Poetry On World Child Labour Hindi:- विश्व में बाल मजदूरी दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है। बाल मजदूरी बच्चों से लिए जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। बचपन में सभी बच्चों का अधिकार होता है जो माता पिता के प्यार में सभी को मिलना चाहिए एक गैर कानूनी काम है जो छोटे बच्चे को जीने पर मजबूर करता हैं।
सरकार ने भी कानून बनाया हैं. की एक निम्न आयु से कम यदि किसी बच्चों की उम्र हैं तो उस बच्चों से अगर कोई काम कराता हैं. तो वह गैरकानूनी काम हैं. इसके लिए कानून में साजा का प्रवधान हैं.।
बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकार और अनेकों सामाजिक संगठन हैं. जो बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं. जिससे बालश्रम को रोका जा सके. एक अनुमान के अनुसार केवल भारत में 4 करोड़ बाल मजदुर हैं. बाल मजदूरी का मुख्य वजह गरीबी हैं.।
आइए अब कुछ नीचें Poem on Child Labour In Hindi में दिया गया हैं. इसको पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Child Labour Poem in Hindi में पसंद आयगी. इस बालश्रम पर कविताएं को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.।
बालश्रम पर कविताएं । Poem on Child Labour In Hindi । Child Labour Poem in Hindi

बाल मजदूर दिवस की कविताये ।Child Labour Day Poems in Hindi
मैं मजदूर हूं अपनी मजबूरी का बोझा ढ़ोता हूं
काट अपने सपनों के पंख घूंट सब्र का पीता हूं
दो वक्त की रोटी की खातिर रोज पसीना होकर
अपने दर्द को भी अपनी मुस्कानों में जीता हूं।।
लाचारी, गरीबी की मार से । child labour poems in hindi
लाचारी, गरीबी की मार से
मेरा नन्हा कोमल बचपन कहीं खो गया। है
नहीं रहने को ठिकाना
फुटपाथ ही अब मेरा घर हो गया।
चाहिए था होना कन्धो पर किताबो का झोला
दो वक्त की रोटी का जुगाङ ही तकदीर बन गया।
मुझे भी चाहिए थी कलम औरो की तरह
ये सपना तो बस एक सपना बनके रह गया।
क्या जमाने की मतलबी निगाहे नहीं पङती मुझ पर
या इंसान के अन्दर का जमीर ही मर गया।
मुझे भी चाहिए है ममता की घनी छांव
ईश्वर तो मुझे मेरा हक देना ही भूल गया।
विश्व बाल श्रमनिषेध दिवस । Poems On World Day Against Child 2023 in Hindi
कंधो पर जीवन का बोझ
किताबो की जगह हैं रद्दी का बोझ
जिस मैदान पर खेलना था
उसको साफ़ करना ही जीवन बचा
जिस जीवन में हँसना था
वो आंसू पी कर मजबूत बना
पेट भरना होता क्या हैं
आज तक उसे मालुम नहीं
चैन की नींद सोना क्या हैं
आज तक उसने जाना नहीं
बच्पन कहाँ खो गया
वो मासूम क्या बताएगा
जीवन सड़क पर गुज़र गया
वो यादे क्या बताएगा
कभी तरस भरी आँखों से
वो दो वक़्त का खाता हैं
कभी धिक्कार के धक्के से
वो भूका ही सो जाता हैं
बाल मजदूरी पाप हैं
नियम तो बना दिया
ये उसके हित में हैं
या जीवन कठिन बना दिया
जब आज खतरे में हैं
वो क्या जीवन बनाएगा
जब पेट की भूक ही चिंता हैं
तो वो क्या पढने जाएगा
बाल मजबूर मजबूर हैं
नियम और सताता हैं
अगर देश को मजबूत बनाना हैं
बाल मजदूरी क्या होता है । Best Poetry On Child Labour Day In Hindi
