Hindi Poem On Daughter:- भारत में रहने वाले समाज में कई तरीके के भेदभाव मौजूदा समय में भी देखने को मिल जाता है हमारे देश में जिस प्रकार कई सारे अच्छाइयां हैं उसी प्रकार इसमें ढेरों सारी बुराइयों की हैं जो यह दर्शाता है कि इंसान कितना लालची है।
हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि हमारे देश में जातिगत भेदभाव चरम सीमा पर पहुंच चुका परंतु इसके अलावा भी अगर देखा जाए तो हमारे भारत देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार पुरुषवादी समाज नहीं मानता।
हमारे इस पुरुष प्रधान समाज में अगर किसी के परिवार में यदि कोई लड़की का जन्म हो जाता हैं तो उसे लोग बोझ समझने लगते हैं. लेकिन वह इन्सान यह नहीं सोचता की उसका भी जन्म किसी लड़की के दुवारा से ही हुआ हैं।
औरतों को तो लक्ष्मी का रूप कहा जाता हैं. फिर भी इस पुरुष प्रधान समाज में तो अनेकों बेटियों को जन्म लेने से पहले ही उसे माँ के गर्भ में ही मार डाला जाता हैं. जिसके चलते पुरुष के तुलना में औरतों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारा समाज एक दिन स्त्री बिहीन हो जायगा ।
सरकार ने लड़कियों के लिए अनेकों योजनायें चला रखी हैं. जैसे – बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान और भी बहुत सारी लड़कियों के लिए योजना हैं. जिससे समाज जागरूक हो सके. Poem on Daughter in Hindi, Beti Par Kavita, बेटी पर कविता, Poem on Daughters in Hindi, Hindi Poem on Beti ।
बेटियां तो फूलों जैसी होती हैं. वह जिस घर में होती हैं. वह घर खुशियों से खिलखिला उठता हैं. आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं. वह हर क्षेत्र में बेटों से कंधें से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. बेटियां आज अनेकों उच्च पद पर बैठकर वह अपनी जिम्मेदारी बहुत ही अच्छी तरह से निभा रही हैं।
मां बाप अपने बेटियों को बहुत नियंत्रण में रखने की कोशिश करते हैं और उनकी शादी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कर देते हैं जिसे रिश्तेदार या परिवार के लोग पसंद करते हैं। बेटियों को यह हक मिलना चाहिए कि वे अपना दुल्हा स्वयं चुन सके और अपना जीवन खुशियों से जिले और हमें बेटियों को बराबर अधिकार देने की आवश्यकता है जैसा हमारे संविधान में लिखा है।
प्यारी बेटी पर सुंदर कविताएँ हिंदी में । Beautiful Poems on Daughter in hindi

घर की जान होती हैं बेटिया । Beti Par Kavita
पिता का गुमान होती हैं बेटियाँ
ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियाँ
यूँ समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियाँ।
बेटो से ज्यादा वफादार होती हैं बेटियाँ
माँ के कामों में मददगार होती हैं बेटियाँ
माँ-बाप के दुःखको समझे, इतनी समझदार होती हैं बेटियाँ
असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियाँ।
बेटियों की आँखे कभी नम ना होने देना
जिन्दगी में उनकी खुशियाँ कम ना होने देना
बेटियों को हमेशा हौसला देना, गम ना होने देना
बेटा-बेटी में फर्क होता हैं, ख़ुद को ये भ्रम ना होने देना।
बेटियों पर कविता संग्रह । Emotional Poem On Daughter In Hindi
बेटियां खूबसूरती की पहचान हैं
इन्हें मत तोड़ो यही हमारी शान है
बेटी की रक्षा -सुरक्षा सभी का मान है
बेटी से ही हमारा घर परिवार है
बेटियां खूबसूरती की पहचान है
इन्हें मत तोड़ो यही हमारी शान हैं
