कारक क्या है ? कारक के कितने भेद होते है ? कारक के कितने प्रकार होते है ? कारक की परिभाषा क्या है ? ऐसे कई सारे सवाल आपके दिमाग में है। इस लिए आप इस पेज पर विजिट कर रहे है।
यहां हम हिंदी व्याकरण के बेहद ही सरल टॉपिक यानी की कारक के बारे में जानकारी देने वाले है। कारक को अंग्रेजी भाषा में Case के नाम से जाना जाता है।
हिंदी विषय में कारक छठी कक्षा से ही पढ़ाया जाता है। वैसे तो कारक बेहद ही सरल टॉपिक है पर इसमें ज्यादा भेद (प्रकार) होने के कारण छात्र के सामने दुविधा प्रगट करता है। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के बाद आपके मन में कारक को लेकर कोई समस्या नही रहेगी।
कारक की परिभाषा
कारक की शाब्दिक अर्थ इस प्रकार है – “क्रिया को करने वाला“। कारक का विस्तृत अर्थ देखेतो क्रिया को पूरी करने में किसी-न-किसी भूमिका को निभाने वाला। कही पे कारक की परिभाषा के बारे में पूछा जाये तो इस का अर्थ बताना ही सही नही है बल्कि अर्थ के साथ हिंदी व्याकरण के अनुसार परिभाषा भी जरूरी है।
” संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं। ” अगर अंग्रेजी में देखा तो कारक को Case या Causative कहा जाता है। और अंग्रेजी भाषा में परिभाषा – The form of noun or pronoun which shows the relation with the verb and other words of the sentence is called causative होती है।
कारक की परिभाषा जानने के बाद कारक के चिन्ह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। कारक चिन्ह वाक्य में वह शब्द है जिससे की वाक्य में रहे कारक के प्रकार यानि की भेद की पहेचन होती है।
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कारक चिन्ह कौन कौन से होते हैं?
कारक के कुल आठ भेद हैं, इन भेद को पहेचन ने के लिए वाक्य में आने वाले कारक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। कारक चिन्ह, कारक का भेद, विभक्ति और कारक चिन्ह का अर्थ यहाँ पर दिया गया है।
क्रम | कारक | चिह्न | लक्षण (अर्थ) | कारक-चिह्न या विभक्तियाँ |
---|---|---|---|---|
1 | कर्ता | ने | जो काम करें | प्रथमा |
2 | कर्म | को | जिस पर क्रिया का फल पड़े | द्वितीया |
3 | करण | से, के द्वारा | काम करने (क्रिया) का साधन | तृतीया |
4 | सम्प्रदान | को,के लिए | जिसके लिए किया की जाए | चतुर्थी |
5 | अपादान | से (अलग के अर्थ में) | जिससे कोई वस्तु अलग हो | पंचमी |
6 | सम्बन्ध | का, की, के, रा, री, रे | जो एक शब्द का दूसरे से सम्बन्ध जोड़े | षष्ठी |
7 | अधिकरण | में,पर | जो क्रिया का आधार हो | सप्तमी |
8 | सम्बोधन | हे! अरे! हो! | जिससे किसी को पुकारा जाये | सम्बोधन |
कारक के कुल 8 भेद है और कुल मिलाकर 21 चिन्ह है। इन साभी को याद रखना बेहद ही मुश्किल है लेकिन यहाँ दिए गये पद आपको कारक चिन्हों का स्मरण करने में मददरूप होंगे।
- कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान।
- संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान।।
- का, के, की, संबंध हैं, अधिकरणादिक में मान।
- रे ! हे ! हो ! संबोधन, मित्र धरहु यह ध्यान।।
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कारक के कितने भेद होते है?