हथौड़ा चलता हुआ बच्चा
हांफ-हांफ जाता है
हर हथोड़े की चोट के साथ।
बच्चा अपने को पसीने से
तर-ब-तर पाता है
हर हथौड़े की चोट के साथ,
लोहा पीटते हुए
बच्चा होता है चूर-चूर
थकान से भरपूर।
बच्चे की हथेलियां
छालों से भर जाती हैं
उन पर ठेकें उग आती हैं |
बच्चा धोकनी चलाते हुए।
लोहा तपाते हुए
अपनी जिंदगी भी फूंकता है
लोहे की तरह दिन-रात
धोंकनी के साथ।
बच्चे को
सुखद अनुभूतियां देता है
नयी-नयी शक्ल में
बदलता हुआ सुर्ख लोहा
पिटने के बाद ठंडा होते हुए।
बच्चा बार-बार चिहक उठता है
पानी में गिरते ही
सुर्ख लोहे को छुन्न के साथ।
क्यों कि बच्चा जानता है
पिटे लोहे का ठन्डा होना
उसकी हथेली पर
ग्राहक की
चवन्नी-अठन्नी का उछलना है
उसके परिवार का पलना है।
चाइल्ड लेबर पोएम इन हिंदी । Child Labor Day Poem
पढने की जब उम्र थी उसकी,पढ़ नहीं पाया
मात-पिता निज स्वार्थ ने उसको काम लगाया
रह गया अंगूठा छाप आज करता मजदूरी
नहीं पढाया उसको क्यूँ ,थी क्या मजबूरी
नन्ही अंगुली ने बीडी के धागे बांधे
भार उठाया उम्र से ज्यादा दूखे काँधे
मंद रोशनी में बुनता था रात गलीचा
सुबह उठा मालिक का सींचा बाग़ बगीचा
रंग रासायनिक से की हैउसने वस्त्र छपाई
झूठी प्लेट उठा कर जिसने भूख मिटाई
वर्कशॉप में मार वो, जब औजार से खाता
नन्हा दिल बस सुबक सुबकता रो नहीं पाता
सड़क पार करता ,ले जा कर चाय केतली
जान बचा ट्रेफिक से लड़ता सड़क हर गली
ढाबे में हम जब भी जाकर खाना खाते
‘छोटू ‘दे आवाज उसीसे जल मंगवाते
मेज पोंछता नन्हे हाथ जब रखते थाली
थोड़ी सी गलती पे ,खाता ढेरों गाली
बाल श्रम पर कविता । Child Labor Day Poem
किस गुमनाम अँधेरे में
ऐ भारत तू पनप रहा
जहाँ यूवा बल ही हैं शक्ति
कैसे अँधेरा गहरा रहा
जिन हाथों होना था कलम दवात
वो कैसे ईट गारों में सन रहा
कैसे मासूम सा फ़रिश्ता
दो वक्त की कमाने निकल रहा
किन कंधो पर बोझ डाल
ऐ जीवन तू गुजर रहा
जो ममता के आँचल में खिलना था
वो कैसे कीचड़ से लिपट रहा
जिन मासूम की आँखों में
कोई सपना भी भूल कर ना आये
जिन नन्हों के जीवन में
कोई अक्षर ज्ञान भी ना छाये
जिनके कोमल बचपन पर
बस मज़बूरी ही लहराए
ऐसे अभागे बचपन ही
बाल श्रमिक कहलाये
बाल श्रमिक कहलाये.
बाल श्रम पर कविता । Short Poem On World Child Labour In Hindi
चोरी नहीं, लूटमारी नहीं, तहज़ीब से गरीबी पाले हुए हैं,
मजदूर के तो बच्चे भी घर संभाले हुए है…
आइये आज इस विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर
हम संकल्प लें कि हम बाल श्रम के खिलाफ समाज में
जागरूकता फैलाएं और मासूमों के बचपन के साथ खिलवाड़ ना होने दें।।।
बाल श्रमिक पर चर्चा केवल हम सब करते
हालत उनकी देख के झूठी आहें भरते
सोचो अपने बच्चों से भी,
क्या हम ये करवाते
करवाना तो दूर, सोच कर , नयन भर आते
आँखों में ‘ छोटू’ स्थान पे पुत्र को लाओ
फिर उस बालक को अपना इन्साफ दिलाओ
बाल श्रमिक निषेध दिवस है,
आज मना लो निष्ठुर हाथों के जुल्मों से
बाल बचा लो बाल मजदुर मजबूर हैं।।।
विश्व बाल मजदूरी निषेध दिवस पर कविता