सदियों से बेटी को कमतर आका है
पर याद करो बेटी ही तो सीता माता है
अपनी मां की हर बात पर देती ध्यान है
पिता की जिम्मेदारी में भी देती साथ है
बेटियां खूबसूरती की पहचान हैं
इन्हें मत तोड़ो यही हमारी शान है
अब जहाज भी उड़ाती हैं बेटियां
जरूरत पड़े तो हर गम सह जाती हैं बेटियां
सब्र का जीता जागता नाम है
बेटी से ही मिलती खुशियां तमाम है
बेटियां खूबसूरती की पहचान है
इन्हें मत तोड़ो यही हमारी शान हैं
-कल्पना गौतम
मेरी लाडो । Hindi Poem on Beti
फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।।
सरगम से लहक उठता मेरा आंगन
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।।
जल तरंग सी छिड़ जाती है
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।।
गद -गद दिल मेरा हो जाये
बाबा -बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया।।
कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया।।
दफ्तर से जब लौटकर आऊं
दौड़कर पानी लाती गुड़िया।।
कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया।।
फिर दोनों में सुलह कराती
प्यारी -प्यारी बातों से गुड़िया।।
मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया।।
घर की जान होती हैं बेटियाँ । Poem on Daughters in Hindi
घर की जान होती हैं बेटियाँ
पिता का गुमान होती हैं बेटियाँ
ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियाँ
यूँ समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियाँ
बेटो से ज्यादा वफादार होती हैं बेटियाँ
माँ के कामों में मददगार होती हैं बेटियाँ
माँ-बाप के दुःखको समझे, इतनी समझदार होती हैं बेटियाँ
असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियाँ
बेटियों की आँखे कभी नम ना होने देना
जिन्दगी में उनकी खुशियाँ कम ना होने देना
बेटियों को हमेशा हौसला देना, गम ना होने देना
बेटा-बेटी में फर्क होता हैं, ख़ुद को ये भ्रम ना होने देना
बेटी का हर रुप सुहाना । Poem on Daughters in Hindi
बेटी का हर रुप सुहाना, प्यार भरे हृदय का,
ना कोई ठिकाना, ना कोई ठिकाना।।
ममता का आँचल ओढे, हर रुप में पाया,
नया तराना, नया तराना।।
जीवन की हर कितनी भी कठिनाई को, हसते-हसते सह जाना,
सीखा है ना जाने कहाँ से उसने, अपमान के हर घूँट को,
मुस्कुराकर पीते जाना, मुस्कुराकर पीते जाना।।
क्यों न हो फिर तकलीफ भंयकर, सीखा नहीं कभी टूटकर हारना,
जमाने की जंजीरों में जकड़े हुये, सीखा है सिर्फ उसने,
आगे-आगे बढ़ते जाना, आगे-आगे बढ़ते जाना।।
बेटी का हर रुप सुहाना, प्यार भरे हृदय का,
ना कोई ठिकाना, ना कोई ठिकाना।।
शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा । Hindi Poem on Beti
शाम हो गई अभी तो
घूमने चलो न पापा
चलते चलते थक गई
कंधे पे बिठा लो न पापा
अँधेरे से डर लगता
सीने से लगा लो न पापा
मम्मी तो सो गई
आप ही थपकी देकर
सुलाओ न पापा
स्कूल तो पूरी हो गई
अब कॉलेज जाने दो न पापा
पाल पोस कर बड़ा किया
अब जुदा तो मत करो न पापा
अब डोली में बिठा ही दिया तो
आँसू तो मत बहाओ न पापा
आपकी मुस्कुराहट अच्छी हैं
एक बार मुस्कुराओ न पापा
आप ने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा
इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनियाँ को समझाओ न पापा
ऐ मेरी प्यारी गुड़िया । Poems on Daughter in Hindi
ऐ मेरी प्यारी गुड़िया जीवन से भरी,