कारक के कुल मिलकर 8 भेद होते है। जो की इस प्रकार है : कर्ता कारक, कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, संबंध कारक, अधिकरण कारक और संबोधन कारक। हमने इन सभी कारक के प्रकार के कारक चिन्हों को देखा जिससे इनकी पहेचन की जाती है। अब एक-एक करके सभी कारक भेद के बारे में उदाहरण सहित चर्चा करेंगे। सबसे पहेले कर्ता कारक के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।
1. कर्ता कारक
कर्ता कारक की परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया (कार्य) करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं।
कर्ता कारक का चिन्ह : ने
कर्ता कारक के नियम :
नियम 1 : भूतकालिक क्रियाओं जैसे की लाना, भूलना, बोलना आदि के साथ ‘ने’ चिह्न का लोप हो जाता है।
- रवि कपड़े लाया था।
- प्रकास कुछ बोलना चाहता था।
नियम 2 : चाहिए क्रिया में कर्ता कारक चिन्ह ‘ने’ के स्थान पर ‘को’ कारक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
- साहिल को पढना चाहिए।
- प्रभास भाई को दोड़ना चाहिए।
नियम 3 : कर्ता कारक में से या द्वारा जुड़ने पर भाववाच्य होता हैं। निषेध अर्थ में ‘से’ का प्रयोग तथा सकारात्मक वाक्यों में ‘द्वारा’ का प्रयोग होता है।
- मुझसे लिखा नहीं जाता।
- मेरे द्वारा लिखा जाता है।
नियम 4 : कर्मवाच्य और भाववाच्य में ‘ने’ के स्थान पर ‘से’ या ‘द्वारा’ कारक चिह का प्रयोग किया जाता है।
- मुझसे नहीं दोडा जाता।
- मुझसे पुस्तक नहीं पढ़ी जाती।
नियम 5 : कर्ता कारक की विभक्ति या कारक चिन्ह “ने” का प्रयोग केवल भूतकाल के वाक्यों में ही किया जाता है। वर्तमानकाल और भविष्यकाल के वाक्य में “ने” चिन्ह का प्रयोग नही होता।
- कृष्ण ने कंश को मारा।
- लड़का स्कुल जाता है।
कर्ता कारक के उदाहरण
- दिया ने यह कहा था।
- वैशाली ने कुत्ते पालें हैं।
- लखन ने खाना खा लिया।
- भाविक ने अपना काम कर लिया।
- तुम ने क्या किया?
- कार ने रफ्तार पकड़ ली।
- विवेक ने चुप रहना सही समझा।
- प्रतिलिपि ने प्रतियोगिता शुरू की है।
- छात्र लिखता है।
- दर्दी से चला भी नहीं जाता।
- उससे शब्द लिखा नहीं गया।
2. कर्म कारक
कर्म कारक की परिभाषा : जिस संज्ञा या सर्वनाम पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है। सरल भाषा में कहे तो, वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है।
कर्म कारक का चिन्ह : को
कर्म कारक के नियम :
नियम 1 : वाक्य में सजीव कर्म के साथ ‘को’ कारक चिह्न का ‘प्रयोग’ किया जाता है जबकि निर्जीव कर्म के साथ ‘को’ कारक चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता।
- मैंने राम को चाय पिलाई थी।
- नेहा पुस्तक पढ़ रही है।
नियम 2 : वाक्य में दिन, समय, वार और तिथि प्रकट करने के लिए ‘को’ का प्रयोग होता है।
- रणजीत सोमवार को लखनऊ जाएगा।
- 26 जनवरी को मुंबई चलेंगे।
नियम 3 : वाक्य में ओर, चारों ओर, पास, दूर जैसे शब्दों के योग में कर्म कारक प्रयुक्त होता है।
- विद्यालय के पास सड़क है।
- अस्पताल के चारों ओर घास है।
नियम 4 : जब विशेषण का प्रयोग संज्ञा के रूप में कर्म कारक की तरह होता है, तब उसके साथ ‘को’ चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
- बुरों को कोई नहीं चाहता।
- प्यासे को पानी पिलाओ।
पहचान करे : यदि क्रिया के साथ ‘क्या’ से प्रश्न करने पर उत्तर मिले तो वह निर्जीव कर्म होता है और किसी शब्द के स्थान पर “किसे, किसको” से प्रश्न करने पर उत्तर मिले तो वह सजीव कर्म होता है।
कर्म कारक के उदाहरण
- श्याम ने साँप को मारा।
- लड़के ने पत्र लिखा।
- ममता ढोलक बजा रही है।
- अध्यापक छात्र को पीटता है।
- प्रिया फल खाती है।
- पवन ने राधा को बुलाया।
- मेरे द्वारा यह काम हुआ।
- माँ बच्चे को सुला रही है।
- प्रवीन को बुलाओ।
- बड़ों को सम्मान दो।
3. करण कारक
करण कारक की परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम के जिस साधन/माध्यम की सहायता से क्रिया सम्पन्न होती हैं, उसे करण कारक कहते हैं। करण का अर्थ साधन या माध्यम होता है। सरल शब्दों में कहे तो, वाक्य मे कर्ता जिस माध्यम या साधन से क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते है।
करण कारक का चिन्ह : से, के द्वारा
करण कारक के नियम
नियम 1 : जिस चिन्ह से किसी स्थान, व्यक्ति या वस्तु की पहचान हो उसमें करण कारक होता है।
- वह जटाओं से तपस्वी लाता है।
- आप वस्त्रों से डोक्टर प्रतीत होते हैं।
नियम 2 : कभी-कभी वाक्य में करण कारक में परसर्ग का लोप होता है।
- कानों सुनी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
- आँखों देखी वारदात पर कौन विश्वास नहीं करेगा?
