नारी शक्ति पर कविता। Poem On Nari Shakti In Hindi

4.3/5 - (3 votes)

मनाव जीवन जो आज हम सभी लोग जी रहे है वो केवल महिलाओ या नारी  के कारण ही संभव हो पाया है। नारी ही है जो अपने बच्चे को नव महीने तक अपने पेट में रख कर उसे जन्म देती है।

दुनिया आज जिसे हम बोलते है वो महिलाओ (नारी) के शक्ति के करन ही हुआ है। आज वहीं नारिया हमारे आपके घर पर है जिन्हें हम माँ, बहन, बुआ, दादी, मौसी, भाभी, मामी, पतोह,बहु,सास, चाची,बेटी कहते है। 

हम्म सभी को Nari Shakti को नमन करना चाहिए और महिलाओंं को सम्मान देना चाहिए जाहे कोई भी हो अगर नारी हमें बस, ट्रेन, गाड़ी, ऑटो, या फिर स्कूल,  गावं , शहर कहीं भी दिखें तो हमें सम्मान के साथ देखना चाहिए। आज की जो भी कविता यानि पोएम आप को पढ़ने को मिलेगा वो सारे Poem Nari Shakti पर है। साथ ही में आप को बताना चाहता हु की महिला दिवस 8 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

नारी शक्ति पर कविता। Best Poem On Nari Shakti In Hindi

इस दुनिया की शान है नारी

इस दुनिया की शान है नारी शक्ति का अवतार है नारी
घर आंगन की मुस्कान है नारी ईश्वर के समान है नारी

नारी शक्ति पर कविता इन हिंदी। Poem On Nari Shakti In Hindi

शीर्षक  –  वो इक नारी है 

वो घर से निकलती है
नया इक माकाम बनाती है
वो घर आ कर अपनी भूमिका भी
खूब निभाती है

वो इक नारी है , वो इक नारी है ।
माँ बनकर ममता की बौछार लगाती है
पत्नी बनकर सुख – दुःख में साथ निभाती है

बहन बनकर कितना स्नेह लुटाती है

हर रूप में लगती प्यारी है
वो इक नारी है , वो इक नारी है ।
कहने को तो वो है बहुत महान

नारी है नर की खान
फिर भी मिलता नहीं उसको
उसका उचित स्थान

आओ हम सब मिलकर 
नारी का सम्मान करें

“उस पर गर्व करें आभिमान करें
उस पर गर्व करें आभिमान करें “

– रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)

नरी पर कविता । Nari Shakti Kavita

शीर्षक  – नारी : अबला नहीं सबला

कोमल है  कमजोर नहीं 
अब साबित कर दिखाना है

आजादी की नींव खोदकर
प्रगति का  पत्थर लगाना है

दया और माया की मूरत
जब बनती महतारी है

रौद्र रूप कर लेती धारण
गर सामने अत्याचारी है

अपने साहस के दम पर 
अब नवल इतिहास बनाना है

बेङियों को तोङकर 
बस आगे कदम बढ़ाना है।

– दीपाली गुप्ता

Nari shakti Poem । नारी शक्ति पर पोएम

क्षीण नहीं,अबला नहीं,
ना ही वह बेचारी है,
जोश भरा लिबास पहने,

गर्व से चलती,आज की नारी है।
त्याग की सूरत,ममता की मूरत,
तो कभी देवी का प्रतिरूप कही,

जैसी जिसने मांग करी,
वह ढलती उसके स्वरूप रही।

आजादी के सफर में,अब
तंग गलियों का रुख मोड़ रही है,
प्रतिबंध की दीवारों को,

हौसलों के हथौड़े से वह तोड़ रही है।
लड़की हो,तुमसे नहीं होगा,

यह बातें अब सारी धुआं है,
ऐसा कोई क्षेत्र बता दो, जिसमें,

नारी ने बुलंदियों को नहीं छुआ है।
योद्धा बनी वह हर परिस्थिति में,

उसके होने से जीवन में जान है,
झंकार है उसकी पायल से,
नहीं तो आंगन सूना और वीरान है।।

– कीर्ति 

Kids Poem In Hindi । बच्चों की बाल कविताएं 

Best Poem On Nari Shakti In Hindi

नारी हुं कमजोर नहींं

साथ तुम्हारे ही रह कर,
तुमको कमजोर बनाऊंगी,
अपनी आजादी ‌की राह की,

कि हर कांटे को सह जाऊंगी!!
नारी हुं कमजोर नहींं,
अब अपमान ना सह पाऊंगी,

मेरे अंदर है आग भरी,
बन भानु ज्योत फैलाऊंगी!!!
अन्याय सहन नहीं अब करना,
अपनी हर कर्तव्य निभाऊंगी,

किंतु शोषित नहीं रह पाऊंगी,
अपने लक्ष्य को करने हासिल,
हर चुनौती पार कर जाऊंगी !!

