25+ Best Moral Stories in Hindi for Class 3

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Moral Stories in Hindi for Class 3 : दोस्तों इस लेख में हमने यहाँ बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा वाले कुछ चुनिंदा class 3 hindi story, Best Moral Stories in Hindi for Class 3, कक्षा 3 की कहानी लेकर आये है.

जो बच्चों के बौद्धिक-मनोविज्ञान के अनुरूप हमने यहाँ 25+ से अधिक बच्चों के लिए यह “बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी (Best Class 3 Short Moral Stories In Hindi )” प्रस्तुत किया है. इन बच्चो के कहानियों में बहुत सी नैतिक शिक्षा छिप्पी हुई है. जो मजेदार होने के साथ-साथ बच्चो को सही दिशा प्रदान करने में मदद करती है।

ये कहानियाँ खास नर्सरी से बोर्डे तक के सभी आयु-वर्ग के बच्चों के नैतिक शिक्षा को ध्यान में रखकर बच्चों के लिए लिखा गया है। जो बच्चों को बहुत पसंद आएंगी जो कहानी के साथ-साथ नैतिक शिक्षा प्रदान करती है

Table of Contents

Hindi stories for class 3 with moral values

अकेला सौ पर भारी ।  Moral Stories in Hindi for class 3

सुंदर नगर का वन बेहद ही सुंदर और आकर्षक था। यहां रहने वाले पशु – पक्षी और जानवर शांति से रहा करते थे। तालाब पर शाम होते ही पशुओं का जमावड़ा लग जाया करता था।

पक्षी भी आसमान में उड़ते – उड़ते अपनी आजादी की सांस लिया करते थे।

कुछ दिन से वहां रहने वाले पक्षियों को न जाने कहां से आई पक्षियों के झुंड ने परेशान किया हुआ था। अनावश्यक एक – दूसरे को तंग कर रहे थे , यहां तक कि जान से मार रहे थे। सभी पक्षी परेशान हो गए , उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सभी संगठित हो गए किंतु शत्रु पक्षी की शक्ति के आगे इनकी एक नहीं चल रही थी।

इस लड़ाई में सुंदरवन के पक्षियों की संख्या कम होती जा रही थी।

एक वृद्ध पक्षी ने सभी पक्षियों को बताया , पास के गांव में एक महात्मा ठहरे हुए हैं , उनसे सहायता मांग सकते हैं। सभी पक्षी बिना देर किए महात्मा के पास पहुंच गए। महात्मा ने उनकी परेशानी समझी और आश्वासन दिया वह निश्चिंत रहें उनके समस्या का समाधान अवश्य होगा।

वह महात्मा कोई और नहीं स्वयं गुरु गोविंद सिंह जी थे।

उनके पास एक बाज (चील) था जो अकेला सौ पर भारी था।

गुरु गोविंद सिंह ने उस बाज को सुंदरवन के पक्षियों का भय हरने के लिए भेजा।

बाज काफी शक्तिशाली था देखते ही देखते शत्रुओं से पूरा आसमान खाली हो गया।

सुंदरवन के सभी पक्षियों ने बाज तथा गुरु गोविंद सिंह जी का हृदय से धन्यवाद किया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा: 

संगठित होकर अनेकों समस्या का समाधान हो सकता है , किंतु शक्तिशाली होना भी आवश्यक है। जो गुरु गोविंद सिंह के बाज ने कर दिखाया था।

जब रखोगे तभी तो उठाओगे । Hindi story for class 3 with Moral

जब रखोगे तभी तो उठाओगे – धनीराम नाम का एक व्यक्ति था ।वह मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था ।वह धीरे-धीरे कामचोर बनता गया। और एक दिन नकारा हो गया। बैठे – ठाले ठगी का काम शुरू कर दिया।

उसने पहले जान पहचान वालों से उधार लेना शुरु कर दिया। जब लोग पैसे वापस मानते तो तरह-तरह के बहाने बना देता। जैसे-जैसे उसकी जान पहचान के लोग मिलते गए उस की पोलपट्टी खुलती गई। सब यही बात करते कि जब से उसने पैसे लिए हैं तब से मिलना ही बंद कर दिया।

जब जान पहचान के लोगों ने पैसे देने बंद कर दिए तो वह अपने रिश्तेदारों से उधार के नाम पर पैसे ऐठने लगा। पहले सगे रिश्तेदारों  से पैसे लेने शुरू कर दिए , इसके बाद दूर के रिश्तेदारों से पैसे मांगना शुरू कर दिया ।

एक दिन वह एक साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति के पास गया।

उसने बैठा कर पानी पिलाया , फिर उससे पूछा तुम धनीराम ही हो ना ? उसने हां में सिर हिलाया। फिर पूछा कहो कैसे आना हुआ इतने बरसों बाद सब ठीक-ठाक तो है ; धनीराम ने उत्तर देते हुए कहा सब ठीक तो है लेकिन काम नहीं मिल पा रहा है घर में तंगी आ गई है , यदि कुछ रुपए उधार दे दे तो हालत संभल जाएगी।

वह व्यक्ति बात करते हुए उठा और सामने आले में  50 रुपए रख आया। धनीराम चलने के लिए खड़ा हुआ तो उस व्यक्ति ने आले की ओर इशारा करते हुए कहा सामने आले  में 50 रूपय रखे हुए हैं ले जाओ जब हो जाए इसी में रख जाना उसने आले  मैं से रुपए उठाए और चला गया।

किसी ने दोबारा दे दिया किसी ने नहीं दिया अब वह बैठा-बैठा गणित लगाता रहा कि कोई छूट तो नहीं। जिससे पैसे मांगे जा सकते हैं या किस – किस के पास जाएं कितना कितना समय बीत गया जिनके पास दोबारा जाया जाए।

ऐसे लोगों की उसने सूची बनाई जिनसे पैसे लिए हुए 3 साल हो गए थे इस सूची के लोगों के पास जाना शुरु कर दिया। लेकिन बहुत कम लोगों ने पैसे दिए अचानक उसे साधु प्रवृत्ति वाले व्यक्ति की याद आई।

सोचा अब तो वह भूल गया होगा उसी के पास चलते हैं।

जब धनीराम वहां पहुंचा तो उसे बैठाया पानी पिलाया और नाश्ता करवाया उस व्यक्ति ने पूछा सब ठीक-ठाक तो है।

धनीराम ने उत्तर देते हुए कहा सब ठीक तो है लेकिन , उस ने फिर पूछा लेकिन क्या ?

धनीराम बोला बच्चे भूखे हैं ,काम भी नहीं मिल रहा है , कुछ पैसे उधार दे देते तो काम चल जाता।

ले जाओ उसमे से आले  की ओर इशारा करते हुए उस व्यक्ति ने कहा। वह खुश होता हुआ उठा कि यह वास्तव में पिछले पैसे भूल गया है ,इसने ना पिछले पैसों की चर्चा की और ना मांगे। यही सोचते – सोचते आले  तक आ गया उसने आले में हाथ डाला तो कुछ नहीं मिला। धनीराम ने उस व्यक्ति की ओर देखते हुए कहा इसमें तो कुछ नहीं है।

इतना सुनकर वह बोला जो तुम पैसे पहले ले गए थे क्या रखकर नहीं गए थे?