नियम 3 : समानता दिखने में भी करण कारक का प्रयोग होता है।
- प्रिया तुलसी के समान सुन्दर है।
- अशोक जतिन के समान काम करता है।
नियम 4 : वाक्य में योग करने के लिए ‘साथ’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, वहा करण कारक होता है।
- राम के साथ सीता वन को गई।
- राजेश के साथ रमेश बाजार गया।
नियम 5 : जिस अंग में विकार हो, वहाँ करण कारक होता है।
- वह कान से बहेरा है।
- वह सिर से गंजा है।
करण कारक के उदाहरण
- अर्जुन ने कर्ण को बाण से मारा।
- बालक बोल से खेल रहे है।
- विकास ट्रेन से जा रहा है।
- तुम किस से मिलोगे।
- इंग्लेड से क्रिकेट मैच जीतना है।
- राम को सीता से प्रेम है।
- मैं यह पेन से लिख रहा हूँ।
- पिताजी कुल्हड़ से चाय पीते हैं।
4. संप्रदान कारक
संप्रदान कारक की परिभाषा : किसी भी वाक्य में क्रिया को क्रियान्वित करने वाला तत्व, वस्तु या व्यकित कर्ता कहलाता है, लेकिन वह जिस तत्व, वस्तु या व्यकित के लिए ऐसा करता है उसे संप्रदान कारक कहा जाता है। सरल भाषा में कहे तो, कर्ता कुछ भी देता है उसे लेने वाला संप्रदान कारक कहेलाता है। संप्रदान का अर्थ होता है लेना।
संप्रदान कारक का चिन्ह : के लिए, को, के वास्ते, के हेतु
संप्रदान कारक के नियम
नियम 1 : वाक्य में कहना, निवेदन करना, भेजना आदि शब्द संप्रदान कारक को दर्शाते है।
- मैं तुमसे सच कहता हूँ।
- में आपसे निवेदन करता हूँ।
नियम 2 : किसी वस्तु में रुचि के अर्थ में सम्प्रदान कारक होता है।
- रवि को लड्डू अच्छा लगता है।
- छात्र को पढना अच्छा लगता है।
नियम 3 : क्रोध, ईर्ष्या, द्रोह आदि के योग में संप्रदान कारक होता है।
- अध्यापक छात्र पर क्रोध करता है।
- रीना प्रिया की ईर्ष्या करती है।
नियम 4 : अभिवादन तथा कल्याण कामना में भी संप्रदान कारक होता है।
- गुरू को प्रणाम।
संप्रदान कारक के उदाहरण
- सचिन के लिए खाना लाओ।
- ट्रेन के लिए पटरी बन रही है।
- भूखों के लिए भोजन बनाओ।
- सर्दी से बचने के लिए रजाई ले आओ।
- वो अमेरिका के लिए रवाना हो गए।
- रासी के लिए पुस्तक लाइए।
- राम ने श्याम को गाड़ी दी।
- मैं भाई के लिए चाय बना रहा हूँ।
- वे मेरे लिए उपहार लाये हैं।
- वीरेंद्र रमेश को पुस्तक देता है।
- सोहन ब्राह्मण को दान देता है।
5. अपादान कारक
अपादान कारक की परिभाषा : संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से विभाजन होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है। सरल शब्दों में कहे तो अपादान कारक एक वस्तु का दूसरी वस्तु से अलग होना दिखाता है। अपादान का शाब्दिक अर्थ होता है अलग होना।
अपादान कारक का चिन्ह : से (अलग होने के अर्थ में)
अपादान कारक के नियम
नियम 1 : जन्म लेना, उत्पन्न होना, ऊपर से गिरना, हटाना, आलस्य करना, प्रवाहित होना, छुपाना आदि के योग में अपादान कारक होता है।
- हिमालय से गंगा प्रवाहित होती है।
- प्रेम से प्रेम उत्पन्न होता है।
- विना कार्य से आलस्य करता है।
- रवि पत्नी से छुपाता है।
- अनिल अरविन्द को पाप से हटाता है।
नियम 2 : भाव के बोध को दिखाने के लिए अपादान कारक होता है।
- गरीब को घृणा से मत देखो।
- शत्रु को प्रेम से देखो।
नियम 3 : अपादान कारक में ‘से’ कारक चिन्ह के अलावा ‘का’ कारक चिन्ह का प्रयोग होता है।
- डाली का गिरा आम खाइये।
- नदी का बहेता हुआ पानी पीजिये।
नियम 4 : जहाँ दो वस्तु या व्यकित में तुलना का भाव पाया जाये वहाँ अपादान कारक होता है।
- मोर मोरनी से सुन्दर होता है।
- राधा रुकमनी से अच्छी है।
नियम 5 : जिस स्थान से कोई आये या जाये वहाँ अपादान कारक होता है।
- बालक स्कुल से आया है।
- मैं बस स्टेशन से आया था।
