शेर की मूंछ की कहानी : ये कहानी चीन की एक महिला “यून ऑक़” की है। उसे अपनी समझदारी पर काफी विश्वास था। उसे लगता था की वो हर समस्या का समाधान खुद निकाल सकती है। लेकिन एक बार उसकी समझदारी उसके पति के सामने बेकार होने लगी।
उसका पति एक सैनिक था और एक युध्य पर जाने से पहले उससे बहुत प्यार करता था परन्तु जब से वह युध्य से लौटा था काफी गुस्से में था। उसके गुस्से से यून ऑक़ काफी परेशान रहती थी। वह अकेले में अपने पति के पुराने रूप को याद करके काफी रोया करती थी। उसे अपने पति के साथ रहने में डर लगने लगा था।
उसके गाँव में एक वैद्य था जो पूरे गाँव में सबको परेशानी में मदद करता था। सब कोई अपनी परेशानी लेकर उसके पास जाया करते थे। यून ऑक़ कभी भी उसके पास नहीं जाती थी।
उसे लगता था कि वह अपनी समस्या और परेशानी का हल खुद निकाल सकती है और उसे किसी भी वैद्य की जरूरत नहीं है। परन्तु इस बार समस्या गम्भीर थी। उसकी समझदारी उसका साथ नहीं दे रही थी। थक हार के वह उस वैद्य के पास गयी।
उस वैद्य के घर का दरवाजा खुला था। यून ऑक़ सीधा घर के अन्दर चली गयी। वैद्य किसी दवाई को बनाने में लगा था। किसी को आता जानके बिना मुड़े बोला ” क्या समस्या है “? यून ऑक़ ने अपना पूरा हाल बताया। वैद्य बोला ” सैनिक अक्सर युद्ध से आने के बाद ऐसा करतें हैं “। मुझसे क्या चाहती हो ?
यून ऑक़ बोली मेरे पति के लिए एक दवा बना दीजिये जिसे पीने के बाद वो ठीक हो जाएँ। वैद्य बोला जाओ 3 दिन बाद आना तब तक मुझे सोचने दो। 3 दिन बाद जब यून ऑक़ वैद्य के पास गयी तो वैद्य बोला तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है।
मैंने दवाई बनाने की विधि खोज ली है लेकिन उसके लिए कुछ दुर्लभ चीजों की जरूरत है।
वैद्य बोला उसके लिए जीवित शेर की मूंछ लगेगी।
यून ऑक़ बोली ” ये कैसे संभव है “। जीवित शेर की मूंछ मैं कैसे ला सकती हूँ। वैद्य बोला अगर तुम ला सकती हो तभी मैं ऐसी दवाई बना सकता हूँ। जाओ जब शेर की मूंछ मिल जाये तभी आना।
यून ऑक़ घर आकर रात भर सोचती रही कि शेर की मूंछ कहाँ से लाऊं।
बहुत सोचने के बाद उसने सोचा की अपने पति को ठीक करने के लिए उसे यह करना ही होगा।
युन ऑक़ अगले दिन सुबह बिना किसी को बताये एक कटोरे में चावल और मांस लेकर जंगल में चली गयी और डरते डरते शेर को ढूंढने लगी । उसे एक शेर का मान्द दिखा। वह धीरे से कटोरा गुफा के दरवाजे पर रख चुपके से वहां से निकल गयी।
अगले दिन फिर सुबह वह चावल और मांस से भरा कटोरा लेकर जंगल उसी स्थान पर गयी और देखा कि कल वाला कटोरा खाली है। यून ऑक़ ने भरा कटोरा वहां रख दिया और खाली कटोरा लेकर घर चली आयी। अब हर दिन ये उसकी दिनचर्या बन गयी थी। कुछ दिनों बाद उसने देखा कि शेर उसके इंतजार में दरवाज़े पर बैठा है।
उसे काफी डर लग रहा था फिर भी हिम्मत करते हुए वह दूर से ही कटोरा बदल कर भाग गयी। फिर कुछ दिनों के बाद धीरे धीरे वो शेर के नजदीक जा के कटोरा देने लगी। शेर ने कुछ नहीं किया। अब यून ऑक़ को शेर से डर नहीं लगता था। वह रोज उसके नजदीक जाने लगी और उसके साथ खेलने भी लगी। उसे ऐसा लगने लगा कि शेर एक अच्छा प्राणी है।
यह भी हमसे वैसा ही व्यवहार करेगा जैसा हम इससे करतें हैं। फिर एक दिन उसने चुपके से शेर के साथ खेलते खेलते उसकी एक मूंछ निकाल ली।
उस दिन उसे रात भर नींद नहीं आयी। सुबह जब उसका पति खेतों में कम करने गया तो वह शेर की मूंछ लेकर दौड़ते हुए वैद्य के पास गयी। बोली ” मैं शेर की मूंछ ले कर आ गयी।” वैद्य बोल ये कैसे किया तुमने ?
यून ऑक़ ने बड़े गर्व से मूंछों को वैद्य की तरफ बढ़ाते हुए बोला ”पहले मैंने शेर का विश्वास जीता जिसमे मुझे महीनों लग गए। फिर उसने मुझे अपनी मूंछे निकालने से नहीं रोका”।
वैद्य ने मूंछों की जाँच की और सही पाया। फिर वैद्य ने उन मूछों को आग में झोंकते हुए बोला यून ऑक़ तुम्हे अब इसकी जरूरत नहीं है।
यून ऑक़ अचरज भरी निगाहों से वैद्य को देख रही थी।
वैद्य बोला ” क्या एक आदमी शेर से ज्यादा खतरनाक और बुद्धिहीन है? अगर एक शेर तुम्हारे प्यार और स्नेह को समझ सकता है और तुम भी इसके लिए महीनों सब्र कर सकती हो तो क्या एक आदमी नहीं समझ सकता है। ”
यून ऑक को समझ में आ गया था की उसने कहाँ गलती की है। उसके पास वैद्य को देने के लिए कोई उत्तर नहीं था।
हिंदी कहानी रिलेटेड आर्टिकल