उसके मुंह से कोई उत्तर नहीं निकला। उसने ना में सिर हिलाते हुए उत्तर दिया।

उस साधु प्रवृत्ति वाले व्यक्ति ने सहज रुप से कहा तब फिर कहां से मिलेंगे जब रखोगे तभी तो उठाओगे वह चुपचाप बाहर आया और अपना समूह लिए चला गया।

जो कुआँ खोदता है वही गिरता है । Hindi stories for class 3 students

वजीर को यह बिल्कुल पसंद नहीं था कि बादशाह कारिंदे के लड़के से प्यार करें। वह चाहता था कि बादशाह उसके बेटे को प्यार करें और गोद भी ले ले ,जिससे बादशाह के मरने के बाद उसका लड़का बादशाह बने। वजीर जो चाहता था ठीक उसके उल्टा होता था। बादशाह कारिंदे के लड़के को अधिक प्यार करता गया।

एक बादशाह था। उसके महल की चारदीवारी में ही वजीर और एक कारिंदे का आवास था।  वजीर और कारिंदे के एक – एक लड़का था। दोनों लड़के आपस में पक्के दोस्त थे। दोनों हमउम्र थे और एक ही कक्षा में साथ साथ पढ़ते थे। दोनों खेलते भी साथ-साथ थे।

एक दूसरे के घर आना-जाना खूब था।

कारिंदे का लड़का वजीर को चाचा कहता था।

और जो भी काम वजीर कराता था वह कर देता था।

बादशाह के कोई संतान नहीं थी।

वह कारिंदे के लड़के को बहुत प्यार करता था। बादशाह इतना प्यार करता था ,कि लड़के के लिए महल और दरबार के दरवाजे खुले रहते थे। लेकिन वजीर को यह बिलकुल पसंद नहीं था ,कि  बादशाह कारिंदे के लड़के से प्यार करें। वह चाहता था कि बादशाह उनके बेटे को प्यार करें ,और गोद  भी ले जिससे बादशाह के मरने के बाद उसका लड़का बादशाह बन जाए।

वजीर जो चाहता था ,ठीक उसके उल्टा होता था। बादशाह कारिंदे के लड़के को और अधिक प्यार करता गया। वजीर के लड़के से बादशाह का लगाओ पहले ही नहीं था,

इसलिए वजीर कारिंदे और उसके लड़के से मन ही मन जलने लगा। ऐसा रास्ता खोजता रहा है जिससे उसका मन चाहा हो जाए जब कोई बात बनती नजर नहीं आई तो उसने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे ना रहे बांस न बजे बांसुरी।

एक दिन वजीर ने कारिंदे के लड़के को घर बुलाया। घर आने पर वजीर ने उसे एक रुमाल और पैसे देकर गोश्त लाने के लिए कहा। वजीर ने बताया कि गोश्त बाजार में फलां  गली के नुक्कड़ वाली दुकान से लाना है। 

लड़के ने रुमाल लिया ,पैसे  संभाले , और चल दिया। रास्ते में कुछ लड़के गुल्ली डंडा खेल रहे थे। उनमें वजीर का लड़का भी था।

वजीर के लड़के ने कारिंदे के लड़के को आता देखा तो चिल्ला कर पुकारा भैया कहां जा रहे हैं?

वजीर के लड़के ने कहा दोस्त मैं ले आऊंगा तुम मेरा गांव उतार दो।

चाचा ने उस दुकान से गोश्त मंगाया है उसने वजीर के बताए अनुसार दुकान तक पहुंचने का रास्ता बताते हुए उसे रुमाल और पैसे दे दिए।

वजीर का लड़का गोस्त  लेने के लिए चला गया और कारिंदे का लड़का दांव  उतारने लगा।

चलते-चलते वजीर का लड़का उसी दुकान पर पहुंचा उसने पैसे और रुमाल देते हुए कहा कि इसमें गोस्त  बांध दो। कसाई ने उस रुमाल को पहचान लिया।

इस रुमाल में निशान बना हुआ था। इसी रुमाल को वजीर ने दिखाया था और कहा था कि जो लड़का इस रुमाल को लेकर गोश्त लेने आए उसका काम तमाम कर देना।

उसके एवज में वजीर ने पैसे भी दिए थे,इस काम के लिए कसाई के अंदर एक भट्टी जलाकर पूरी तैयारी कर रखी थी।

कसाई ने रुमाल और  पैसे लेकर कहा यहां बैठ जाओ अभी गोश्त बांधता हूं। उस समय दुकान पर कोई ग्राहक नहीं था वजीर का लड़का जैसे ही अंदर पहुंचा कसाई ने उसे पकड़ कर जलती भट्टी में झोंक दिया। 

उधर गांव उतारने के बाद कारिंदे का लड़का घर चला आया लगभग दो  घंटे के बाद वजीर अपने घर से निकला उसी समय कारिंदे का लड़का भी अपने घर से निकला। महल की चारदीवारी में ही दोनों का आमना – सामना हो गया वजीर पूछता उससे पहले ही कारिंदे के लड़के ने कहा !

चाचा भैया गोश्त ले आए ? इतना सुनते ही जैसे वजीर को सांप ने डस लिया।

फिर कारिंदे का लड़का बोला चाचा रास्ते में भैया मिल गया था, वह मुझसे बोला कहां जा रहे हैं मैंने कहा कि चाचा चाचा ने गोश्त मंगाया है लेने जा रहा हूं।

उसने मुझसे जबरदस्ती रुमाल और पैसे ले लिए और बोला कि तू मेरा गांव उतार दे मैं गोश्त लेकर आ रहा हूं। मैंने दुकान का रास्ता बता दिया था वजीर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वापस घर आकर बैठ गया उसकी बेगम ने उसकी हालत देखी तो  ‘हाय अल्लाह’ क्या हो गया इन्हें।

वजीर बड़बड़ा रहा था जो कुआं खोदता है वही गिरता है मैंने दूसरे के लिए कुआं खुदा था और मैं खुद अपने होते हुए कुएं में गिर गया हूं।

स्वार्थी को सबक । Hindi stories for class 3 with moral

बिलाल स्वभाव का स्वार्थी था। वह दूसरों से सामान लेना जानता था , किंतु उसे लौटाना नहीं आता था। वह जिस व्यक्ति से पैसा लेता फिर उसे लौटाने की याद नहीं रहती। बिलाल धीरे – धीरे इतना ढीठ हो गया था कि लोग उसे लौटाने के लिए कहते , यहां तक कि अपशब्द भी कहते किंतु उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

जब भी उसे पैसे अथवा कोई सामान दूसरे व्यक्तियों से लेना होता तो वह मीठी – मीठी बातें करता चापलूसी करता। स्वार्थ के सिद्ध होने के बाद वह उस व्यक्ति को पहचानता तक नहीं था लौटाने की बात दूर रही।