खुशियो की कड़ी जब से आई तू मेरे अंगना।
मेरे भाग्य खुले घर लक्ष्मी बसीऐ,
तेरे मासूम सवालो की लड़ी तोतली जुवा से,
हर एक बोली गुस्से मे कहे या रूठ कर
बोली लगती सुमधुर गीतो से भलीऐ।
घर लौटता शाम थक कर चूर चूर साहब के डाट से,
मन मजबूर सुन कर मेरे दो पहिए की आवाज।
भागी आती तू मेरे पास तेरी पापा पापा की पुकार,
हर लेती सब कर देती नई ऐ।
सोचता हू जब तू बड़ी होगी,
तेरी शादी लगन की घड़ी होगी।
कैसे तुझको बिदा दुंगा,
कैसे खुद को सम्भालुंगा,
सहम जाता हू निबर पाता हूं,
क्यो एैसी रीत बनी जग की ऐ।अरूण कुमार झा ‘बिट्टू’
बेटी (कविता) । Poems on Daughter in Hindi
बेटा है कुल दीपक,
जिससे होता एक घर रौशन ।
दो कुल की रोशनी जिससे,
बेटी है घर की रौनक।
सुन लो ऐ दुनिया वालो,
बेटी बोझ नहीं होती,
समझे जो लोग बेटा-बेटी को सामान ,
उनकी निम्न सोच नहीं होती।
बेटा है लाठी बुढ़ापे की,
बस कहने को,
बेटी है वास्तव में
सहारा माता-पिता का।
बेटा अगर है अभिमान,
बेटी गुरुर है माता-पिता का।
बेटे अगर हैं माता-पिता की आँखें ,
तो बेटी उनकी नाक(प्रतिष्ठा) है।
बेटे तो मात्र एक घर /कूल की शान है ।
मगर बेटी दोनों कूलों (ससुराल-पक्ष व् मायका पक्ष )
दोनों की शान हैं।
बेटी होती है पराया धन,
मगर “अपने” बेटे से कहीं अधिक,
अपना होता है वोह पराया धन।
पास रहकर भी जो बेटा,
माता-पिता के कष्टों से रहे अनजान।
मगर सौ कौस की दूरी से भी माता-पिता ,
में जिसके बसते हैं प्राण।
माता-पिता व् बेटी के जुड़े रहे एक तार से मन ,
ऐसी आत्मीयता ,
ऐसी घनिष्ठता सिर्फ एक बेटी ही दे सकती है।
लाड़ली बेटी (Hindi Poem on Betiyan)
लाड़ली बेटी जब से स्कूल जाने हैं लगी,
हर खर्चे के कई ब्योरे माँ को समझाने लगी।
फूल सी कोमले और ओस की नाजुक लड़ी,
रिश्तों की पगडंडियों पर रोज मुस्काने लगी।
एक की शिक्षा ने कई कर दिए रोशन चिराग,
दो-दो कुलों की मर्यादा बखूबी निभाने लगी।
बोझ समझी जाती थी जो कल तलक सबके लिए,
घर की हर बाधा को हुनर से वहीं सुलझाने लगी।
आज तक वंचित रही थी घर में ही हक के लिए,
संस्कारों की धरोहर बेटों को बतलाने लगी।
वो सयानी क्या हुई कि बाबुल के कंधे झुके,
उन्हीं कन्धों पर गर्व का परचम लहराने लगी।
पढ़-लिखकर रोजगार करती, हाथ पीले कर चली,
बेटी न बेटों से कम, ये बात सबको समझ में आने लगी।
क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं । Beti Par Kavita
क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं,
यही सवाल करती हूँ मैं,
लड़की हो, लाचार, मजबूर,
बेचारी हो, यही जवाब सुनती हूँ मैं।।
बड़ी हुई, जब समाज
की रस्मों को पहचाना,
अपने ही सवाल का जवाब,
तब मैंने खुद में ही पाया,
लाचार नही, मजबूर नहीं मैं,
एक धधकती चिंगारी हूँ,
छेड़ों मत जल जाओगें,
दुर्गा और काली हूँ मैं,
परिवार का सम्मान,
माँ-बाप का अभिमान हूँ मैं,
औरत के सब रुपों में
सबसे प्यारा रुप हूँ मैं,
जिसकों माँ ने बड़े
प्यार से हैं पाला,
उस माँ की बेटी हूँ मैं,
उस माँ की बेटी हूँ मैं।।
सृष्टि की उत्पत्ति का
प्रारंभिक बीज हूँ मैं,
नये-नये रिश्तों को
बनाने वाली रीत हूँ मैं,
रिश्तों को प्यार में
बांधने वाली डोर हूँ मैं,
जिसकों को हर
मुश्किल में संभाला,
उस पिता की बेटी हूँ
मैं, उस पिता की बेटी हूँ मैं।।
कलियों को खिल जाने दो । Beti Par Kavita
कलियों को खिल जाने दो,
मीठी ख़ुशबू फ़ैलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!
