
हनुमान जी के जन्म के बारे में एक कथा आनन्द रामायण में उल्लेखित है, जिसमें हनुमान जी को राम का सगा भाई बताया गया है। इस कथा के अनुसार ब्रह्म लोक की सुर्वचना नामक अप्सरा ब्रह्मा के शाप से गृध्री हुई थी।
राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ में जो हव्य कैकेयी को खाने को दिया था उसे यह गृध्री कैकेई के हाथ से लेकर उड़ गई। यह हव्यांशा ही अंजना की गोद में गृध्री की चोंच से छूटकर गिरा, जिसे खाने से वानरराज कुंजर की पुत्री अर्थात् केसरी की पत्नी अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का प्राकट्य हुआ।
इस गृध्री की याचना पर ब्रह्मा ने यह कहा था कि दशरथ के हव्य वितरण करते समय जब तू कैकेई के हाथ से हव्य छीनकर उड़ जायेगी तो तू उस हव्य को नहीं खा सकेगी लेकिन उससे तेरी मुक्ति हो जायेगी। ब्रह्मा के वरदान के अनुसार यह गृध्री शाप से मुक्त होकर पुनः अप्सरा बन गई।
हनुमान जी अपार बलशाली होने के साथ ही वीर साहसी, विद्वान, सेवाभावी, स्वामीभक्त, विनम्रता, कृतज्ञता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता के धनी भी थे।
भगवान हनुमान अपने कौशल और बुद्धि के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अकेले ही पूरे लंका को जला दिया और यहां तक कि महान शक्तिशाली रावण भी उन्हें नहीं रोक पाया वह शक्तिशाली होने के साथ ही शांत और सौम्य भी है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों और हनुमान चालीसा में या विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि हनुमान अपने पूजा और शौर्य साहस और जीवन शक्ति प्रदान करते हैं।
हनुमान जी को भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम माना गया है। वे अपनी निष्काम सेवाभक्ति के बलबूते ही पूजे जाते हैं। उनके समान भक्ति सेवा का उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।
आइए! हनुमान जन्मोत्सव की शुभ अवसर पर हनुमान चालीसा का गुणगान कर उनकी कृपा के पात्र बने-

दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन। तेज प्रताप महा जगबन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।।
लाय संजीवन लखन जियाए। श्री रघुबीर हरषि लाए।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मदि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिक्पाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्त्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीों लोक हांक ते कांपै।।
भूत पिचाश निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन-कर्म-वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काम सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्वि नव निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुःख बिसरावै।।
अंतकाल रघुबर पुर जाई। जहां जनम हरि भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गुसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महासुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा- पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
इति श्री हनुमान चालीसा।
अतुलितबलघामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं शानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

हनुमान जन्मोत्सव पर कविता 2023 । Poem on Lord Hanuman in in Hindi
हर जाती को चाहता है
हर छाती मे धडकता है
किसानों का अभिमान है
वो शेर हनुमान है!!
तलवार की धार है.
बरसता अगार है.
आसमान मे निशान है.
वो शेर हनुमान है!!
जिसने आके किया पाप है.
उसको दी वही मात है.
इसके पास हर कमान है.
वो शेर हनुमान है!!
जो जन बेगुनाह है.
उनकी यह पनाह है.
सत्य का श्रीमान है.
वो शेर हनुमान है!!
मैदानएजंग का शुर है.
वीरो का वीर है.
उसकी शक्ती तूफान है.
वो शेर हनुमान है!!
समुद्र का भूचाल है.
जवानों का नाज है.
धरती कि शान है.
वो शेर हनुमान है!!
निष्ठावान् विधायक है.
हर शख्स का रखवाला है.
मारवाड का ताज है.
वो शेर हनुमान है!!
विरोधियो को फाडा है.
दलगतो को तोडा है.
बडा जिदादिल इँसान है.
वो शेर हनुमान है!!
बिजली सा चमका है.
बादल सा गरजा है.
चट्टानोँ सा बलवान है.
वो शेर हनुमान है!!
आज सुनाई हुँकार है.
तुम्हेँ खुली ललकार है.
जिसे किसानों का मान है.
वो शेर हनुमान है!!
साथ जनता की रवानी है,
यही विजय की कहानी है.
फिर आयेगा हमे विश्वास है.
वो शेर हनुमान है!!
उंचा ये पहाड है,
शेर कि दहाड है.
‘तेजाभक्त’ गाये गुणगान है,
वो शेर हनुमान है!!
-बलवीर घिंटाला तेजाभक्त
बजरंगबली पर हिंदी कविता । Best Short Hanuman Ji Poems Shayari
जिनको श्रीराम का वरदान है.