बिलाल का एक पड़ोसी अहमद बड़ा ही सज्जन व्यक्ति था।

वह अल्लाह की रहमत मानता था , उसका मानना था जो भी अच्छा – बुरा होता है वह सब अल्लाह की मर्जी से होता है। वरना किसी के बस की बात नहीं कि अल्लाह के विरुद्ध कोई कार्यवाही कर सकें। बिलाल , अहमद जैसे सज्जन व्यक्ति को भी अपनी चाल में फंसाने से बाज नहीं आता था। बिलाल का शिकार अहमद भी बन चुका था।

बिलाल का लड़का काफी दिनों से बीमार था , उसे अस्पताल में इलाज करवाने के लिए पैसों की सख्त आवश्यकता थी। किंतु बिलाल के स्वभाव से सभी परिचित थे इसलिए उसे पैसे देने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ।

वह काफी परेशान हो गया था किंतु पैसों का इंतजाम होने का नाम नहीं ले रहा था।

रिश्तेदारों से भी उसने पैसे मांग कर देख लिया किंतु रिश्तेदार उसके स्वभाव से परिचित थे किसी ने पैसे नहीं दिए। अंत में उसे अहमद की याद आई , जानता था अहमद दिल का साफ है वह थोड़ी देर नाराज होगा किंतु पैसा तो जरूर दे देगा।

ऐसा विचार कर बिलाल अहमद के घर पहुंच गया।

आओ बिलाल कहो कैसे आए हो ?

बड़े दिनों बाद दिखाई पड़े  जैसे ईद का चांद हो गए तुम।

अहमद भाई दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है , बेटा अस्पताल में मेरा इंतजार कर रहा है।

क्यों क्या हुआ सब खैरियत तो है ?

नहीं अहमद भाई खैरियत होती तो , मैं यूं परेशान ना होता।

कहो मैं क्या खिदमत कर सकता हूं ?

अहमद भाई शर्मिंदा हूं किंतु इस समय पैसों की सख्त आवश्यकता है , अगर आप कुछ पैसों का प्रबंध कर देते तो रहमत होती।

या अल्लाह बच्चे पर रहमत कर ! कहते हुए अहमद भाई ने बिलाल को सामने रखें मटके की ओर इशारा करके कहा उस में से निकाल लो।

बिलाल खुश हो गया झटपट मटके के पास गया और हाथ डालकर खूब सारे पैसे निकालना चाहा किंतु यह क्या !  कुछ भी नहीं , मटका खाली है।

अहमद भाई यह मटका तो खाली है , क्या आप मेरे साथ मजाक कर रहे हैं ?

अरे वह मटका खाली है , लगता है तुमने जो पिछले पैसे लिए थे वह रखें नहीं होगे।

बिलाल शर्मसार हो गया उसका चेहरा कायरों की भांति लटक गया , इसका क्या जवाब दे सकता था।

अपनी  हरकतों पर वह केवल पछताने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था।

आज उसे अपने सारे करामात याद आ रहे थे और आंखों से आंसू वह रहे थे।

अहमद नेक दिल इंसान था , वह केवल यह बिलाल को सबक सिखलाने के लिए कर रहा था। अहमद ने फौरन बिलाल को आवश्यकतानुसार पैसे देकर बच्चे के ठीक होने की रहमत मांग कर उसे अस्पताल के लिए रवाना किया।

बिलाल ने अहमद भाई से कान पकड़ कर माफी मांगी और कहा अहमद भाई आपने मेरी आंखें खोल दी मुझे अल्लाह के दंड से बचा लिया वरना मैं अल्लाह को क्या जवाब देता।

आलसी गधा  Best Class 3 Short Moral Stories In Hindi

आलसी गधा (Best Class 3 Short Moral Stories in Hindi)

एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।

रास्ते में उन्हें एक नाला पार करना पड़ा। एक दिन गधा अचानक धारा में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। नमक पानी में घुल गया और इसलिए बैग ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया। गधा खुश था।

फिर गधे ने हर दिन एक ही चाल चलना शुरू कर दिया।

नमक बेचने वाले को चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सिखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक कपास की थैली लाद दी।

गधे ने फिर से वही चाल चली जिससे यह उम्मीद जगी कि कपास की थैली भी हल्का हो जाएगा।

लेकिन भीगे हुए कपास की थैली को उठाना भारी पड़ गया और गधे को बहुत दर्द हुआ मानो जान ही निकल गई । इस घटना के बाद गधे को एक सबक सीखने को मिला। उस दिन के बाद गधे ने कोई चाल नहीं चली, और उसका मालिक खुश था।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा: 
किस्मत हमेशा साथ नहीं देता।

एकता में बल होता हैं । hindi story for class 3 with Moral Values

एकता में बल होता हैं । hindi story for class 3 with Moral Values

बात बहुत पहले की है किसी गाँव में एक किसान रहता था वह बहुत ही ईमानदार और मेहनती था | उसके पास एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा था उसी में खेती बारी से वह अपने परिवार का गुजर बसर करता था |

मगर किसान को हमेशा एक फ़िक्र सताती थी, किसान को पाँच लड़के थे सभी के सभी कामचोर और आलसी थे तथा अपने पिता के काम में हाथ बाटने के जगह आपस में ही हमेशा लड़ते रहते थे |

कुछ समय पश्तात जब किसान बूढ़ा हो गया तो किसान को बहुत फ़िक्र होने लगी की मेरे लड़को का क्या होगा |

मेरे पास जमीन का छोटा सा टुकड़ा है मेरे मरने के बाद ये जमीन को आपस में बाटेंगे तो उनमे से किसी को पर्याप्त जमीन नहीं मिल पायेगा और ये जब आपस में लड़ेंगे तो लोग इनका फायदा उठायेंगे |

फिर किसान ने सोचा मुझे इनसब को सबक सिखाने के लिए कुछ करना चाहिये |

बुद्धिमान किसान ने कुछ लकड़िया इकठी की और उसे लकड़ी का बण्डल बना के अपने लड़को को बुलाया और बोला की तुम लोग इस लकड़ी के बण्डल को बारी बारी से तोड़ने की कोशिश करो |

पिता की बाते सुन के सभी ने लकड़ी के बण्डल को तोड़ने में लग गये पर किसी से भी लकड़ी का गठा टूट नहीं पाया | फिर उनमे से एक ने बोला की पिता जी अगर हम एक एक कर के लकड़ी तोड़े तो ये टूट जाएगी |

ये सुनते ही किसान ने बोला की देखो बेटा अगर तुम लोग भी इस लकड़ी का बण्डल के जैसे एक साथ रहोगे तो किसी को तुमलोग को हराना मुश्किल होगा अगर ऐसे ही आपस में लड़ते रहो तो कोई भी तुमलोगों का फायदा उठा सकता हैं

इतना सुनते ही किसान के सभी बेटो की बुद्धि खुल गई और वो आपस में एक साथ रहने और फिर कभी लड़ाई ना करने की कसम खायी |