तेरी मुट्ठी में कैद ना समझ मुझे,
तुझको खोखला कर जाऊंगी,

अपनी बुद्धि की छेनी से,
सौ टुकड़े तुझको कर जाऊंगी !!!

मिले प्यार सम्मान अधिकार मुझे,
खुद को सुपुर्द कर जाऊंगी,

अन्याय सहन नहीं अब करना,
बन काली अन्याय मिटाऊंगी !!

 –  मनीषा झा ( गुजरात)

Nari Sashaktikaran Par Kavita । नारी सशक्तिकरण पर कविता

नारी सब पर भारी

पुरुष प्रधान समाज रहा
रूढ़ियों के अनुरूप
परिवर्तन नियम जीवन का

बदल रहा हर रूप।
जो सदियों से सहती आई
लोक शर्म और लाज

साहस आज बांधकर थामे
हाथों में औजार।
आज उड़ान भरी है देखो

सपने हों साकार
धीरे-धीरे रूप को अपने
दे रही वो आकार।

नारी रूप निखर जब आए
पौरुष भी घबराए

सक्षम कुशल व्यक्तित्व उसका
देख पसीना आए।

नारी बेचारी कह कहकर
शोषित बहुत कर डाला

खुद को सशक्त कर उसने
नारी सशक्तिकरण कर डाला।

अपनी काया को काट छांट
सब बंधन उसे हटाने हैं

अपनी पहचान बना
समाज को अद्भुत रूप दिखाने हैं।

– सरोज रावत बागेश्वर (उत्तराखंड)

आज की नारी पर कविता । Poem On Aaj Ki Nari In Hindi

क्षीण नहीं, अबला नहीं,
ना ही वह बेचारी है,
जोश भरा लिबास पहने,
गर्व से चलती,आज की नारी है।

त्याग की सूरत,ममता की मूरत,
तो कभी देवी का प्रतिरूप कही,
जैसी जिसने मांग करी,
वह ढलती उसके स्वरूप रही।

आजादी के सफर में,अब
तंग गलियों का रुख मोड़ रही है,
प्रतिबंध की दीवारों को,
हौसलों के हथौड़े से वह तोड़ रही है।

लड़की हो,तुमसे नहीं होगा,
यह बातें अब सारी धुआं है,
ऐसा कोई क्षेत्र बता दो, जिसमें,
नारी ने बुलंदियों को नहीं छुआ है।

योद्धा बनी वह हर परिस्थिति में,
उसके होने से जीवन में जान है,
झंकार है उसकी पायल से,
नहीं तो आंगन सूना और वीरान है।।

नारी शक्ति पर सुंदर कविता । Best Hindi Poems On Nari Shakti

तूने क्यूँ अपनी कीमत ना पहचानी?
तू ही जगत जननी दुर्गा भवानी,
तेरे आँसुओं की वो अविरल धारा

क्या कोई उनका मोल है चुका पाया?
बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने,
तेरी सुनी कहानी

क्या खूब लड़ी वो नारी,
जिसने अपनी शक्ति पहचानी।

बड़े-बड़ो को धुल चटाई,
वीरांगना स्वतंत्रता सेनानी

सीखा गई वो सीख,
जो हमें थी सीखानी।

फिर भी नारी,
कैसे तूने अपनी शक्ति ना पहचानी

कित्तुर रानी चेनम्मा हो,
या झाँसी की झलकारी बाई।

घोर जंगल में गरजते बाघ को,
निडरता से मार गिराई।

इनकी तलवारों के आगे,
कोई भी सेना टीक ना पायी।

लहू बहा कर भी,
आजादी की दहाड़ सुनाई।

फिर भी नारी,
कैसे तूने अपनी शक्ति ना पहचानी?
भारत की बुलबुल,

सरोजनी नायडू,
पहली नारी राज्य गवर्नर का पद पायी

उत्पीड़न के विरूद्ध आवाज।
इन्होंने भी उठायी,

भाषण में साहस व
कार्यवाही में ईमानदारी,

इन्होंने ही बताई फिर भी नारी।
कैसे तूने अपनी शक्ति ना पहचानी,
तूने अनेकों महिषासुर का किया संहार।

तूने हर जीव में किया,
जीवन का संचार।

तूने हर स्पंदन को,
अपनी छाती से है सींचा।

फिर इन लक्ष्मण रेखाओं,
को किसने खींचा?