गटा धारी जिनकी शान है
बजरंगी जिनकी पहचान है,
संकट मोचन वो हनुमान है।
जय बजरंगबली
राम दूत कहलाते लक्ष्मण जी के प्राण बचाते,
सीता माता की करते सेवा,
ऐसे है हमारे हनुमंत देवा ||
दुश्मनो को मार गिराया,
राम चंद्र जी को मार्ग दिखाया,
दीन दुखीयों की करते दूर पीडा,
ऐसे है हमारे हनुमंत देवा |
हनुमान कविता कोश । हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
जय हनुमान ज्ञान के सागर,
कृपा करो हे कष्ट के नाशक,
पवनतनयअंजनी के लाला,
श्रीरामजी की सेवा
ही है काम तुम्हारा।
बल बुद्धि के तुम हो स्वामी
कृपा करो हे जग के स्वामी।
ज्ञान शक्ति के तुम हो दाता
दुखियों के तुम भाग्यविधाता
तुम लक्ष्मण के प्राण बचाए
पूंछ से अपनी लंका को जलाए
हम सब करे गुण गान तुम्हारा
कष्टभंजन करो कल्याण हमारा।
मंगलमूरति करुणा के सागर,
सब जग में हो तुम्हीं उजागर,
भक्तों को भवसागर से
राम नाम जप तुमने उभारा
श्रीरामजी की सेवा
ही है काम तुम्हारा।
मैं कवि हूँ कविता गाऊँगा । hanuman poems
मैंकवि हूँ, कविता गाऊँगा,
लफ़्ज़ों के बाण चलाऊँगा।
व्यथा दुखियों की तुम्हें,
मैं गाकर रोज़ सुनाऊँगा।
मैं कोई राजकवि नहीं जो,
क़सीदे पढ़ ख़ुश हो जाऊँगा।
मैं तो फक्कड़ शायर हूँ,
प्रश्न शासन पर भी उठाऊँगा।
में साधक वीणापानी का,
पाठक ग़ज़ल औ कहानी का।
मेरी क़लम सदा सच बोलेगी,
स्याही परत सत्य की खोलेगी।
मेरी कविता आँखों में उतरेगी,
लहू की तरह ये तो बिखरेगी।
शोषित लोगों का ढाल बनेगी,
शासन के समक्ष सवाल बनेगी।
मैं लिखूँगा लोगों की लाचारी,
युवाओं की पीड़ा और बेकारी
गाऊँगा किसान के दुख को,
भ्रष्ट सरकार के भी रुख़ को।
क्यों स्कूलों में शिक्षा रही नहीं,
क्यों व्यवस्था सरकारी सही नहीं।
क्यों दवा का इतना अकाल है,
क्यों हर तरफ मचा बवाल है।
क्यों फैली है यहाँ इतनी लाचारी,
क्यों बेबस रोती जनता बेचारी।
क्यों मृत्यु पर भी मान नहीं मिलता,
उचित यहाँ सम्मान नहीं मिलता।
में भ्रष्टाचार का सवाल उठाऊँगा,
शासन को भी आँख दिखाऊँगा।
में अदब की महफ़िल सजाऊँगा,
नई पीढ़ी को अदब सिखाऊँगा।
में कवि हूँ, कविता गाऊँगा,
रौशनी हर तरफ़ फैलाऊँगा।
अंधकार के इस आँगन में,
चिराग ज्ञान का जलाऊँगा।
में कवि हूँ, कविता गाऊँगा।
हनुमान जन्मोत्सव । Hanuman Janmotsav
प्रकट दिवस हनुमान जी का आया आज।
श्रीराम का बन भक्त सबके सँवारे काज॥
माँ वैष्णों का तो ये तो है राज दुलारा।
सिंह वाहिनी का ले लाल झंडा चले ये पुत्र प्यारा॥
चैत्र माह की पूर्णिमा का दिन शुभ हो आया।
पावन दिन हनुमान जन्म के संजोग समाया॥
सेवक न होय कोई इस बजरंग बली जैसे।
उर में समाए जो भगवान को ऐसे॥
इनकी सेवक भक्ति ही जग को राह दिखाए।
हनुमान चालीसा हर बला को दूर भगाए॥
अपने प्रभु की सहज कही हर बात को गले लगाया।
हर असम्भव को संभव कर दिखलाया॥
हे पवनपुत्र हनुमान तेरी भक्ति, शक्ति को नमन हमारा।
जग की नकारात्मकता को दूर कर फैला दो उजियारा॥
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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उम्मीद करूँगा की आप को ये हनुमान जन्मोत्सव पर कविता । बजरंगबली का जन्मोत्सव पर कविता । Poem on Hanuman Janmotsav in Hindi पसंद आई होगी और आपसे निवेदन करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा आप इस हनुमान जन्मोत्सव पर कविता को अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों को भी शेयर जरूर करें धन्यवाद