इस कहानी से नैतिक शिक्षा :
 एकता में अटूट शक्ति

ईमानदार लकड़हारा Short Moral Stories in Hindi for Class 2

ईमानदार लकड़हारा Short Moral Stories in Hindi for Class 3

एक लकड़हारा था, जो जंगल में कड़ी मेहनत कर लकड़ी काटता था फिर उन लकड़ियों को बेच के अपना और अपने परिवार का गुजारा करता था।

एक दिन की बात है  जैसे ही वह एक पेड़ काट रहा था, उसका कुल्हाड़ा गलती से नदी में गिर गया।

नदी गहरी थी और तेजी से बह रही थी,उसने अपनी कुल्हाड़ी खो दी और उसे फिर नहीं मिला।

लकड़हारा नदी के किनारे बैठ गया और रोने लगा।

जब वह रोया, नदी से निकली जलपरी उठी और उससे पूछा कि क्या हुआ। लकड़हारे ने उसे कहानी सुनाई। नदी के जलपरी ने अपनी कुल्हाड़ी की तलाश में उसकी मदद करने की पेशकश की।

वह नदी में गायब हो गया और एक स्वर्ण कुल्हाड़ी को लेके आया और बोला ये लो ,

लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यहकुल्हाड़ी  उसका नहीं है।

वह फिर से गायब हो गया और एक चांदी की कुल्हाड़ी के साथ वापस आया,

लेकिन लकड़हारे ने फिर बोला कि यह कुल्हाड़ी भीउसका नहीं है ।

जलपरी फिर से पानी में गायब हो गए और एक लोहे की कुल्हाड़ी के साथ वापस आए – लकड़हारे ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह कुल्हाड़ी  उसका हैं ।

जलपरी लकड़हारे की ईमानदारी से प्रभावित हुए और उसे स्वर्ण और चांदी दोनों कुल्हाड़ी उपहार दिया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

दो दोस्त और भालूshort stories in Hindi For Kids

दो दोस्त और भालू । short stories in Hindi For Kids
दो दोस्त और भालू । short stories in Hindi For Kids

विजय और राजू दोस्त थे।गर्मी की  छुट्टी पर वे प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए एक जंगल में चले गए।

अचानक उन्होंने देखा कि एक भालू उनके पास आ रहा है। वे भयभीत हो गए।

राजू, को पेड़ों पर चढ़ने के बारे में सब पता था,वह  एक पेड़ पर चढ़ गया ।

 उसने विजय के बारे में नहीं सोचा। विजय को पता नहीं था कि पेड़ पर कैसे चढ़ना है।

विजय ने एक पल के लिए सोचा, उसने सुना है कि जानवर शवों को खाना पसंद नहीं करते हैं, इसलिए वह जमीन पर लेट गया और उसने मरने का नाटक किया ।

 भालू ने उसे सूँघ लिया और सोचा कि वह मर गया है। तो, वह अपने रास्ते पर चला गया।

राजू ने विजय से पूछा,

भालू ने आपके कान में क्या कहा?

विजय ने जवाब दिया, भालू ने मुझे तुम्हारे जैसे दोस्तों से दूर रहने के लिए कहा और अपने रास्ते पर चला गया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
मित्र वही जो मुसीबत में काम आये।

हाथी और उसके दोस्त Short Moral Stories in Hindi for Class 3

एक बार की बात है, एक हाथी ने एक अजीब जंगल में अपना घर बना लिया। यह जंगल उसके लिए नया था, और वह दोस्त बनाना चाहती थी। 

उसने एक बंदर से संपर्क किया और कहा, नमस्कार, बंदर ! क्या तुम मेरे दोस्त बनना चाहोगे ?

बंदर ने कहा, तुम मेरी तरह झूलने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हो सकता।

फिर हाथी एक खरगोश के पास गया और उसने वही सवाल किया। 

खरगोश ने कहा, आप मेरी परिवार में फिट होने के लिए बहुत बड़े हैं, इसलिए मैं आपका दोस्त नहीं बन सकता।

हाथी इस बार तालाब में मेंढक के पास गया और फिर वही सवाल किया। 

मेंढक ने उत्तर दिया, तुम मेरे जैसे कूदने के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हो सकता।

हाथी वास्तव में बहुत दुखी था क्योंकि वह कोई भी दोस्त नहीं बना सका था। 

फिर एक दिन, उसने सभी जानवरों को जंगल से भागते देखा, और उसने एक भालू से पूछा कि क्या बात हैं सभी जानवर भाग क्यों रहे हैं। 

भालू ने कहा, शेर शिकार पर है – वे खुद को बचाने के लिए उससे भाग रहे हैं।

हाथी शेर के पास गया और कहा, कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट मत पहुँचाना और उन्हें कृपया अकेला छोड़ दें।  

शेर ने गुस्से से लाल हो के हाथी को एक तरफ जाने के लिए कहा। 

फिर, हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को अपने सूंढ़ में पकड़ के धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और शेर वहां से भाग गया। 

अन्य सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आए और शेर की हार के बारे में सुन के खुशी मनाने लगे। 

वे लोग हाथी के पास गए और उससे कहा, तुम हमारे दोस्त बनने के लिए सही आकार के हो !

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
एक व्यक्ति का आकार उनके मूल्य का निर्धारण नहीं करता है।

लोमड़ी और खट्टे अंगुरShort Moral Stories in Hindi for Class 3

एक दोपहर की बात है, एक लोमड़ी जंगल से गुज़र रही थी कुछ दुर जाने के बाद लोमड़ी ने एक शाखा के ऊपर से लटके हुए अंगूरों के एक झुंड को देखा।

“अरे वाह ये तो बस मेरी भूख मिटाने की चीज है” उसने सोचा।

कुछ कदम पीछे हट के लोमड़ी उछल पड़ी अंगूर को तोड़ने को मगर वह बस लटकते अंगूरों से चूक गई। 

फिर से लोमड़ी ने बार-बार उन तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन फिर भी असफल रही।

अंत में, हार मानकर लोमड़ी ने अपनी नाक घुमा ली और कहा, “शायद वैसे भी ये अंगुर खट्टा हैं” 

और वहां से चला गया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
आपके पास जो नहीं है उसे तुच्छ समझना नहीं चाहिए।

चींटी और टिड्डा Short Moral Stories in Hindi for Class 3

एक बार की बात है, दो सबसे अच्छे दोस्त थे – एक चींटी और एक टिड्डा दोनों में गहरी मित्रता थी। 

टिड्डा को पूरे दिन आराम करना और अपना गिटार बजाना पसंद था। 

हालाँकि, चींटी पूरे दिन कड़ी मेहनत करती थी। वह बगीचे के सभी कोनों से भोजन एकत्र करता था, जबकि टिड्डे आराम करते थे, अपना गिटार बजाते या सोते थे।

टिड्डा चींटी को हर दिन एक ब्रेक लेने के लिए कहता था, लेकिन चींटी मना कर देती थी और अपना काम जारी रखती थी। जल्द ही, सर्दी आ गई दिन और रात ठंडे हो गए और बहुत कम जीव बाहर जाया करते थे।

सर्दियों के ठंडे दिन में, चींटियों की एक बस्ती मकई के कुछ दानों को सुखाने में व्यस्त थी। 

भूखा टिड्डा चींटी के पास आया, जो उसका दोस्त था और उसने मकई का टुकड़ा मांगा चींटी ने जवाब दिया, हम मकई को इकट्ठा करने और बचाने के लिए दिन-रात काम करते हैं ताकि हम सर्दी के दिनों में भूखे न मरें।

हम आपको इसे क्यों दें? चींटी ने आगे पूछा, तुम पिछली गर्मियों में क्या कर रहे थे? 