कैसे सबने मिल के,

तेरे करूणमयी शीश।
को शर्म से है झुकाया,

तेरे आँसुओं की वो अविरल धारा।
क्या कोई उनका मोल है चुका पाया?

दहेज के लिए जलाए जाना,

कोख में बेटी की निर्मम हत्याएँ,
तूने कैसे जीना सीखा?

तू क्या भूल गई,
तू ही दुर्गा तू ही भवानी,
फिर कैसे जिंदा है ये दुराचारी?

नारी शक्ति पर कविता हिंदी में । नारी सब पर भारी कविता

पुरुष प्रधान समाज रहा
रूढ़ियों के अनुरूप
परिवर्तन नियम जीवन का
बदल रहा हर रूप।

जो सदियों से सहती आई
लोक शर्म और लाज
साहस आज बांधकर थामे
हाथों में औजार।

आज उड़ान भरी है देखो
सपने हों साकार
धीरे-धीरे रूप को अपने
दे रही वो आकार।

नारी रूप निखर जब आए
पौरुष भी घबराए
सक्षम कुशल व्यक्तित्व उसका
देख पसीना आए।

नारी बेचारी कह कहकर
शोषित बहुत कर डाला
खुद को सशक्त कर उसने
नारी सशक्तिकरण कर डाला।

अपनी काया को काट छांट
सब बंधन उसे हटाने हैं
अपनी पहचान बना
समाज को अद्भुत रूप दिखाने हैं।
सरोज रावत बागेश्वर (उत्तराखंड)

महिला दिवस पर कविताएं ।। नारी महिमा पर कविता।

आज की नारी हूँ मैं

नारी हू ! आज़ की ख़ुले आसमान मे उडना चाहती हू मै ।
बाध अपनीं जिम्मेदारियो का जुडा अपने सपनो को पूरा क़रना चाहती हू मै ।।

अब अपनी ज़ुल्मो का शिक़ार नही ब़ना सकता कोईं मुझ़े ।
अपनें गगन को सितारो से सज़ाने वाली क़िरण बेदी हू मै ।।

न मज़बूर,न बेब़स और न लाचार समझ़े कोई मुझें ।
अन्तरिक्ष मे ज़ाकर परचम लहरानें वाली क़ल्पना चावला हू मै ।।

अपनी मर्यांदा को अच्छीं तरह समझ़ती हू ।
मानवता क़ी सेवा करनें वाली मदर टेरेसा हू मै ।।

पर्वतो की ख़ाई से अब डर नही लग़ता मुझें।
अपनी अदम्य साहस क़ा परिचय देनें वाली अरुणिमा सिन्हा हू मै ।।

बात ख़ूबसूरती की हों या ज़ानकारी की।
सुस्मिता और ऐश्वर्यां ब़न अपने देश का नाम रौशन करनें वाली हू मै।।

हर क्षेत्र मे अपनी काब़िलियत का परिचय दिया हैं मैने ।
कही डाक्टर,कही इंजिनियर,कही शिक्षिका,
कही सैनिक़ और कही मंत्री ब़न उठ खडी हुई हू मैं ।।

अब अब़ला नही सब़ला बन।
नयें इतिहास की रचना करनें चल पडी़ हू मै ।।
आज़ की नारी हूं मैं।।

रूपम

नारी शक्ति पर कविताएँ । Hindi Poem On Nari Shakti 2023

तू है दुर्गा तू है काली 
सबने ये स्वीकार किया है।
 
तू खुद को पहचान न पाती 
सारा जीवन यु बिताती

सबका सबकुछ सुनते सुनते 
तू बस खुद से जान छुपाती 

क्यों तू कुढ़ को मान न देती 
क्यों तू खुद को जान न लेती 

तेरी अपनी सोच अलग है 
तेरा खुश रहना भी हक़ है। 

तेरे भी कुछ उमीदे है 
तुझको भी सपने आते है। 

तू बस सबकी सुनती रहती 
सबके आगे सर को झुका के 

तू बस दिल का दर्द छिपाती 
 ऐसा भी दिन आएगा 

सबको सब कुछ मिल जाएगा 
पलट के एक आवाज आएगी
 
किसने ये सब कहा था करने 
उस दिन बस तू पछताएगी।

आए दिन नारी शोषण होता ही रहता है नारी वो के ऊपर बहुत अत्याचार होता है। हमें महिलो पे होने वाले अत्याचार को कम करने में मदत करनी होगी और Nari Shakti के ऊपर अपना समय देना होगा नारी सशक्तिकरण करना ही होगा आप से उम्मीद है आप महिलाओंं को सम्मान देंगे।

Leave a Comment