अपादान कारक के उदाहरण
- जरने से पानी गिर रहा है।
- मीना कुत्तों से डरती है।
- बादलों से बारिश हो रही है।
- कलाइयों से घड़ी गिर गई।
- मैं अपने अध्यापक से भय खाता हूँ।
- बच्चा छत से गिर पड़ा।
- गीता घोड़े से गिर पड़ी।
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6. संबंध कारक
संबंध कारक की परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम जिस रूप से किन्ही दो तत्व, वस्तु अथवा व्यक्तियों के मध्य के संबंध को दर्शाया जाता है उसे संबंध कारक कहते है। सरल शब्दों में कहे तो संबंध कारक का प्रयोग संबंध दर्शानेका है।
संबंध कारक का चिन्ह : का, के, की, रा, री, रे, ना, नी, रे
संबंध कारक के नियम
नियम 1 : संबंध कारक की विभक्तियाँ संज्ञा , लिंग , वचन के अनुसार बदल जाती हैं।
- यह महेताजी का बेटा है।
- यह राधा की गाय है।
संबंध कारक के उदाहरण
- जयपुर, शिवम का घर है।
- वह मेरा पुत्र है।
- यह मेरी बेटी है।
- उसके सर में दर्द है।
- गुजरात की राजधानी गांधीनगर है।
- वह नीता की मौसी हैं।
- कार की रफ्तार बहुत तेज़ है।
- मैं हिंदी का कवि हूँ।
- वह रमेश की कलम है।
- वह धोनी का बल्ला है।
- खेतों के मालिक आ रहे हैं।
- साहिल श्वेता का भाई है।
- यह तुम्हारी पेन है।
- गोपी की किताब मेरे पास है।
7. अधिकरण कारक
अधिकरण कारक की परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी व्यकित या वस्तु के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। सरल शब्दों में कहे तो अधिकरण कारक क्रिया होने के स्थान और काल को बताने वाला कारक है। अधिकरण का अर्थ आधार या आश्रय होता है।
अधिकरण कारक का चिन्ह : के बीच, के भीतर, मैं, पे, पर, के ऊपर, के अन्दर
अधिकरण कारक के नियम
नियम 1 : अधिकरण कारक के चिन्हों के आलावा कहीं-कहीं किनारे, आसरे, दीनों, यहाँ, वहाँ, के मध्य, के बीच, के भीतर आदि चिन्हों का प्रयोग होता है।
- आंगन के बीच चारपाई बिछा दो।
- पेड़ के ऊपर बन्दर बैठा है।
नियम 2 : अधिकरण कारक में कभी कभी ‘में’ के अर्थ में ‘पर’ और ‘पर’ के अर्थ में ‘में’ लगा दिया जाता है।
- कमरे में फ्रिज रखा है।
- भँवरा फूलों पर मँडरा रहा है।
नियम 3 : अधिकरण कारक का प्रयोग समय भी सूचित करता है।
- प्रिया आधे घंटे में खाना बना देती है
- कैलास सात साल में अमेरिका से आया था।
अधिकरण कारक के उदाहरण
- मेरी परीक्षा मार्च में होगी।
- वह घर-घर भीख मांगता है।
- पिता पुत्र से प्रेम करता है।
- मैं कमरे में बैठा हूँ।
- कल रात तुम्हारे घर सोना बरसेगा।
- मैं घर की छत पर खड़ा हूँ।
- पेड़ पर पक्षी बैठे हैं।
- पलंग पर रजाई रखी है।
- टोकरी में सेब रखे हैं।
- पानीपत में अकबर का युद्ध हुआ था।
- सुधा ने पुस्तक मेज पर रखी।
- वह सुबह यमुना किनारे जाता है।
- कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था।
- तुम्हारे घर पर तिन आदमी है।
8. संबोधन कारक
संबोधन कारक की परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी को पुकारा जाये, बुलाया जाये या संबोधित किया जाये, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। संबोधन कारक यह अक्सर पुकारने, ध्यान हटाने, चेतावनी देने के लिए प्रयोग किया जाता है।
संबोधन कारक का चिन्ह : हे!, अरे!, हो!, ओ, ए अये, ओए
संबोधन कारक के नियम
नियम 1 : कभी-कभी संबोधन चिन्ह संज्ञा के साथ न आकर अकेले भी प्रयोग किये जाते है।
- अरे, इधर आओ।
- अरे, यहाँ देखो।
नियम 2 : कभी-कभी संबोधन कारक के चिन्हों का प्रयोग ण करते हुए नाम पर ही जोर दिया जाता है।
- प्रकाश, जल्दी चलो।
- हर्ष, यहाँ आओ।
संबोधन कारक के उदाहरण
- हे भगवान्! अब क्या होगा?