आपको कुछ भोजन एकत्र करना और संग्रहीत करना चाहिए, मैंने आपको पहले भी बताया था। 

टिड्डा बोला, मैं अब तक गायन और सोने में व्यस्त था।

चींटी ने उत्तर दिया, जहाँ तक मेरा संबंध है आप अभी भी सर्दियों में गा सकते हैं। आपको हमसे कुछ नहीं मिलेगा। 

चींटी को सर्दियों में बिना किसी चिंता के भोजन करने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता था, लेकिन टिड्डे को नहीं मिला और फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
समय पे अपना काम करना चाहिए।

शेर और गरीब गुलाम Moral Stories in Hindi for Class 3

एक गुलाम, अपने मालिक के साथ जंगल में जाता है उसका मालिक एक शिकारी होता है, जंगल में कुछ दुर जाने के बाद उसके मालिक ने बोला की तुम यहीं बैठो मैं जाल बिछा के आता हु।

गुलाम बहुत दयालु था उसने पास में किसी शेर की आवाज़ सुनी शेर अपने पंजे में कांटे की वजह से दर्द मेंकहर रहा था।

गुलाम बहादुरी से आगे बढ़ता है और शेर के पास पहुंच धीरे से कांटा निकालता है, उसे बिना चोट पहुंचाए शेर वहां से चला जाता है।

गुलाम भी वहां से भागने की सोचता है और अपने मालिक को चकमा दे के भाग जाता हैं 

कुछ दिनों बाद, गुलाम का मालिक जंगल में फिर शिकार करने आता है और कई जानवरों को पकड़ लेता है।

गुलाम को उसके क्रूर मालिक के आदमियों द्वारा देखा जाता है जो उसे पकड़ते हैं और उसे क्रूर स्वामी के पास ले जाते हैं।

मालिक ने अपने आदमियों को बोला की इसको को शेर के पिंजरे में फेंकने के लिए कहा।

पिंजरे में गुलाम अपनी मौत का इंतजार कर रहा होता है, मगर जब उसे पता चलता है कि यह वही शेर है जिसकी उसने मदद की थी। 

शेर ने भी उसको पहचान लिया फिर गुलाम ने शेर के साथ मिल के अन्य सभी बंदी जानवरों को बचाया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
दूसरों की ज़रूरत में मदद करनी चाहिए, हमें बदले में हमारे कार्यों का पुरस्कार मिलता है।

पेंसिल की कहानी Moral Stories in Hindi for Class 3

राज नाम का एक लड़का परेशान था क्योंकि उसने अपने अंग्रेजी की परीक्षा में खराब प्रदर्शन किया था, वह अपने कमरे में उदास बैठा था जब उसकी दादी ने आकर उसे दिलासा दिया। 

उसकी दादी उसके पास बैठी और उसे एक पेंसिल दी राज ने अपनी दादी की ओर देखा, और कहा कि वह परीक्षण में अपने प्रदर्शन के बाद इस पेंसिल के लायक नहीं है।

उनकी दादी ने समझाया, आप इस पेंसिल से कई चीजें सीख सकते हैं क्योंकि यह आपकी तरह ही है। 

यह एक दर्दनाक तीक्ष्णता का अनुभव करता है, जिस तरह से आपने अपने परीक्षण में अच्छा नहीं करने के दर्द का अनुभव किया है। 

हालांकि, यह आपको एक बेहतर छात्र बनने में मदद करेगा। 

जिस तरह पेंसिल से आने वाली सभी अच्छाइयाँ अपने भीतर से होती हैं, उसी तरह आप भी इस बाधा को दूर करने की ताकत पाएंगे और अंत में, जैसे ही यह पेंसिल किसी भी सतह पर अपनी छाप छोड़ेगी, आप भी अपना निशान छोड़ देंगे। 

राज को तुरंत समझ आ गया और उसने खुद से वादा किया कि वह बेहतर काम करेगा ।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
हम सभी में वह शक्ति है जो हम में होना चाहिए ।

घमंडी गुलाब Moral Stories in Hindi for Class 3

एक बार की बात है, एक बगीचे में एक सुंदर गुलाब का पौधा था पर गुलाब को  फूल अपनी सुंदरता पर बहुत घमण्ड था। 

हमेशा अपनी सुंदरता की गुन गान करती रहती थी ।

हालांकि, एक बदसूरत कैक्टस गुलाब के बगल में बढ़ रहा था हर दिन गुलाब अपने सुंदरता में मदहोश हो के कैक्टस का अपमान करता था लेकिन कैक्टस चुप रहा।

लेकिन बगीचे के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को कैक्टस को परेशान करने से रोकने की कोशिश की, लेकिन गुलाब किसी की नहीं सुनता था।

गर्मियों के दिन आ गये बगीचे में एक कुआं था जो सूख गया और पौधों के लिए पानी नहीं था। गुलाब भी धीरे-धीरे मुरझाने लगी। 

गुलाब ने देखा कि कुछ पानी के लिए एक गौरैया अपनी चोंच को कैक्टस में डुबोती है। 

गुलाब को इस बार कैक्टस का मजाक बनाने के लिए शर्म महसूस हुई। 

लेकिन क्योंकि पानी की जरूरत थी, इसलिए कैक्टस से पूछने के लिए गुलाब  गया कि क्या कुछ पानी मिल सकता है। 

कैक्टस सहमत हो गया, और वे दोनों फिर दोस्त बन गए।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
कभी भी किसी को उनके देखने के तरीके से न आंकें।

लालची ग्वालन । Moral Stories in Hindi for Class 3

एक ग्वालन थी, वह दिन रात बस अमीर बनने की सोचती रहती थी एक दिन  ग्वालन अपनी गाय से दूध निकाली और उसे दो डब्बों में भर एक डण्डे में बांध दी और शहर में बेचने चल दी चलते चलते उसने सोचा की उसके पास ताजे, मलाईदार दूध के दो डब्बे है। 

जैसे-जैसे उसने बाज़ार की ओर कदम बढ़ाया, उसके विचारों ने धन की ओर कदम बढ़ाया। उसने रास्ते में, वह दूध बेचने से होने वाले पैसे के बारे में सोचती रही। 

फिर उसने सोचा कि वह उस पैसे का क्या करेगी वह खुद से बात कर रही थी और कहा, एक बार जब मुझे पैसा मिल जाएगा तो मैं एक मुर्गी खरीदूंगी। 

मुर्गी अंडे देगी और मुझे और मुर्गियां मिलेंगी वे सभी अंडे देंगे, और मैं उन्हें और बेचूंगी । 