कलियाँ जो तोड़ी तुमने,
तो फूल कहाँ से लाओगे ?
बेटी की हत्या करके तुम,
बहु कहाँ से लाओगे ?
माँ धरती पर आने दो,
उनको भी लहलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!
माँ दुर्गा की पूजा करके,
भक्त बड़े कहलाते हो
कहाँ गयी वह भक्ति,
जो बेटी को मार गिराते हो.
लक्ष्मी को जीवन पाने दो,
घर आँगन दमकाने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो
बेटी पर कविता । कहती बेटी बाँह पसार
कहती बेटी बाँह पसार,
मुझे चाहिए प्यार दुलार।
बेटी की अनदेखी क्यूँ,
करता निष्ठुर संसार?
सोचो जरा हमारे बिन,
बसा सकोगे घर-परिवार?
गर्भ से लेकर यौवन तक,
मुझ पर लटक रही तलवार।
मेरी व्यथा और वेदना का,
अब हो स्थाई उपचार।
दोनों आंखें एक समान,
बेटों जैसे बेटी महान !
करनी है जीवन की रक्षा,
बेटियों की करो सुरक्षा
बेटी ये कोख से बोल रही । Poem on Daughters in Hindi
बेटी ये कोख से बोल रही,
माँ करदे तू मुझपे उपकार.
मत मार मुझे जीवन दे दे,
मुझको भी देखने दे संसार.
बिना मेरे माँ तुम भैया को
राखी किससे बंधवाओंगी.
मरती रही कोख की हर बेटी
तो बहु कहाँ से लाओगे
बेटी ही बहन, बेटी ही दुल्हन
बेटी से ही होता परिवार
मानेगे पापा भी अब माँ
तुम बात बता के देखो तो
दादी नारी तुम भी नारी
सबको समझा के देखो तो
बिन नारी प्रीत अधूरी है
नारी बिन सुना है घर-बार
नही जानती मै इस दुनिया को
मैंने जाना माँ बस तुमको
मुझे पता तुझे है फ़िक्र मेरी
तू मार नही सकती मुझको
फिर क्यों इतनी मजबूर है तू
माँ क्यों है तू इतनी लाचार
गर में ना हुई तो माँ फिर तू
किसे दिल की बात बताएगी
मतलब की इस दुनिया में माँ
तू घुट घुट के रह जाएगी
बेटी ही समझे माँ का दुःख
‘अंकुश’ करलो बेटी से प्यार
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो । Hindi Poem on Beti
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
मुझे भी तितली की तरह गगन में उड़ना है.
मेरे आने से पतझड़ भी बसंत बन जाए,
और खाली मकान भी घर बन जाए.
मै वही साहसी बेटी हूँ
जो भेद गयी अंतरिक्ष को भी.
मै जग की जननी हूँ
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
मुझे भी अटखेलिया करने दो
मुझे भी गीत मल्हार गाने दो
रोशन कर दूंगी घर को ऐसे
जैसे कोई चाँद सितारा हो
मै वही कर्मवती पद्मिनी, साहसी झाँसी रानी हूँ
जो न झुकेगी, न टूटेगी हर एक गम सह लेगी.
मै तेरी आँखों का तारा बनूँगी,
नाम तेरा रोशन करूंगी इस दुनिया में.
जब भी आएगी कोई बांधा या विपदा
मै तेरे साथ खड़ी होंगी, मै बेटी हूँ मुझे आने दो
मै भी कल-कल करती नदियों की तरह
इस दुनिया रूपी समुंद्र जीना चाहती हूँ
मै आउंगी जरुर आउंगी, फिर कुछ ऐसा कर जाउंगी
कि इस दुनिया को अमर कर जाउंगी.