- बच्चों! जल्दी घर जाओ?
- ओ मूर्ख! शान्त हो जा।
- हे प्रभु! मेरी रक्षा करो।
- ओ प्रिया! जरा इधर तो आना।
- हे किसानों! लड़ो लेकिन अपने हक के लिए।
- सुनिए भैया! एक ग्लास पानी दे दो।
- माताजी! आप वहां सो जाइये।
- अरे संजय! टीवी बंध करदो।
- अजी! आप कहां रहेंगे अब।
- अरे हिरेन! पढ़ना शुरू करो।
- अरे सुनो! यहां चले आओ।
- श्रीमति जी! चाय दीजिए।
कारक के सभी 8 प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद भी कुछ ऐसे वाक्य हमारे सामने आ जाते है जिनमे कारक के सही भेद का चयन करना थोडा मुश्किल हो जाते है। ऐसा होने का कारण कारक के चिन्ह है।
जैसे “को” कारक चिन्ह कर्म कारक और सम्प्रदान कारक दोनों के लिए प्रयोग किया जाता है। इस लिए ऐसे कारक के बिच का फर्क जानना बेहद ही आवश्यक है।
करण कारक और अपादान कारक में क्या अंतर है?
“से” चिन्ह का प्रयोग करण कारक और अपादान कारक दोनों में होता है। करण कारक में जहाँ पर “से” का प्रयोग साधन के लिए होता है। लेकिन अपादान कारक में अलग होने के लिए “से” का प्रयोग किया जाता है।
जैसे –
- मैं पेन से लिखता हूँ। – करण कारक
- पेड़ से आम गिरा। – अपादान कारक
- बालक गेंद से खेल रहे हैं। – करण कारक
- गंगा हिमालय से निकलती है। – अपादान कारक
कर्म कारक और सम्प्रदान कारक में क्या अन्तर है?
कर्म कारक तथा सम्प्रदान कारक दोनों में “को” कारक चिह्न का प्रयोग होता है। यदि देने के अर्थ में को चिह्न लगा हो तो सम्प्रदान कारक होगा। यदि देने के अर्थ को छोड़कर अन्य क्रियाओं के साथ को चिह्न जुड़ा हो तो वहाँ कर्म कारक होगा।
जैसे –
- गरीबों को खाना दो। – सम्प्रदान कारक
- राम शनिवार को दिल्ही जाएगा। – कर्म कारक
- राम ने मोहन को आम खिलाया। – सम्प्रदान कारक
- रवि ने साँप को मारा। – कर्म कारक
- प्रियंका ने रोगी को दवाई दी। – सम्प्रदान कारक
- सुबह सूर्य को नमस्कार करो। – कर्म कारक
आइये अब कारक के बारे में पूछे जानेवाले कुछ सवाल भी देख लेते है.
निष्कर्ष । Conclusion
मैं आशा करता हूं कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कारक की परिभाषा । Karak in Hindi जरूर पसंद आयी होगी और आपके सभी सवालों का भी जवाब मिल गया होगा।
अगर आपको हमारी इस पोस्ट से सम्बंधित कोई भी सवाल है तो आप हमे कमेंट करके जरूर बताये और जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार संग के साथ संग शेयर जरूर करें।
FAQ ON Karak in Hindi । अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q.1 कारक किसे कहते है?
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं।
Q.2 कारक के कितने भेद होते हैं?
कारक के आठ भेद होते है – कर्ता कारक, कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, संबंध कारक, अधिकरण कारक और संबोधन कारक।
Q.3 संप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह कौन सा होता है?
सप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह के लिए, को, के वास्ते, के हेतु है .
Q.4 कारक की पहचान कैसे करें?
कारक की पहेचान कारक चिन्ह से की जाती है।
Q.5 हिंदी के कारक कितने हैं?
अगर देखा जाए मुख्य रूप से हिंदी में ‘8’ कारक होते हैं – कर्ता कारक, कर्म कारक, कारण कारक, सम्प्रदान कारक,अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधिकरण कारक, संबोधन कारक।
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