फिर, मैं पहाड़ी पर घर खरीदूंगा और हर कोई मुझसे ईर्ष्या करेगा। 

वह बहुत खुश थी कि जल्द ही वह बहुत अमीर हो जाएगी। 

इन खुश विचारों के साथ, वह आगे बढ़ गई। लेकिन अचानक, ग्वालन की पैर फिसल गया और वह गिर गयी। 

दूध के दोनों डब्बे गिर गए और उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए। दूध जमीन पर गिरा गया । 

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
अपना काम ध्यान से करना चाहिये ।

सारस और लोमड़ी Funny Stories in Hindi For Class 3

एक दिन, एक स्वार्थी लोमड़ी ने रात के खाने के लिए एक सारस को आमंत्रित किया। सारस निमंत्रण से बहुत खुश था।

सारस समय पर लोमड़ी के घर पहुंचा और अपनी लंबी चोंच के साथ दरवाजे पर दस्तक दी। लोमड़ी उसे खाने की मेज पर ले गई और उसने दोनों के लिए छिछले कटोरे में कुछ सूप परोसा। 

चूंकि कटोरा सारस के लिए बहुत उथला था, इसलिए वह सूप खा नहीं पा रहा था। लेकिन, लोमड़ी ने उसका सूप जल्दी से चाट लिया।

सारस नाराज़ और परेशान था, लेकिन उसने अपना गुस्सा नहीं दिखाया और विनम्रता से व्यवहार किया। 

लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए, उसने फिर उसे अगले दिन रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। 

उसने सूप भी परोसा, लेकिन इस बार सूप को दो लंबी मटके में परोसा। 

सारस ने उसके मटके में से सूप पि लिया, लेकिन लोमड़ी ने अपनी गर्दन के कारण उसे नहीं पीया। 

लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह सारस से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांग लिया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
ज्यादा स्वार्थी नहीं होना चाहिये !

कीमती पत्थर । moral stories in hindi for class 2

एक युवक कविताएँ लिखता था, लेकिन उसके इस गुण का कोई मूल्य नहीं समझता था। घरवाले भी उसे ताना मारते रहते कि तुम किसी काम के नहीं, बस कागज काले करते रहते हो।उसके अन्दर हीन-भावना घर कर गयी| उसने एक जौहरी मित्र को अपनी यह व्यथा बतायी|

जौहरी ने उसे एक पत्थर देते हुए कहा – जरा मेरा एक काम कर दो। यह एक कीमती पत्थर है। कई तरह के लोगो से इसकी कीमत का पता लगाओ, बस इसे बेचना मत। युवक पत्थर लेकर चला गया|वह पहले एक कबाड़ी वाले के पास गया।

कबाड़ी वाला बोला – पांच रुपये में मुझे ये पत्थर दे दो।फिर वह सब्जी वाले के पास गया। उसने कहा तुम एक किलो आलू के बदले यह पत्थर दे दो, इसे मै बाट की तरह इस्तेमाल कर लूँगा। युवक मूर्तिकार के पास गया|

मूर्तिकार ने कहा – इस पत्थर से मै मूर्ति बना सकता हूँ, तुम यह मुझे एक हजार में दे दो। आख़िरकार युवक वह पत्थर लेकर रत्नों के विशेषज्ञ के पास गया। उसने पत्थर को परखकर बताया – यह पत्थर बेशकीमती हीरा है जिसे तराशा नहीं गया।करोड़ो रुपये भी इसके लिए कम होंगे। युवक जब तक अपने जौहरी मित्र के पास आया, तब तक उसके अन्दर से हीन भावना गायब हो चुकी थी। और उसे एक सन्देश मिल चुका था।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा:
हमारा जीवन बेशकीमती है, बस उसे विशेषज्ञता के साथ परखकर उचित जगह पर उपयोग करने की आवश्यकता है

जादुई हंस Short Moral Stories In Hindi For Class 3

एक बार एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा था जो शायद ही कुछ भी उगाने में सक्षम था। इसलिए किसान अपनी जमीन से बहुत कम कमा सकता था। हालांकि, किसान एक हंस था।

यह बहुत सुंदर हंस था और यह किसान के लिए कीमती था। क्योंकि भोर में हर दिन हंस एक सुनहरा अंडा देता था।

किसान फिर सोने के अंडे को जौहरी के पास ले जाता और कुछ पैसे कमाता। उसके लिए यह काफी था कि वह आराम से रह सके। लेकिन किसान लालची था। यह हंस हर दिन केवल एक अंडा देता है। इस दर पर मैं कभी अमीर नहीं बन पाऊंगा, उन्होंने सोचा क्या होगा अगर मैं हंस को मार दूं और उसके पेट से सारे सुनहरे अंडे निकाल लूं।

इस तरह मैं रातों-रात अमीर बन जाऊंगा।  वह एक बड़े घर और नौकरों के बारे में सपने देखने लगा। उसने सारी रात सपने देखे। सुबह वह अपनी दरांती लेकर हंस के पास गया।

उसने पक्षी को गर्दन से पकड़ लिया और उसका गला काट दिया। जब हंस मर गया तो उसने अपना पेट खोल दिया और उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ।

हंस के पेट के अंदर कोई अंडा नहीं था। एक भी अंडा नहीं! किसान फूट-फूट कर रोया। अपने लालच में, उसने केवल अपना अंत किया था।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा :
लालची लोगों को हमेशा वही मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।

प्यासा कौआ (Hindi Short Stories with Moral Values)

गर्मी की दोपहर थी। कल रात के तूफान ने कौवे के घोंसले को उड़ा दिया था और उसे अब रात को आराम करने के लिए एक नए घोंसले की आवश्यकता थी। दिन बीतने के बाद, कौवे ने टेलीविज़न के एंटीना पर हाथ फेरा और आराम किया।

उसे बहुत प्यास लग रही थी। वह पानी पीने के लिए उसके चारों ओर देखने लगा लेकिन उसे कोई लीक नल या गढ्ढा नहीं मिला। सूरज खूब चमक रहा था और इसने उसे प्यासा बना दिया था।

अचानक, उसने दूर से एक घड़े को देखा। उसमें थोड़ा पानी मिलने की उम्मीद में कौआ उस ओर उड़ गया। और यह कौवा का भाग्यशाली दिन था। घड़े में पानी था। लेकिन घड़े के अंदर कौआ कितना भी बढ़ा हो, वह पानी तक नहीं पहुंच सका। वह कुछ समय तक प्रयास करता रहा। अंत में उसने हार मान ली और सोचने लगा।

मलबे के ढेर लगभग एक ढेर में पड़े हैं। कौआ को एक विचार आया। उसने ढेर पर झपट्टा मारा और अपनी चोंच में मलबे का एक टुकड़ा उठा लिया। फिर वह घड़े के पास वापस आया और उसमें टुकड़ा गिरा दिया।

उन्होंने इसे लंबे समय तक जारी रखा और धीरे-धीरे पानी बढ़ने लगा। जब पानी कगार पर पहुँच गया था, तो कौवा ने उसमें अपनी चोंच डुबो दी और उसके भराव को पी गया। वह खुद से बहुत संतुष्ट और खुश था।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा :
|अगर आप में हौंसला है तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है।

