम कितने दूर हो
थोड़ा समीप आ जाओ ना
एक ही सफेद रंग का मखमल कुर्ता
वो भी ढिला – ढाला पहनें हो
जो तुम आँख मिचौनी खेलते हो
कभी तुम बाहर निकलते हो
कभी तुम अंदर छुप जाते हैं
मैं इच्छा जताती हूं
तेरे नाप का रंग बिरंगा कुर्ता
सिलवाना चाहती हूं
चंदा मामा चुपके से तू आ जाना
अपना नाप देकर चले जाना
मेरी सिलवाई कुर्ता तुम पहनोंगे
सटीक तन में बैठ जाएगा
फिर तुम छुप नहीं पायेगा
बस गोल मटोल चमकता चेहरा
आसमान में लटकता रह जाएगा
चंदा मामा हम कुछ बोल रहे हैं
तुम भी कुछ बोलो ना
अपना राज़ खोल दो ना ॥

चंदा मामा तुम कितनी दूर हो
थोड़ा समीप आ जाओ ना
करनी है तुझसे बातें
अपना राज़ बतलाओ ना
क्यों तुम्हें देखकर भाद्र मास शुक्ल पक्ष में
गणेश चतुर्थी व्रत करते हैं ।
क्यों तुम्हें देखकर कृष्ण पक्ष में
सुहागन औरतें करवा चौथ का व्रत खोलती हैं
क्यों तुम्हें देखकर जुलाहा भाई
रोजा रखकर ईद मनाते हैं
क्यों तुम्हें मुलाँ भाई
ईद का चांद कहते हैं
क्यों तुम्हें इस जगत में पूजते हैं
चंदा मामा हम कुछ बोल रहे हैं
तुम भी कुछ बोलो ना
अपना राज खोल दो ना ॥

चाँद पर प्यारी कविताचंदा मामा पर कविता

चंदा मामा कहा गए तुम,
आज तो जल्दी आओ न,
आज हम नाराज है,
हमें हँसाने आओ न।
माँ ने बहुत डांटा है आज,
देर तक बाहर रहा मै तो,
पापा ने तो कंटाप लगाई,
बहुत रोया आज मै तो।
सभी दोस्त मेरे भाग गए जब,
माँ मुझ पर चिल्लाई तो,
किससे बातें शेयर करू अब मैं,
जब ऐसे दोस्त मिल जाये तो।
आप ही हो मेरे चंदा मामा,
आप ही हो मेरे सच्चे दोस्त,
जब कभी मैं अकेला होता हूँ,
साथ देते हो तुम मेरे दोस्त।
मुझे आज बातें करनी है,
इसलिए तुमसे मिलने आया हु,
घर के सब पर नाराज हु मै,
आज किसी से बात मुझे नहीं करनी है।
आओ जल्दी मेरे चंदा मामा,
मेरे साथ खाना खाओ न,
आज मुझे आपके रौशनी से,
प्रसन्न तुम कर जाओ न।
चंदा मामा कहा गए तुम,
आज तो जल्दी आओ न,
आज हम नाराज है,
हमें हँसाने आओ न।

चंदा मामा दूर गगन से । चाँद पर कविताएं

चंदा मामा दूर गगन से,
मेरे घर भी आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

ले जाकर मुझे बादलों में,
मेरा मन बहलाओ ना।
अपने गोदी के पलने में मुझको,
झूला तुम झुलाओं ना।

आसमाँ की दुनिया में,
मुझको तुम सैर कराओ ना।
मस्त पवन के झोंको से,
मेरा सिर सहलाओं ना।

मेरे सपने को सच करने,
चंदा मामा आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

चाँद की चांदनी पर कविता।

रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया

चंदा मामा पर छोटी कविता। small poem of moon.

चंदा मामा, आ जाना, साथ मुझे कल ले जाना।
कल से मेरी छुट्टी है ना आये तो कुट्टी है।

चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली में।
लेकिन वे पीते हैं पानी आकर मेरी प्याली में।

चंदा देता हमें चाँदनी, सूरज देता धूप।
मेरी अम्मा मुझे पिलातीं, बना टमाटर सूप।

थपकी दे-दे कर जब अम्मा, मुझे सुलाती रात में।
सो जाता चंदा मामा से, करता-करता बात मैं।

ईद की चाँद पर कविता । poem on eid moon.

ईद का चांद हो गया है कोई
जाने किस देस जा बसा है कोई

पूछता हूं मैं सारे रस्तों से
उस के घर का भी रास्ता है कोई

एक दिन मैं ख़ुदा से पूछूं गा
क्या ग़रीबों का भी ख़ुदा है कोई

इक मुझे छोड़ के वो सब से मिला
इस से बढ़ के भी क्या सज़ा है कोई

दिल में थोड़ी सी खोट रखता है
यूं तो सोने से भी खरा है कोई

वो मुझे छोड़ दे कि मेरा रहे
हर क़दम पर ये सोचता है कोई

हाथ तुम ने जहां छुड़ाया था
आज भी उस जगह खड़ा है कोई

फिर भी पहुंचा न उस के दामन तक
ख़ाक बन बन के गो उड़ा है कोई

तुम भी अब जा के सो रहो ‘रहबर`
ये न सोचो कि जागता है कोई

चाँद की दोस्ती पर कविता। पूर्णिमा के चाँद पर कविता

चंदा मामा चन्दा मामा चन्दा मामा!
अब तो सूरज ढल गयी है निकलो मामा!!
चंदा मामा चन्दा………..!