उमर जब खेलने की थी खिलौनों से।
वो सोचने लगा,पेट कैसे भरेगा निबालों से।
भाग्य से किश्मत से, होकर के मजबूर।
अबोध बालक ही, बन जाते हैं मजदूर।
पेट की भूख, इनको मजबूर बनाती।
कड़की ठंड में भी, जीना सिखाती।
उठे जब भाव दर्द, अश्रु ही वो बहाते।
बिन पोछे, स्वयं सूर्यदेव कभी सुखाते।
उमर भी रही कम, जब बनाने थे थाट।
छोड़ गुरुर,सहनी पड़ती मालिक की डांट।
कहीं चाय बेचे, अखबार भी कहीं पर।
जब क्षीण हो शक्ति, रो बैठे जमीं पर।
मृदुल हाथों से वह हथियार चलाता।
मात पितु का जब साया उठ जाता।
कथनी व करनी बाल मजदूरी पर ऐसी।
समाज में लगती सेमल फूल जैसी।
निरर्थक हो जाती हैं बाल योजनाएं।
जब नन्हा दुलारा मजदूरी कमाए।
माना किश्मत ने किया है,उसके साथ धोखा।
मगर सभ्य समाज ने, उसे क्यूँ नहीं रोका।
दे देता कलम और, किताब उसके हाथों में।
किश्मत बदल सकती, उसकी जज्बातों में।
आओ इनकी बेवशी को, खुशियों से झोंक दें।
चलों यारों अब तो, बाल मजदूरी को रोक दें।
मेरी आँखों में भी पलते है मासूम सपने । Best Poetry On Child Labour Day In Hindi
मेरी आँखों में भी पलते है मासूम सपने
पेट की भूख तले सपनो का गला दब गया।
मुझे भी खेलना है खिलौनो के संग
किस्मत की लकीरे कुछ ऐसी गढी खुद एक खिलौना बन गया।
तरस खाते है लोग मेरी बेबसी पर
लेकिन स्वार्थ, मेरे लिए उनके हाथ बाँध गया।
कूङे के ढेरो में पलता है मेरा बचपन
मतलब परस्त जमाना मुझ पर हंसकर चैन से सो गया।
मेरे नन्हे हाथ लोगों की चाकरी कर रहे
मुकद्दर के अागे मेरी उम्मीदो पर भी अँधेरा घिर गया।
कहते हैं बच्चे भविष्य है इस देश का…..
और एक भ्रष्टाचारी मेरे भविष्य से ही राजनीति कर गया।
-आस्था गंगवार
बाल मजदूरी पर स्लोगन । Anti Child Labour Day Slogan in Hindi
माना मेहनत श्रम जीवन में आवश्यक,
लेकिन शिक्षा का भी है महत्वपूर्ण!
बचपन बचाएं, बाल मजदूरी को मिटाएं।
शिक्षा ग्रहण करने का क्षण, छोड़े मजदूरी और श्रम!
बाल व्यापार पर रोक लगाएं,
सब मिलकर एक अच्छा भविष्य बनाएं!
नन्हें नन्हें हाथों को,
बाल मजदूरी से दूर रखों इन प्यारों को!
बच्चे देश को आगे ले जायेंगे,
यदि उन्हें मजदूरी पर ना लगाएंगे!
मत करवाओ बच्चों से इतनी कमाई,
अब करने दो सिर्फ इन्हें पढ़ाई!
सबने यह ठाना है,
बाल मजदूरी को जड़ से मिटाना है!
बच्चों का जीवन नष्ट न करें,
इसलियें बाल श्रम को खत्म करें!
लेबर चाइल्ड पोएम । Labour Child Poem
बालपन की किलकारी भूख के ताप से हुआ मूक,
पोथी छोड़ कुदाल खोदते हाथ का मार अचूक !!
कीचड़, धूप, आँधी में श्रम करना हुआ मजबूरी,
गरीबी की पराकाष्ठा, पेट और पीठ की घटती दूरी !!
कुछ धनहीनता और कुछ माता-पिता की मूर्खता,
किन्तु सबसे ज्यादा स्वार्थी समाज की संवेदनहीनता !!
जिसने बालक को श्रमिक बनने को बाध्य किया,
लेखनी को छीन कोमल हाथों में छड़ी पकड़ाया !!
गाय-बकरी की सेवा करता बाल्यजीवन कुरूप,
अपने भविष्य को दरिद्र करता अज्ञान और अबूझ !!
विदयोपार्जन की किसको फुर्सत? स्थिति तो ऐसा हुआ,
दो दाना अन्न के लिए बालपन चोर बनने को आतुर हुआ !!
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