ड्रमर का बेटा । Hindi Short Stories with Moral Values

एक बार की बात है एक छोटे से गाँव में अपनी पत्नी और अपने बेटे के साथ एक ढोलकिया रहता था। ढोलकिया बहुत कुशल था। वह अक्सर अपने बेटे को अपने साथ सभी शादियों, त्योहारों और मेलों में ले जाता था जहाँ वह अपने ड्रम बजाता था। धीरे-धीरे, उनके बेटे ने भी ड्रम बजाना सीख लिया और अपने पिता के साथ खेलने लगे।

एक दिन, पास के शहर के एक यात्री ने उनके ढोल को पसंद किया और उन्हें अपने शहर में लगने वाले वार्षिक मेले में जाने की सलाह दी। ड्रमर और उनके बेटे ने अगले दिन शहर के लिए प्रस्थान किया। मेले में पहुंचने पर दोपहर हो गई। यह एक बहुत ही बड़ा मेला था और निकट और दूर के लोग इसे देखने आते थे।

ढोल बजाने वाले और उसके बेटे ने मेले के बीच में अपना रुख अपनाया और drum बजाने लगे। जल्द ही कुछ लोग उनके आसपास इकट्ठा हो गए। तब और भी लोग उनके drum को सुनने के लिए आए। वे अपने ढोल के साथ ताली बजाने लगे। उनमें से कुछ ने नृत्य भी किया। उनके सामने फैली चादर पर पैसा बरसने लगा।

जब दिन खत्म हुआ, उस दिन जितना पैसा कमाया, उससे ढोलकिया और उसका बेटा बहुत खुश हुए। उन्होंने सिक्कों की गिनती की और घर के लिए रवाना हो गए।

ड्रमर अपनी पत्नी के साथ खबर साझा करने के लिए इंतजार नहीं कर सकता था। रास्ते में उन्हें एक जंगल पार करना पड़ा। अँधेरा हो रहा था। ढोल बजाने वाला जानता था कि जंगल कुछ घातक लुटेरों का घर है। उन्होंने अपने बेटे को जंगल पार करते समय शांत रहने की चेतावनी दी।

लेकिन उनका बेटा दिन की सफलता के बाद बहुत आश्वस्त था। हम अपने ड्रम बजाते हुए जंगल से गुजरेंगे, उनके बेटे ने कहा। यह लुटेरों को डरा देगा। वह जंगल में चलने के दौरान जोर-जोर से अपने ड्रम बजाता रहा। उसके पिता उसे रोकने के लिए कहते रहे लेकिन बेटे ने उसकी बात नहीं मानी। जंगल में लुटेरों ने ढोल की आवाज सुनी।

उन्होंने सोचा कि कितने लोग जंगल पार कर रहे थे। वे पेड़ों के पीछे छिप गए और ड्रमर और उनके बेटे को देखा। जब उन्हें पता चला कि वे दो लोगों पर आसानी से हमला कर सकते हैं, तो उन्होंने और इंतजार नहीं किया। गरीब ढोल बजाने वाला और उसका बेटा सारा धन लूट ले गए। उन्हें खाली हाथ घर वापस जाना पड़ा।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा :
हमेशा स्थिति के अनुसार कार्य करें।

अच्छे दोस्त Class 3 Short Moral Stories in Hindi

एक बार की बात है, कही दूर के राज्य में एक राजा रहता था। उन्हें अपने शाही हाथी से बहुत प्यार था। राजा ने अपने हाथी को रहने के लिए सबसे अच्छा भोजन और एक बड़ा तम्बू प्रदान किया। हाथी खुश और संतुष्ट था।

उसी राज्य में एक कुत्ता रहता था। सारा दिन यह भोजन की तलाश में सड़कों पर घूमता रहता था लेकिन खाने के लिए शायद ही कुछ मिलता हो। यह कमजोर था और इसकी हड्डियाँ इसकी त्वचा के माध्यम से दिखाई देती थीं।

एक दिन कुत्ते को हाथी के डेरे के आसपास भोजन की तलाश थी। जब यह तम्बू में चढ़ा तो राजा ने हाथी के लिए जो भोजन की व्यवस्था की थी, उसे पाकर सभी आश्चर्यचकित थे। टेम्पर्ड यह तम्बू के अंदर घुस गया जब महावत नहीं दिख रहा था और खाना खाने लगा।

उसी दिन से, कुत्ते ने हाथी के साथ रहना और उस भोजन को खिलाना शुरू कर दिया जो हाथी ने नहीं खाया था। हाथी का भी मन नहीं लग रहा था। वास्तव में, उसने कुत्ते में एक दोस्त पाया था। समय के साथ उन दोनों की दोस्ती बढ़ती गई। दोनों मिलकर तम्बू में सुख से रहने लगे।

कुत्ते की सेहत में सुधार हुआ और वह बहुत सेहतमंद दिखने लगा। एक दिन एक आदमी महावत से मिलने आया। उसने कुत्ते को बहुत पसंद किया और उसने महावत से पूछा कि क्या वह कुत्ता को ले जा सकता है। चूँकि कुत्ते का उसके या राजा से कोई मतलब नहीं था, महावत सहमत हो गया और आदमी कुत्ते को अपने साथ ले गया।

हाथी अपने दोस्त को उससे छीनने से बहुत दुखी था। वह कुत्ते को बहुत याद करने लगा। उसने खाना बंद कर दिया और बीमार पड़ गया। हाथी को देखने के लिए सबसे अच्छे पशु चिकित्सकों को बुलाया गया था लेकिन वे उसे बेहतर बनाने में असफल रहे।

फिर एक दिन महावत ने कुत्ते को याद किया। उसे एहसास हुआ कि उसने गलती की है। वह राजा के पास गया और उसे कुत्ते के बारे में सब कुछ बताया। एक बार, एक दूत को शहर में घोषणा करने के लिए कहा की।

जिस किसी के पास भी कुत्ता है जो शाही हाथी के डेरे में रहता था, उसे कुत्ते को तुरंत राजा को वापस करना चाहिए। उसे इसके लिए राजा द्वारा ईनाम दिया जाएगा, दूत ने अपने ड्रम को पीटते हुए घोषणा की।

जिस आदमी ने कुत्ते को लिया था, उसने कुत्ते को लौटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाथी ने फिर से अपने स्वास्थ्य को प्राप्त किया, जब उसने अपने दोस्त को वापस पा लिया और उन्होंने अपना शेष जीवन एक-दूसरे के साथ में बिताया।

इस कहानी से नैतिक शिक्षा : 
किसी मित्र को खोना सभी हार में सबसे बड़ा है।

लोमड़ी का निमंत्रण । Class 3 Short Moral Story for kids

किसी जंगल में एक हिरण और कौवा रहते थे वो दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे | दोनों हमेशा अपना सुख दुःख आपस में बाटा करते थे दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी |

कौवा जंगल में कहाँ अच्छी घास है इसकी खबर हिरण को दिया करता था और हिरण सुखी टहनी को तोड़ के कौवा को देता था घोंसला बनाने को वो दोनों बहुत खुशी-खुशी से रहते थे उनकी इस दोस्ती से जंगल में बहुत से जानवरों को ईष्या होती थी

