महुआ का पेड़ छत्तीसगढ़ी लोक कथाएँ/कहानियाँ । Chhattisgarhi Folk Tales In Hindi

5/5 - (1 vote)

बहुत पुरानी कहानी है। एक गांव में एक मुखिया रहता था जो अपने अतिथियों से बड़े आदर से बड़े प्रेम से पेश आता था। वह मुखिया हमेशा इन्तजार करता था कि उसके घर कोई आये, और वह उसकी देखभाल बहुत अच्छी तरह करे, और रोज़ सुबह मुखिया यही सोचता था कि आज अतिथियों को खिलाया जाये, क्या पिलाया जाये ताकि अतिथि खुशी से झूम उठे।

अतिथि बड़ी खुशी से झूम उठे। अतिथि बड़ी खुशी से वहाँ से विदा लेते और जाने से पहले मुखिया को हमेशा कहते कि उन्हें इतने अच्छे से किसी ने नहीं रखा। लेकिन मुखिया के मन में यही बात खटकती कि अतिथि खुशी से झूम नहीं रहे हैं।

रोज सुबह होते ही मुखिया जंगल में घुमता रहता, फूल कंदमूल इकट्ठे करते रहता था ताकि कोई अतिथि अगर आये, तो उन्हें अच्छी तरह से भोजन करा सके।

मुखिया का बेटा भी अपने पिता की तरह अतिथि सत्कार में बड़ा माहिर था। एक दिन जब उनके घर में मेहमान आए जो पहले भी आ चुके थे, मुखिया और मुखिया का बेटा दोनो कंद-मूल और फलों से अच्छी तरह से उनका सत्कार किया। मेहमान भी बड़े प्यार से, खुशी से खा रहे थे। खाते-खाते मेहमान ने कहा – “इस जंगल में सिर्फ यही फल मिलता है – हमारे उधर के जंगल में बहुत कि के फल होते हैं। पर मुझे तो ये फल बहुत ही अच्छा लगता है।”

मुखिया का बेटा अपने पिता की ओर देख रहा था। मुखिया ने कहा – “हम जंगल में घुमते रहते हैं ताकि हमें कुछ और किस्म का फल मिल जाए। लेकिन इस जंगल में सिर्फ ये ही पाई जाती है” –

अतिथि ने कहा – “मुझे तो सबसे बेहतर आप का अतिथि सत्कार लगता है। इतने आदर से तो हमें कोई भी नहीं खिलाता।”

उस रात को मुखिया का बेटा मुखिया से कहा – “मैं कुछ दिन के लिए जंगल के भीतर और अच्छी तरह से छानबीन करने के लिए जा रहा हूँ। देखु-अगर मुझै कुछ और मिल जाये” –

मुखिया को बड़ा अच्छी लगी ये बात। उसने बेटे से कहा – “हाँ बेटा, तू जा” –

कई दिन तक मुखिया का बेटा जंगल में घूमता रहा पर उसे कोई नई चीज़ दिखाई नहीं दी। घूमते-घूमते वह बहुत ही थक गया था, एक पेड़ के नीचे बैठ वह आराम करने लगा। अचानक उसके सर पर एक चिड़िया आकर बैठी। और फिर फुदकती हुई चली गई।

अरे! ये चिड़िया तो बड़ी मस्ती से झूम रही है। उसने चारों ओर देखा – यहाँ की सारी चिड़िया तो बड़ी खुश नज़र आ रही है। क्या बात है? वह गौर से देखता रहा चिड़ियों की ओर। उस पेड़ के नीचे एक गड्ढ़ा था जिसमें पानी था।

चिड़िया उड़ती हुई उस गड्ढ़े के पास गई, उन्होंने पानी पिया और झुमते हुये चहकनी लगी और जिस चिड़िया ने अभी तक पानी नहीं पिया था, वह उतने उत्साह से झूम नहीं रही थी। इसका मतलब है कि उस पानी में खुच है।

मुखिया का बेटा गड्ढ़े के पास बैठ गया और उसने गड्ढ़े का पानी पी लिया। अरे – ये पानी तो बड़ा अजीब है। पीने से झूमने को मन करता है। क्या है इस पानी में? अच्छा यह तो महुए का पेड़ है।

इसके फल झड़-झड़ के उसी पानी में गिर रहे थे। तो इसका मतलब है कि महुए के फल में वह झूमने वाली चीज़ है।

मुखिया का बेटा मन ही मन झूम उठा। ये ही तो वह कितने दिनों से तलाश कर रहा था। इतने दिनों के बाद उसे वह चीज़ मिल गई।

उसने महुए का फल इकट्ठा करना शुरु कर दिया। ढ़ेर सार फलों को लेकर वह घर की ओर चल दिया।

उधर मुखिया बहुत ही चिन्तित हो उठा था। कहाँ गया उसका बेटा? उस दिन तीन अतिथि आए हुए थे। अतिथीयों को मुखिया की पत्नी प्यार से खिला रही थी पर साथ ही साथ उदास भी थी। अपने पति की ओर बार-बार देख रही थी।

अचानक मुखिया के चेहरे पर रौनक आ गई। उसकी पत्नी समझ गई कि बेटा वापस आ गया है।

अतिथी अब जाने ही वाले थे। पर मुखिया के बेटे ने उनसे अनुरोध किया कि वह थोड़ी देर के लिए रुक जाये।

अपनी माँ को उसने सारी बात बताई। माँ ने कहा – “पर बेटा, पानी में कुछ समय वह फल रहने के बाद ही असर होगा – तुम्हारी कहानी से मुझे तो यही समझ आ रहा है।”

मुखिया का बेटा मान गया। इसके बाद पानी में वह फल डालकर कुछ दिन तक वे सब इन्तज़ार करने लगे। अगली बार जब अतिथि आए उन्हें वह पानी दिया गया पीने के लिए।

उस दिन मुखिया, मुखिया की पत्नी और मुखिया का बेटा, तीनों खुशी से झूम उठे। क्योंकि पहली बार अतिथि जाते वक्त झूमते हुए चले जा रहे थे।

निष्कर्ष । Conclusion

आशा करते है कि आपको हमारी यह पोस्ट महुआ का पेड़ छत्तीसगढ़ी लोक कथाएँ/कहानियाँ । Chhattisgarhi Folk Tales In Hindi जरूर पसंद आयी होगी और आपके सभी सवालों का भी जवाब मिल गया होगा। अगर आपको हमारी इस पोस्ट से सम्बंधित कोई भी सवाल है तो आप हमे कमेंट करके जरूर बताये और जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार संग के साथ संग शेयर जरूर करें।

Leave a Comment