मै कलियों में फूलो की तरह
तेरे घर को खुशियों से भर दूंगी.
मै वो वर्षा हूँ जो न आई तो
ये खुशियों से भरी धरा बंजर हो जाएगी.
मै सूरज की तरह चमकुगी.
फिर एक नया सवेरा लाऊंगी
मै बेटी हूँ मुझे आने दो, मुझे आने दो
नरेंद्र कुमार वर्मा
साहसी बेटियों पर कविता । Beti Par Kavita
ये भार नहीं सर का ताज है बेटियां
कड़कती ठंढ में सुहानी धुप का अहसाह है बेटियां
ये जब भी हस्ती है आसमान खिल सा जाता है
मानो खोई चीज मिलने पर सुखु सा मिल जाता है
देश का नाम शिखर पर पहुँचाती है बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
जिमेदारियो का एक मूर्ति है बेटियां
खुद बनाकर भी अंत में खाती है बेटियां
दुसरो से पहले खाती नहीं है
इसलिए ही अनपूर्णा कहलाती है बेटियां
अभिशाप नहीं वरदान है बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
बेटी का बहु का माँ का
एक एक रिश्ते को पवित्रता से निभाती है बेटियां
हर दुःख को हस्ते हस्ते सह जाती है बेटियां
उस घोर समुंद्र में इस कदर बह जाती है बेटियां
मगर यह सच है किसी को बताती नहीं बेटियां
ये भार नहीं सर का ताज है बेटिया।
कलियों को खिल जाने दो । Poem on beti bachao
कलियों को खिल जाने दो
मीठी खुशबू फैलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो।
कालिया जो तोड़ी तुमने
तो फूल कहा से लाओगे?
बेटी की हत्या करके तुम,
बहू कहा से लाओगे।
मा धरती पर आने दो
उनको भी लहराने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो
मा दुर्गा की पूजा करके
भक्त बड़े कहलाते हो
कहा गई वह भक्ति
जो बैठी को मार गिराते हो
लक्ष्मी को जीवन पाने दो
घर आंगन महकाने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो।
माता पिता की राज दुलारी होती हैं बेटियां ।
माता पिता की राज दुलारी होती हैं बेटियां
फिर ना जाने क्यों पराई होती हैं बेटियां
दुर्गा सरस्वती का रूप कहलाती हैं बेटियां
झिलमिल सितारों सा घर आंगन सजाती हैं बेटियां।
चिड़ियों सी खिल खिलाती है बेटियां
मन की उदासी को दूर कर खुशियां बाटती है बेटियां
आंगन में तुलसी के पौधे सी होती हैं बेटियां
गंगाजल की जैसी पवित्र होती हैं बेटियां ।
साहस और विश्वास से अंतरिक्ष तक पहुंची है बेटियां
अब तो वायुयान भी उड़ा लेती हैं बेटियां
नामुमकिन जैसा कोई काम नहीं है सब कर जाती हैं बेटियां
हर कठिनाई हर परिस्थिति में अपना कर्तव्य निभाती हैं बेटियां।
बेटी होकर बेटे का फ़र्ज़ आदा करती हैं बेटियां
फिर ना जाने क्यों परछाई होती हैं बेटियां।
बेटी पर कविता । Beti Par Kavita
जब जब जन्म लेती है बेटी,
खुशिया साथ लाती है बेटी |
ईस्वर की सौगात है बेटी,
सुबह की पहली सौगात है बेटी|
तारो की शीतल छाया है बेटी ,
आँगन की पहली पुकार है बेटी |
त्याग और समर्पण है बेटी,
नए नए रिश्ते बनती है बेटी |
जिस घर जाए उजाला लती है
बेटी बार बार याद आती है बेटी |
बेटी की कीमत उनसे पूछो,
जिनके पास नहींहै बेटी |
जिम्मेदारियों का बोझ । Beti Par Kavita
जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पर पड़ा तो
ऑटो, रिक्शा, ट्रेन को चलाने लगी बेटियां