आसमान में घना अंधेरा छाया देखो!
निशा ने घनघोर अंधेरा लाया देखो!!
चंदा मामा चन्दा……..!

गोल-मटोल चेहरा अपना दिखलाओ मामा!
नभ में शीतल आभा बरसाओं मामा!!
चंदा मामा चन्दा……..!

मेरी बिटिया बुला रहीं है आओ मामा!
जल्दी आना जल्दी आना चन्दा मामा!!
चन्दा मामा चन्दा……..!

टिमटिमाते तारे जूनून तुम भी आना!
अपनी चांदनी मेरे आंगन में बिखेरते आना!!
चंदा मामा चन्दा……..!

हलवा,पुरी,खिर बताशे संग में लाना!
मेरी मुन्नी बुला रहीं है जल्दी आना!!
चंदा मामा चन्दा……….!

प्यारी-प्यारी गुड्डे-गुड़ियाॅं झुनझुने लाना!
रंग-बिरंगे चाबी वाली खिलौने लाना!!
चंदा मामा चन्दा……….!

तारों के संग होले-होले निन्दिया आना!
मेरी बेटी जाग रहीं है उनको सुलाना!!

चंदा मामा चन्दा……..!

धीरे-धीरे हाथों से पलना हिलाना!
होले-होले मांथे पर तुम थपकी देना!!
चंदा मामा चन्दा……..!

मेरी तनया के आंखों निन्दिया आना!
प्यारी-प्यारी मिठी-मिठी सपने लाना!!
चन्दा मामा चन्दा………!

चंदा मामा की प्यारी कविता

माँ, करके चाँद की सवारी,
मैं घूमूँगा दुनिया सारी।
परियों के देश में जाकर,
देखूँगा दुनिया उनकी निराली।

बादलों से मिलकर सुनुँगा उनसे,
रिमझिम सी बारिश की कहानी।
मस्त हवाओं संग झूम-झूमकर,
हो जाऊंगा मैं भी रूहानी।

पंक्षियों के संग ताल मिलाकर,
उडुंगा चाल मतवाली।
दूर आसमाँ में जाकर,
पा लूंगा सारी आज़ादी।

माँ, करके चाँद सवारी,
हो जाएगी हर इच्छा पूरी हमारी।
तोड़ लाऊंगा आसमाँ से कुछ तारे,
करने माँ, रौशन तेरी दुनिया प्यारी।

चाँद की बहार कविता

देखो रात का चाँद बाहर निकल कर आया है,
आंगन में उजाला छाया है।
गांव का हर बच्चा खुश होकर,
खेलने घर के आँगन में आया है।
चंदा मामा ने बुलाया है,
ये घर बोलकर हर बच्चा बाहर खेलने आया है।
चंदा मामा के चेहरे पर मुस्कराहट लाया है,
जब हर बच्चे ने चंदा मामा का गाना गाया है।
रात का खाना हर बच्चो ने,
आँगन में चंदा मामा के साथ खाया है।
चंदा मामा को गुड नाईट बोलकर,
हर बच्चा रात को सो पाया है।
देखो रात का चाँद बाहर निकल कर आया है,
आंगन में उजा ला छाया है।

नीले गगन में चाँद पर कविता

नील गगन के चंदा मामा,
क्यों करते हो तुम हंगामा.

दूर हमेशा रहने वाले,
ऊँची पेंगे भरने वाले.

पास हमारे आ जाओ तुम,
हमसे आँख चुराओ न तुम.

रोज-रोज मैं तुम्हे बुलाता,
याद तेरी लेकर सो जाता.

बात हमारी कभी न मानी,
करते रहे अपनी मनमानी.

मानव तुम तक पहुँच गया है,
राज़ तुम्हारा समझ गया है.

खोज लिया है तुम पर पानी,
बतलाती है मेरी नानी.

मैं भी एक दिन आऊंगा,
तुमसे हाथ मिलाऊंगा.

चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
चमचम चमचम वह तम हरते,
हरदम चलते ही रहते हैं।
कभी नहीं वह रुकते पलभर,
जब मिलते हैं हमसे हंसकर।
हंसो-हंसाओ सदा रहो खुश,
यह संदेश दिया करते हैं।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।

उम्मीद करूँगा की आप को ये चंदा पर कवितायें चाँद पर कविता। Poem on Moon in Hindi । Kavita चाँद पर कवितायें हिंदी में  पसंद आई होगी और आपसे निवेदन करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा आप इस चंदा मामा पर कविताएँ । Poem on Moon in Hindi को अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों को भी शेयर जरूर करें धन्यवाद

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