उसी जंगल में एक एक चालक लोमड़ी भी रहता था उसे कौवा और हिरण की दोस्ती बहुत ही खटकती थी वह हमेशा चाहता था की कैसे भी करके हिरण मर जाये जिससे उसको उसको हिरण का मांस मिले खाने को इसलिए

लोमड़ी हमेसा साजिश रचता था लेकिन होशियार कौवा हमेसा ही हिरण को सावधान कर देता था और तब लोमड़ी की योजना फेल हो जाती थी |

दिन रात लोमड़ी ने सोचने लगा की कैसे हिरण को दोस्ती के जाल में फसाये फिर एक दिन हिरण घास चर रही थी तभी वह लोमड़ी पास आया और बोलै नमस्ते दोस्त कैसे हो ? हिरण को अजनबियों से बात करना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए उसने लोमड़ी की बातो पे ध्यान नहीं दिया |

मगर इधर लोमड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और आगे आके बोला आपका सींग बहुत ही सुन्दर है ऐसा सुन्दर सींग मैंने नहीं देखा कभी और तो और आपका कोठ भी बहुत आकर्षक है अपनी इतनी तारीफ सुन हिरण ने शर्मीले स्वर में लोमड़ी को शुक्रिया बोला |

इतना सुनते ही लोमड़ी ने अपना चाल चल दिया और बोला की ये क्या घास फुस खा रहे हो मैं जंगल में एक जगह जनता हु जहां मीठे-मीठे हरे घास हैं जहां आप भर पेट खा सकते हो लोमड़ी ने हिरण को लुभाया वह लोमड़ी के साथ जाना चाहता था

उसने अपनी मुलाकात के बारे में कौवा को बताया हिरण की बाते सुन कौवा परेशान हो गया और बोला मित्र मुझे उस लोमड़ी पे भरोसा नहीं है कृपया उसकी बातो में नहीं आना कोई मुसीबत में डाल देगा वह तुम्हे इसलिए उससे सावधान रहना और उसके साथ कही नहीं जाना |

अगले दिन जब वह लोमड़ी हिरण से मिला तो फिर से वहां जाने की बात की मगर इस बार हिरण उसके आमंत्रण को ठुकरा दिया और बोला की मेरे मित्र ने जाने से माना किया है

ऐसे ही लोमड़ी वहां जाने की बाते किया करता जब भी हिरण से मिलता अन्ततः एक दिन हिरण राजी हो गया वहां जाने को फिर क्या था लोमड़ी ले गया उसे और बोला देखो ये खेत इसमें कितने हरे-हरे फसल लगे है

इतना सारा खाना देख हिरण उस खेत में चला गया और खाने लगा तभी उस खेत में काम कर रहे लोगों ने हिरण को पकड़ लिया और जाल में बांध दिया ये सब देख के लोमड़ी बहुत खुश हो रहा था और पास के झाड़ियों में छुप के ये सब देख रहा था

हिरण बहुत उदास था उसको अपनी दोस्त कौवा की याद आ रही थी और सोच में डूबा था की काश अपने दोस्त की बात मान लिया होता अब तो मेरे प्राण नहीं बचेगा आज उसके आखों के सामने अंधेरा छा रहा था तभी उसकी कानो में अपने दोस्त कौवाकी आवाज़ सुनाई दी मित्र हिम्मत मत हारो मैं आ गया हूँ |

उसने हिरण के कान में बोला की तुम मरने का नाटक करो थोड़ी देर फिर कौवा वही उड़-उड़ के काओं-काओं करने लगा कौवे की आवाज़ सुन के हिरण के पास आये और बोले की ये तो मर गया फिर उन्होंने सोचा क्यों ना इसे फेक दे फिर हिरण को मारा समझ उसको जाल से निकाल के फेक दिए तभी कौवा की इशारा मिलते ही हिरण उठा खड़ा हुआ

तभी लोगों ने देखा की ये तो जिंदा हैं फिर उन में से एक ने भाला फेका हिरण को मारने को मगर हिरण बहुत तेज भागा और वह भाला झारी में छिपे उस लोमड़ी को लग गया और वह वही मर गया |

इस तरह कौवा ने अपनी चतुराई से अपने दोस्त को बचा लिया |

इस कहानी से नैतिक शिक्षा : 
कभी किसी अजनबी पर भरोसा न करें और न ही उसके निमंत्रण को स्वीकार करें.

शेर और चूहा । Class 3 short moral stories in hindi

शेर और चूहा । Class 3 Short Moral Stories In Hindi

एक बार की बात हैं किसी जंगल में एक बहुत ही शक्तिशाली शेर रहता था | शेर अपना ज्यादातर समय गुफा में बिताया करता था उसी गुफा में एक छोटा सा चूहा रहता था गुफा के आस पास बहुत सारे फल के पेड़ थे

उन्ही फलों को खा के वह नन्हा चूहा मस्त रहता था एक दिन जब शेर अपने मांद में सोया हुआ था तभी वह चूहा इधर उधर गुफा के दिवालो पे कूद रहा था तभी अचानक वह निचे सोये हुये शेर के नाक पे गिर गया गिर गया फिर क्या था

फिर शेर ने उसे अपने पंजे में पकड़ लिया और बोला की तुम्हारी ये हिम्मत की मेरा नींद ख़राब करो मैं तुम्हे खा जाऊँगा |

चूहे ने बोला महाराज मुझे माफ़ कर दीजिये मै गलती से इस गुफा में आ गया मेरी क्या मजाल की आपको परेशान करू अगर आज आपने मुझे जिंदा छोड़ दिया तो मैं भी आपके एक दिन काम आऊंगा |

इतना सुन के शेर जोर-जोर से हसने लगा और बोला तुम्हारा क्या औकात जो तुम मेरी मदद करो जाओ जिंदा छोड़ता हु तुमको मगर आज के बाद इस गुफा में दिखे तो जिंदा खा जाऊंगा इतना सुनते ही चूहा वहां से सरपट भागा |

कुछ दिनों बाद जब शेर शिकार के लिए एक हिरण का पीछा कर रहा था तो वहां पे पहले से बैठे  शिकारियों के जाल में फस गया, जाल में फसते ही शेर जोर जोड़ से दाहरने लगा |

शेर की दाहर को जब चूहे ने सूना तो वो उस तरफ भागा और वहां पहुंचते ही बोला महाराज घरबरायें नहीं मैं आपको छुरा लूँगा, इतना बोल चूहे ने अपने तेज दाँत से जाल को कुतरना सुरु कर दिया थोड़ी देर में उसने जाल को काट दिया और शेर जाल में से आजाद हो गया |

शेर अपना जान बचाने के लिये उस छोटे चूहे का बहुत आभार प्रकट किया और वे दोनों फिर हमेशा के लिए अच्छे दोस्त बन गए |

इस कहानी से नैतिक शिक्षा :
सभी के प्रति दयालु रहें। आप कभी नहीं जानते कि आपकी सहायता के लिए कौन आ सकता है

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