साहस के साथ अंतरिक्ष तक बेध डाला
सुना वायुयान भी उड़ाने लगी बेटियाँ
और कितने उदाहरण ढूंढ कर लाऊ
हर शक्ति क्षेत्र आजमाने लगी बेटियाँ
वीर की शहादत पर अर्थी को कांधा देके
अब श्मशान तक जाने लगी बेटियां
घर में बंटा के हाथ रहती है माँ के साथ
पिता की हर एक बांधा हरती है बेटियाँ
कटु बोल बोलने से पहले सोचती है खूब
मन में डरती सहमती है बेटियाँ
बेटे हो भले उद्दण्ड भले दुखा दे आप का दिल
कष्ट सह के भी धैर्य धरती है बेटियाँ
प्रश्न ये ज्वनशील सब के लिए आज
नित्य प्रति कोख में क्यों मरती है बेटियाँ
– कविता तिवारी
“न जाने बेटियों का क्या कसूर है” । Poem on Betiyan mera kya kasur beti
माश्रे का तो ये दस्तूर है
न जाने बेटियों का क्या कसूर है
माँ बाप भी बेटियों की विदाई के लिए मजबूर है
लाड से पाल के दुसरो के हवाले करना बस यही एक जिंदगी का उसूल है
बड़ी चाहतो से तो विदा कर के लाते है दुसरो की बेटियों को अपने घर
कुछ ही अर्शे में वो सब चाहते चकना चूर है
फिर कुछ दिन में किसी की बेटी दिन रात के लिए
आप के लिए फ़क्त एक मजदूर है
मेरी माँ ने तो बड़ी उम्मीद से तुम्हारे हवाले किया था
तुमने भी तो साथ देने का वादा किया था
मेरी आँखों में आंसू ना आने देने का इरादा भी किया था
न जाने फिर अब हर बात पर तुम्हे ये लगता है कि बस मेरा ही कसूर है
बस मेरे ही दिमाग में फितूर है
मेरे मामले में आकर क्यों हर रिश्ता मजबूर है
माश्रे का तो बस यही एक दस्तूर है
क्या बेटी बन के आना ये मेरा कसूर है
– अज्ञात
“बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी”। Best and New Hindi Poem on Betiyan
बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
तारा बनुगी मै सहारा बनुगी
गगन पर चमके चंदा
मै धरती पर चमकुगी
धरती पर चमकुगी
मै उजियारा करूंगी
बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
पढूंगी लिखूंगी मै
मेहनत भी करूंगी
अपने पांव पर चलकर
मै दुनिया को देखूंगी
दुनिया को देखूंगी
मै दुनिया को समझूंगी
बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
फुल जैसे सुन्दर बागों में खेलूंगी
तितली बनुगी मै हवा को चुमुंगी
हवा को चुमुंगी
मै नाचूंगी गाऊगी
बेटी हूँ मै बेटी तारा बनुगी
तारा बनुगी मै सहारा बनुगी
– शेख तसिलमा हुसैनमाई
“कलियों को खिल जाने दो” । Poem on Beti
कलियों को खिल जाने दो,
मीठी ख़ुशबू फ़ैलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!
कलियाँ जो तोड़ी तुमने,
तो फूल कहाँ से लाओगे ?
बेटी की हत्या करके तुम,
बहु कहाँ से लाओगे ?
माँ धरती पर आने दो,
उनको भी लहलाने दो
बंद करो उनकी हत्या,
अब जीवन ज्योत जलाने दो!!
माँ दुर्गा की पूजा करके,
भक्त बड़े कहलाते हो
कहाँ गयी वह भक्ति,
जो बेटी को मार गिराते हो.
लक्ष्मी को जीवन पाने दो,
घर आँगन दमकाने दो
बंद करो उनकी हत्या
अब जीवन ज्योत जलाने दो
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बेटियों पर कविता – Poem On Beti Par Kavita In Hindi । बेटियों की कविताएँ आप सब को कैसे लगी कमेंट कर के जरूर बताये और अपने मित्रों संग शेयर जरूर करे